भारत और रूस की दोस्ती का एक और बड़ा सबूत सामने आया है। रूस ने भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक युद्धपोत आईएनएस तुशील दिया है। यह युद्धपोत रूस के कलिनिनग्राद से भारत के लिए रवाना हो चुका है। गत 9 दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह युद्धपोत इतना ताकतवर है कि इसे दुनिया के सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जाता है।
आईएनएस तुशील की भारत की ओर रवाना होने की खबर ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को चिंता में डाल दिया है। चीन ने इसे भारत की सामरिक बढ़त मानते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसे लेकर अपनी फिक्र जाहिर की है। यह कदम भारत और रूस की मजबूत साझेदारी का एक और उदाहरण है, जो भारतीय नौसेना की ताकत को नए स्तर पर ले जाएगा।
भारत और रूस की आधुनिक तकनीकों और युद्धपोत निर्माण की बेहतरीन विशेषज्ञता से तैयार किए गए आईएनएस तुशील की लंबाई 125 मीटर है और इसका वजन 3900 टन है। इस युद्धपोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत हिंद महासागर में और बढ़ेगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन की पीएलए नौसेना ने हिंद महासागर में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। ऐसे में, भारतीय नौसेना के बेड़े में आईएनएस तुशील का जुड़ना चीन के लिए बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। रूस ने बताया कि यह बहु-भूमिका वाला युद्धपोत 17 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद से भारत के लिए रवाना हुआ है। यह उसकी पहली परिचालन तैनाती की शुरुआत है।
इस रास्ते से होकर भारत आएगा आईएनएस तुशील
आईएनएस तुशील (INS Tushil) भारतीय नौसेना का नया फ्रिगेट है, रूस में निर्मित आईएनएस तुशील को नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है। यह पोत बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर और अंत में हिंद महासागर से होकर गुजरेगा। इस सफर के दौरान, यह कई मित्र देशों के बंदरगाहों पर भी रुकेगा।
चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसे अपने बेड़े में जोड़ा है। इससे भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति मजबूत होगी। चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने यह कदम समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए उठाया है।
आईएनएस तुशील का मुख्य फोकस पाकिस्तान से निपटना है
आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना का सातवां तलवार श्रेणी का युद्धपोत है, जिसे खासतौर पर आधुनिक तकनीक और उन्नत स्टील्थ फीचर्स के साथ तैयार किया गया है। यह बेहतर स्थिरता और दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता के लिए जाना जाता है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के स्ट्रैटजिक एंड डिफेंस स्टडीज सेंटर में पीएचडी छात्र डोंगकेन ली के अनुसार, आईएनएस तुशील एक निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट है जो एशिया में पारंपरिक पनडुब्बियों से अलग भूमिका निभा रहा है।
भारत की कई परमाणु पनडुब्बियां चीन के खतरों का मुकाबला करने के लिए बनाई गई हैं, लेकिन आईएनएस तुशील का मुख्य फोकस पाकिस्तान से निपटना है। यह युद्धपोत पश्चिमी नौसेना कमान के मिशन का हिस्सा है और अरब सागर व पश्चिमी हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा।
भारत का क्षेत्र में बढ़ेगा दबदबा
भारतीय नौसेना का आईएनएस तुशील अब हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत को और मजबूत करेगा। चीन, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का इस्तेमाल करता है, उसके जवाब में यह कदम उठाया गया है। दिल्ली के थिंक टैंक, सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के निदेशक और नौसेना के पूर्व अधिकारी, कमोडोर सी. उदय भास्कर ने कहा कि आईएनएस तुशील जैसे नए और आधुनिक युद्धपोत से भारतीय नौसेना की ताकत और सतह पर युद्ध करने की क्षमता बढ़ेगी।
इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर सिस्टम से है लैस
आईएनएस तुशील भारत का एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे खास तौर पर ‘इलेक्ट्रॉनिक युद्ध’ के लिए डिजाइन किया गया है। यह हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस है। ईंधन भरने के बाद, यह 30 दिनों तक समुद्र में रहकर 180 नौसैनिकों के साथ भारत की सुरक्षा कर सकता है।
यह पोत ब्रह्मोस मिसाइल जैसी लैंड अटैक मिसाइलों और वर्टिकल एंटी-शिप मिसाइलों से लैस है। इसमें मीडियम रेंज की 24 मिसाइलें हैं। इसके अलावा, इसमें 100 एमएम की ए-190ई नेवल गन और 76 एमएम की ऑटो मेलारा नेवल गन भी फिट की गई हैं।
यह टारपीडो ट्यूब्स, रॉकेट लॉन्चर और हेलीकॉप्टर की तैनाती के लिए भी पूरी तरह सक्षम है। कामोव और ध्रुव हेलीकॉप्टर जैसे उन्नत एयरक्राफ्ट भी इसमें ऑपरेट किए जा सकते हैं। आईएनएस तुशील देश की समुद्री सुरक्षा को एक नई ताकत और गति देता है।
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