इजरायल ने कैसे किया हिजबुल्ला चीफ का खात्मा? पढ़ें नसरल्लाह के खात्मे की पूरी कहानी
दुनिया के सबसे तनावपूर्ण क्षेत्रों में से एक, इजरायल ने फिर से साबित कर दिया है कि वह अपने दुश्मनों को कभी नहीं छोड़ता। हाल ही में हिजबुल्ला के नेता हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah news) को उनके गढ़ में ठिकाने लगाना इसी बात का सबूत है। जब नसरल्लाह ने इजरायल पर हमले की धमकी दी, तो इजरायली सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे गंभीरता से लिया और एक ठोस योजना बनाई।
नसरल्लाह के खात्मे की पूरी कहानी
इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्ला पर नज़र रखने के लिए महीनों तक रिसर्च की। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के बाद से नसरल्लाह लगातार इजरायल को धमकी दे रहा था। इस दौरान मोसाद ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और मुखबिरों से नसरल्लाह की गतिविधियों की जानकारी जुटाई।
जैसे-जैसे हिजबुल्ला की गतिविधियाँ बढ़ीं, इजरायली विशेषज्ञों को समझ में आ गया कि नसरल्लाह अब अपनी धमकियों को लागू करने वाला है। हालांकि, इजरायल ने तब तक संयम बनाए रखा जब तक हिजबुल्ला ने इजरायल पर सैकड़ों रॉकेट नहीं दागे। तब जाकर इजरायली सरकार ने फैसला किया कि अब कार्रवाई करने का सही समय आ गया है
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के निर्देश पर, इजरायली एयरफोर्स ने 200 से ज्यादा लड़ाकू विमानों के साथ हिजबुल्ला के ठिकानों पर जोरदार हमला किया। ये हमले इतनी अच्छी तरह से योजनाबद्ध थे कि ज्यादातर हिजबुल्ला कमांडरों के ठिकाने पूरी तरह तबाह हो गए, जबकि आम नागरिकों को बहुत कम नुकसान हुआ। इस कार्रवाई ने हिजबुल्ला को कमजोर कर दिया और इजरायल को एक स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेगा।
इस हमले के बाद नसरल्लाह अपने कमांडरों के साथ एक गुप्त मीटिंग कर रहा था, तब मोसाद को इसकी जानकारी मिली। यह मीटिंग लेबनान की राजधानी बेरुत में हिजबुल्ला के हेडक्वार्टर में 60 फुट गहरे बंकर में हो रही थी। इस गोपनीय मीटिंग की जानकारी मिलने के बाद, इजरायली एयरफोर्स और पीएम नेतन्याहू को तुरंत सूचित किया गया।
उस समय नेतन्याहू न्यूयॉर्क में यूएन महासभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नसरल्लाह को निपटाने की अनुमति दी। जैसे ही उन्होंने अपना भाषण खत्म किया, इजरायली एयरफोर्स ने हिजबुल्ला हेडक्वार्टर पर धावा बोल दिया।
इस हमले में 80 टन वजनी बंकर भेदी बम का उपयोग किया गया। यह बम बिल्डिंग की सभी छतों को तोड़ता हुआ सीधे बंकर में गिरा और वहां जबरदस्त धमाका हुआ, जिसकी गूंज 20 किमी दूर तक सुनाई दी। हमले के परिणामस्वरूप पूरा बंकर ध्वस्त हो गया, और नसरल्लाह समेत कई हिजबुल्ला कमांडर मारे गए।
यह हमला इतना खतरनाक था कि नसरल्लाह के शव को पहचानना मुश्किल हो गया। बाद में हिजबुल्ला चीफ की अंगुली में पहनी अंगूठी और कुछ अन्य चीजों से उसकी पहचान की गई। इस हमले में हिजबुल्ला के हेडक्वार्टर में रखे बम, मिसाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी नष्ट हो गए। नसरल्लाह के मारे जाने से हिजबुल्ला के आतंकी सदमे में हैं, जबकि इजरायली कार्रवाई अभी भी जारी है और लेबनान में हिजबुल्ला के बाकी ठिकानों को खत्म करने में जुटी हुई है।
नसरल्लाह का अंत लेकिन जंग रहेगी जारी..
डिफेंस एक्सपर्टों का मानना है कि हिजबुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बावजूद यह संघर्ष समाप्त नहीं होगा। उनका कहना है कि संगठन के अन्य नेता नसरल्लाह की जगह लेंगे और इजरायल पर हमले जारी रखेंगे। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब तक ईरान हिजबुल्ला को अपना समर्थन जारी रखेगा, तब तक यह विवाद और भी बढ़ता रहेगा।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि नसरल्लाह के मारे जाने से आतंक का एक अध्याय खत्म हुआ है, लेकिन इसके पीछे का सोर्स, यानी ईरान, अब भी सक्रिय है। नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि जब तक ईरान का प्रभाव खत्म नहीं होगा, तब तक इजरायल अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहेगा और किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहेगा।
यह तो साफ है कि नसरल्लाह की मौत भले ही हिजबुल्ला के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन यह जंग के अंत का संकेत नहीं है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल को अपनी रणनीतियों को और भी मजबूत करना होगा ताकि भविष्य में हिजबुल्ला द्वारा संभावित हमलों को रोकने में मदद मिल सके।
कौन था हसन नसरल्लाह?
हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah biography) का जन्म 31 अगस्त 1960 को लेबनान की राजधानी बेरूत में एक गरीब शिया परिवार में हुआ। वह 9 भाई-बहनों में सबसे बड़ा है। उनके पिता फल-सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करते थे। नसरल्लाह की शुरुआती पढ़ाई एक ईसाई इलाके में हुई, जहां उसनेधार्मिक विषयों में रुचि दिखाई।
1974 में, ईरान के इमाम सैयद मूसा सदर ने लेबनान के शिया समुदाय को सशक्त बनाने के लिए ‘अमल’ आंदोलन शुरू किया। इसी समय लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया, जिससे शिया, सुन्नी और ईसाई समुदायों के बीच संघर्ष बढ़ गया। 15 साल की उम्र से, नसरल्लाह ने इजराइल के खिलाफ लड़ाई शुरू की और अमल से जुड़ गया।
1976 में, गृह युद्ध के कारण नसरल्लाह का परिवार अपने पैतृक गांव चला गया। यहां उसने आगे पढ़ाई करने की सलाह दी गई, जिसके बाद वे इराक के नजफ में इस्लाम की पढ़ाई के लिए गया। नजफ में उसकी मुलाकात सैयद अब्बास मुसावी से हुई, जो मूसा सदर के शागिर्द थे।
1978 में, इराक में शिया और सुन्नी संघर्ष बढ़ने के बाद, नसरल्लाह और मुसावी वापस लेबनान लौट आया। 1982 में, दोनों ने हिजबुल्लाह का गठन किया। नसरल्लाह की उम्र उस समय सिर्फ 22 साल थी। हिजबुल्लाह ने इजराइल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू किया, जिसमें उसनेआत्मघाती हमलों और छापामार रणनीतियों का इस्तेमाल किया।
1985 में, इजराइल ने लेबनान से अपनी सेना वापस बुला ली, जबकि हिजबुल्लाह ने अपनी ताकत बढ़ाई। 1992 में, नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह की कमान संभाली और संगठन को राजनीतिक रूप से सक्रिय किया। उसके नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने पहली बार संसदीय चुनाव में सफलता हासिल की।
2000 में, इजराइल को दक्षिणी लेबनान से भागना पड़ा। 2006 में, हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच एक बार फिर युद्ध हुआ, जिसमें हिजबुल्लाह ने अपनी ताकत साबित की।
नसरल्लाह का परिवार(Hassan Nasrallah family) भी संघर्षों का शिकार रहा है। उसकी शादी फातिमा यासीन से हुई, और उनके चार बेटे और एक बेटी हैं। उनमें से दो बेटे मारे जा चुके हैं।
नसरल्लाह मिडिल ईस्ट में एक प्रमुख ताकत माना जाता था और उसके संगठन हिजबुल्लाह को साल 2017 अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा आतंकी संगठन घोषित किया गया था।