Iran India Relations:

ईरान का भारत पर भरोसा, बताया-पश्चिम एशिया में मोदी सरकार कैसे कम कर सकती है तनाव?

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बाद अब ईरान ने भी भारत को वैश्विक तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मान लिया है। भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने हाल ही में कहा कि भारत एक बड़ी शक्ति है और वह मध्य पूर्व में संघर्षों को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। उनका यह बयान तब आया है जब वैश्विक स्तर पर तनाव की स्थिति बढ़ती जा रही है, खासकर ईरान और इजराइल के बीच।

बढ़ते तनाव के बीच भारत की भूमिका

हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इस स्थिति के मद्देनजर, विश्व नेताओं ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। हालांकि, तनाव में कोई कमी आती नजर नहीं आ रही है। इराज इलाही ने अपने बयान में कहा, “ईरान ने भारत और अन्य प्रभावशाली देशों से संघर्ष के बीच शांति की अपील की है।” यह दर्शाता है कि भारत को एक संभावित मध्यस्थ के रूप में देखा जा रहा है।

भारत-ईरान के संबंध पुराने

भारत और ईरान के बीच संबंध लगभग 2,000 साल पुराने हैं, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित हैं। इलाही ने कहा कि भारत के इजराइल के साथ भी अच्छे संबंध हैं, लेकिन ईरान के साथ के रिश्ते उतने पुराने और गहरे हैं। यह लंबा इतिहास भारत को मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

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ईरान के राजदूत ने कहा कि ईरान भारतीयों और दूसरे देशों के नागरिकों के लिए एक सुरक्षित देश है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ईरान का चाबहार पोर्ट और अन्य कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट भारतीय-ईरानी संबंधों की रीढ़ हैं। चाबहार पोर्ट, जो भारत और ईरान के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, इसे और अधिक सुरक्षित बताया गया है। राजदूत ने कहा, “ईरान का क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार और संबंधों के लिए सुरक्षित है।”

चीन और रूस के साथ ईरान की बातचीत

इराज इलाही ने बताया कि तनाव के बीच ईरान चीन और रूस के साथ करीबी बातचीत कर रहा है। इन तीनों देशों के बीच सुरक्षा जानकारियों का आदान-प्रदान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने भारत और अन्य देशों से भी तनाव कम करने के लिए अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया है। यह ईरान की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता लाना है।