INS Arighat: आज भारतीय नौसेना की पॉवर में और इजाफा हो गया है। दरअसल, नौसेना के बेड़े में नई ताकत शामिल हुई है—INS अरिघात, जो भारत की दूसरी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है। यह INS अरिहंत की तरह ही स्वदेशी निर्माण की अरिहंत क्लास की दूसरी पनडुब्बी है। INS अरिहंत, जो 2009 में नौसेना में शामिल की गई थी, भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है। INS अरिघात की एंट्री के साथ, भारत अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत कर रहा है।
6,000 टन की है INS अरिघात
विजाग शिपयार्ड में निर्मित INS अरिघात 6,000 टन की है और इसकी लंबाई 111.6 मीटर और बीम 11 मीटर है। यह पनडुब्बी ‘एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल’ (ATV) प्रोजेक्ट का हिस्सा है और इसका कोडनेम S3 है। INS अरिघात सात ब्लेड वाले प्रोपेलर से सुसज्जित है, जो एक प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर द्वारा संचालित होता है। पानी के नीचे इसकी अधिकतम रफ्तार 24 नॉट्स (44 किलोमीटर प्रति घंटा) है।
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इस पनडुब्बी को K-15 मिसाइलों से लैस किया गया है, जिनकी रेंज 750 किलोमीटर है। इसके अलावा, INS अरिघात मध्यम रेंज वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों को भी ले जाने की क्षमता रखती है, जिनकी रेंज 3,500 किलोमीटर तक है।
भारतीय नौसेना की मजबूती की योजना
INS अरिघात के शामिल होने के साथ, भारत की तीसरी SSBN (न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर-प्रोपेल्ड सबमरीन) INS अरिधमान होगी, जो अगले साल तक नौसेना में शामिल की जा सकती है। यह 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 मिसाइलों से लैस होगी। इसके अलावा, भारत चौथी SSBN पर भी काम कर रहा है, जिसमें अतिरिक्त K-4 मिसाइलों को रखा जा सकेगा।
भारत दो न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन (SSNs) बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है, जो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। ये पनडुब्बियां 95% तक स्वदेशी होंगी और इनका निर्माण पूरा होने में कम से कम 10 साल लग सकते हैं।
दोहरी चुनौती का सामना कर रही है भारत की नौसेना
भारत की नौसेना, चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है। वर्तमान में, भारत के पास एक ही SSBN है—INS अरिहंत, जो 83 मेगावॉट के रिएक्टर का उपयोग करती है। भारतीय नौसेना के पास 16 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां भी हैं, जिसमें छह पुरानी रूसी पनडुब्बियां, चार जर्मन पनडुब्बियां, और छह नई फ्रांसीसी स्कॉर्पीन पनडुब्बियां शामिल हैं।
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वहीं, चीन के पास लगभग 60 पनडुब्बियां हैं, जिनमें जिन-क्लास की छह पनडुब्बियां भी शामिल हैं, जो 10,000 किलोमीटर रेंज वाली JL-3 मिसाइलों से लैस हैं। चीनी नौसेना के पास छह SSNs भी हैं। इस परिदृश्य को देखते हुए, भारत अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के प्रयासों को जारी रखे हुए है।