वहीं, पश्चिमी देशों को चिंता है कि इस प्रक्षेपण से ईरान को अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को और विकसित करने में मदद मिल सकती है। अब ईरान ने पुष्टि की है कि उपग्रह सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंच गया है, और यह प्रक्षेपण पूरी तरह से सफल रहा है।
ईरानी मीडिया ने बताया कि यह प्रक्षेपण तेहरान से लगभग 350 किलोमीटर पूर्व स्थित शाहरूद शहर के बाहरी इलाके से किया गया। बताया जा रहा है कि उपग्रह को ‘मोबाइल लांचर’ की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया।
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पश्चिमी देशों में चिंता की लहर
इस प्रक्षेपण ने पश्चिमी देशों को चिंता में डाल दिया है, खासकर इसलिए कि इसे ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के साथ जोड़ा जा रहा है। पश्चिमी देशों को डर है कि इस प्रक्षेपण के माध्यम से ईरान अपनी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों को और सशक्त कर सकता है। अमेरिका ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि ईरान का अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान कार्यक्रम लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के विकास में मदद कर सकता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ईरान के हालिया सैटेलाइट प्रक्षेपण पर अपनी चिंता जाहिर की है। मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका लंबे समय से इस बात की चिंता करता आ रहा है कि ईरान का अंतरिक्ष प्रक्षेपण कार्यक्रम उसकी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों को और मजबूत कर सकता है। इस प्रक्षेपण के जरिए ईरान को अपने मिसाइल कार्यक्रम को विस्तार देने में मदद मिल सकती है, जिससे सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
कायम-100’ नामक रॉकेट का किया इस्तेमाल
पश्चिम एशिया में इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच, ईरान ने चुपके से एक नया सैटेलाइट प्रक्षिप्त किया है। इस प्रक्षेपण से पहले, ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे।
ईरान का परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम भी लगातार जारी है, जिसे लेकर निरस्त्रीकरण विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जताई है। इस बीच, ईरान की गतिविधियाँ और प्रक्षेपण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गए हैं।
ईरान ने बताया है कि उसने अपने हालिया उपग्रह प्रक्षेपण के लिए ‘कायम-100’ नामक रॉकेट का इस्तेमाल किया। यह वही रॉकेट है जिसका उपयोग रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने जनवरी में एक सफल प्रक्षेपण के दौरान किया था। सरकारी मीडिया के अनुसार, इस प्रक्षेपण में ‘चमरान-1’ नामक उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया, जिसका वजन 60 किलोग्राम है।