Israel Hamas ceasefire

आखिर इजराइल ने क्यों किया हमास के साथ सीजफायर? जानें नेतन्याहू की क्या है प्लानिंग

Israel Hamas ceasefire: 15 महीने के लंबे और भयानक युद्ध के बाद अब मिडिल ईस्ट में शांति की उम्मीद जगी है। इजरायल और हमास के बीच आखिरकार सीजफायर पर सहमति बन गई है। इस दौरान दोनों पक्षों ने कई शर्तें रखीं।

पिछले 15 महीनों में दुनिया के कई देशों ने इस युद्ध को रोकने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। युद्ध का दायरा इजरायल और गाजा के बाहर भी बढ़ा और ईरान, सीरिया, तुर्की, यमन और लेबनान जैसे देशों तक पहुंच गया।

अब सवाल यह है कि आखिरकार यह सीजफायर कैसे संभव हुआ? इसके पीछे क्या कारण हैं? इस समझौते से किसे ज्यादा फायदा हुआ है? क्या यह इजरायल की किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा है?

हालांकि, इस समझौते को लेकर इजरायल में विवाद भी शुरू हो गया है। वहां के कई नेता और नागरिक इस फैसले से नाराज हैं। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के करीबी नेता इतामार बेन-गविर ने विरोध स्वरूप अपना इस्तीफा तक दे दिया है।

सीजफायर पर क्यों सहमत हुए इजरायल और हमास

आठ महीने पहले भी सीजफायर को लेकर काफी चर्चा हुई थी। उस समय हमास ने अपनी सहमति जताते हुए कहा था कि वह सीजफायर के लिए तैयार है और इजरायल से शांति वार्ता करना चाहता है। लेकिन तब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद समझौते को ठुकरा दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि जब तक गाजा में अपने सभी लक्ष्य पूरे नहीं कर लेते, तब तक युद्ध जारी रहेगा। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या बदल गया कि नेतन्याहू इस बार समझौते के लिए तैयार हो गए।

Israel Hamas ceasefire

इजरायल का पक्ष क्या है 

पिछले कुछ महीनों में मिडिल ईस्ट में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। इजरायल का मानना है कि इस क्षेत्र में उसका दबदबा अब और मजबूत हो गया है। इजरायल ने लेबनान के मिलिशिया ग्रुप हिजबुल्लाह के कई अहम लड़ाकों को मार गिराया है। इसके अलावा, हमास के भी कई बड़े कमांडर, जैसे याह्या सिनवार, इजरायली ऑपरेशन में मारे गए हैं।

अक्तूबर में, इजरायल ने ईरान पर एयरस्ट्राइक कर उसके एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। वहीं, सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट भी हुआ, जो ईरान और लेबनान के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती थी। इस घटना के बाद लेबनान और कमजोर हो गया है। इन घटनाओं के चलते इजरायल ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, जबकि उसके दुश्मन अब पहले से ज्यादा कमजोर हो गए हैं।

नेतन्याहू की क्या थी मजबूरी

Israel Hamas ceasefire

इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में एक नई कहानी जुड़ी है। 15 महीने की लड़ाई के बाद भी इजरायल हमास को पूरी तरह खत्म करने में नाकाम रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार-बार कहा है कि वह हमास को पूरी तरह तबाह कर देंगे। लेकिन ऐसा अब तक संभव नहीं हो पाया है।

हमास को कमजोर करने और उसके कई बड़े कमांडरों को खत्म करने के बावजूद, वह बार-बार एक नई शक्ल में सामने आ जाता है। **द हिंदू** में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि इस युद्ध में जितने लड़ाके हमास ने खोए थे, उसने उतने ही नए तैयार कर लिए हैं।

यह साफ दिखाता है कि सिर्फ युद्ध के सहारे हमास को खत्म करना इजरायल के लिए आसान नहीं है। ऐसे में, बंधकों को छुड़ाने के लिए इजरायल को समझौता करना पड़ा। वहीं, बंधकों को लेकर देश के अंदर भी विरोध तेज हो रहे थे, जिसने इस फैसले को और जरूरी बना दिया।

अमेरिका का क्या था रोल 

जो बाइडेन लंबे समय से इजरायल और हमास के बीच युद्ध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर वे इजरायल के साथ भी खड़े हैं। अमेरिका ने इजरायल को कई हथियार भेजे हैं। अब, ट्रंप की शपथ से पहले एक समझौता हुआ है, और दुनियाभर की मीडिया इसे “ट्रंप फैक्टर” के तौर पर देख रही है। ट्रंप ने पहले ही कहा था कि अगर उनकी शपथ से पहले इजरायली बंधकों को नहीं छोड़ा गया, तो पूरा मिडल ईस्ट आग में जल जाएगा। ट्रंप को इजरायल का समर्थक माना जाता है।

इसके अलावा, यमन का भी एक पक्ष है। इजरायल-गाजा युद्ध के दौरान यमन की ओर से लगातार हमले हो रहे थे। इससे लाल सागर में होने वाली वाणिज्यिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं। इजरायल और अमेरिका के हमलों के बावजूद, हूती विद्रोहियों के हमले नहीं थमे हैं। माना जा रहा है कि अगर सीजफायर होता है, तो हूतियों के हमले भी रुक जाएंगे, जिससे ग्लोबल इकोनॉमी को फायदा हो सकता है।

Israel Hamas ceasefire

गाजा को कितना हुआ नुकसान 

इजरायल और हमास के बीच युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ। उस दिन, हमास के लड़ाकों ने दक्षिणी इजराइल पर हमला किया, जिसमें 1200 से ज्यादा लोग मारे गए और 250 से अधिक लोग बंधक बना लिए गए। इस पर इजरायल ने एक सैन्य अभियान शुरू किया, जिसके चलते गाजा के चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार 46,000 से ज्यादा फिलीस्तीनी मारे गए। लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए और हजारों लोग देश छोड़ने को मजबूर हुए। गाजा में इजरायली सैनिकों ने अंतरराष्ट्रीय मदद को भी पहुंचने नहीं दिया, जिससे यह इलाका पूरी तरह से तबाह हो गया है।

कैसे होगा समझौता पूरा 

कतर के प्रधानमंत्री ने बताया कि इजरायल और हमास के बीच एक तीन चरणों का समझौता हुआ है, जो रविवार से लागू होगा। आइए जानते हैं इन तीन चरणों के बारे में:

पहला चरण:  

पहला चरण 42 दिनों तक चलेगा। इस दौरान हमास 33 इजरायली बंधकों को रिहा करेगा, और बदले में इजरायल हजारों फिलिस्तीनियों को अपनी जेलों से छोड़ देगा। पहले दिन तीन बंधकों को रिहा किया जाएगा, और बाकी बंधकों की रिहाई छह हफ्तों में धीरे-धीरे होगी। इस दौरान, इजरायली सैनिक गाजा के सभी आवासीय इलाकों से बाहर चले जाएंगे, और फिलीस्तीनी अपने घरों में वापस लौट सकेंगे। गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी, और रोजाना सैकड़ों ट्रकों को मदद भेजने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही, अस्पतालों, क्लिनिकों और बेकरी के पुनर्निर्माण की शुरुआत होगी।

दूसरा चरण:  

इस चरण में बाकी बचे बंधकों को भी रिहा किया जाएगा, और इसके बदले में और फिलीस्तीनी कैदियों को छोड़ दिया जाएगा। इजरायल ने 1,000 फिलीस्तीनी कैदियों को रिहा करने की बात की है, जिनमें से लगभग 190 लोग ऐसे हैं, जो 15 साल या उससे ज्यादा की सजा काट रहे हैं। इस चरण में इजरायली सैनिकों की गाजा से पूरी तरह वापसी भी होगी।

तीसरा चरण: 

तीसरा और आखिरी चरण गाजा के पुनर्निर्माण का होगा, जो कई वर्षों तक चल सकता है।

 

 

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