दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल गुजरात में जिस दिल्ली मॉडल की बात कर रहे है उसी दिल्ली मॉडल की सच्चाई कुछ और ही सामने आ रही है। लोगो को घर देने का वादा करने वाले केजरीवाल के खुद के विधानसभा की हालत बत से बत्त्तर है। अरविंद केजरीवाल के नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में 15 से 20 साल से जो लोग रह रहे है उनके हालत कुछ और ही बयां कर रहे है।
बारिश में भीगना किसको पसंद नहीं होता मगर सोचिये उन लोगो का जो जिनके सर पर छत नहीं है और उन्हें मजबूरन बारिश में भीगना पड़ रहा है। ये सोचना ही कितना डरावना है इतनी तेज़ बारिश में बिना छत के रहना और लगातार बारिश में भीगना कितनी बीमारियों को आमंत्रण दे सकता है लेकिन ऐसा हो रहा यह और कही न बल्कि नई दिल्ली के काली बाड़ी के लोग इससे जूझ रहे है।
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पुरे देश में इन दिनों जोरदार बारिश हो रही है दिल्ली भी इससे अछूती नहीं रही है। ऐसे ही दिल्ली में एक काली बाड़ी एरिया, जहा 500 परिवार रहते है और जैसे-तैसे अपने परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम करते है। इनमे से कोई छोटा-मोटा मजदूर है या तो कोई बैटरी रिक्शा चालक है। इतनी कठिनाइयाँ है परन्तु वह बस एक ही चीज़ चाहते है की जिन हालातों में उन्हें रहना पड़ रहा है उन हालातों में उनके बच्चों को न रहना पड़े। केजरीवालने अपने ही विधानसभा क्षेत्र में लोगो को बेघर कर दिया है, वो लोग जो बिजली का बिल भरते है , 500 लोगों को उसी दिन बेघर कर दिया जिस दिन भारी बारीश थी हो रही थी। लोगो के हाल खराब है बच्चे, बुढे, महिलाओं की दयनीय स्थिति है। ये वही लोग है जिन्होंने केरीवाल पर भरोसा कर उन्हें वोट दिया था आज वही लोग सडक पर है उनके घर तोड दिये गए जब भारी बारिश हो रही थी। बीमार लोग भी सडक पर तडपने को मजबूर हो गये है। लोगो का आरोप है की केजरीवाल ने उनके साथ धोखा किया है और अपने विधानसभा क्षेत्र को छोडकर पंजाब गुजरात पर फ्री की रेवडी बांटने का झुठा वादा कर रहे है।
वही अरविंद केजरीवाल जो गरीबों के मसीहा होने का दावा करते है, झुग्गी झोपडी के लोगों को सहारा देने और उन्हें अच्छी जिन्दगी देने की बात करते है पर वह गुजरात के चुनाव में इतने व्यस्त हो गए है की उन्हें अपने ही क्षेत्र के लोगों का हाल जानने की फुर्सत नहीं है। यह सब देखकर तो यह साफ हो जाता है की अरविंद केजरीवाल प्रचार में इस कदर व्यस्त है की उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र के हालत नज़र नहीं आ रही है या ये कह ले की उन्हें अब इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही।
अब बड़ा सवाल ये है की क्या यही है केजरीवाल का दिल्ली मॉडल? जो वह गुजरात में भी लाने की बात कर रहे है।
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