भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर दुनिया को अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाया है। SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत ISRO ने दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अनडॉक करने में कामयाबी हासिल की है। यह उपलब्धि भारत के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। इस सफलता के साथ ही भारत ने अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बनने का गौरव हासिल कर लिया है, जिसने स्पेस डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है।
क्या है SpaDeX मिशन?
SpaDeX मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट को डॉक और अनडॉक करने की तकनीक का परीक्षण करना था। इस मिशन में Chaser और Target नाम की दो सैटेलाइट शामिल थीं। पहले चरण में, Chaser सैटेलाइट ने Target सैटेलाइट के साथ सफलतापूर्वक डॉकिंग की। इसके बाद अनडॉकिंग की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें ISRO ने एक कठिन तकनीक का इस्तेमाल किया। अनडॉकिंग के दौरान कैप्चर लीवर को रिलीज किया गया और डी-कैप्चर कमांड जारी किया गया। इसके बाद दोनों सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया। यह तकनीक भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है और भविष्य में अंतरिक्ष में सैटेलाइट की मरम्मत, रीफ्यूलिंग और स्पेस डेब्रिस (मलबा) हटाने जैसे जटिल कार्यों में मददगार साबित होगी।
Spadex undocking captured from both SDX-1 & SDX-2! 🛰️🛰️🎥
Watch the spectacular views of this successful separation in orbit.
Congratulations to India on this milestone! 🇮🇳✨ #Spadex #ISRO #SpaceTech pic.twitter.com/7u158tgKSG
— ISRO (@isro) March 13, 2025
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह सफलता?
इस सफलता के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही स्पेस डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक में महारत हासिल कर पाए थे। भारत की यह उपलब्धि न केवल उसे अंतरिक्ष महाशक्तियों के समकक्ष लाती है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी नई संभावनाएं खोलती है। इस तकनीक के जरिए भारत अब अंतरिक्ष में बड़े अंतरिक्ष यान और मॉड्यूल जोड़कर स्पेसक्राफ्ट बनाने में सक्षम हो गया है। यह तकनीक भारतीय स्पेस स्टेशन (BAS) के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाएगी। ISRO के मुताबिक, 2028 में पहला मॉड्यूल लॉन्च करने की योजना है, जिसके बाद भारत 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बना सकता है।
भविष्य के मिशनों के लिए क्यों जरूरी है SpaDeX?
SpaDeX मिशन की सफलता से भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान और चंद्रयान-4 जैसे प्रोजेक्ट्स को नई गति मिलेगी। ISRO अब ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है, जिससे पृथ्वी की कक्षा में छोड़े गए सैटेलाइट को वापस लाया जा सके। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर उन्हें रीफ्यूलिंग और दोबारा सक्रिय करने की क्षमता भी विकसित की जा रही है। यह तकनीक गहरे अंतरिक्ष अभियानों, चंद्रमा और मंगल पर बेस बनाने और स्पेस में वैज्ञानिक प्रयोगों में भी मददगार साबित होगी। इससे भारत न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा भी मनवाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने दी बधाई
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ISRO की टीम को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक बड़ा कदम बताया। शाह ने कहा कि यह सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान-4 और गगनयान’ मिशन के सपने को और रफ्तार देगी।
Bharat’s giant stride in space.
Congratulations to Team @isro on the successful accomplishment of the de-docking of the #SPADEX satellites in space. It is a proud moment for us that will accelerate PM Shri @narendramodi Ji’s vision to build our own space station, Chandrayaan 4…
— Amit Shah (@AmitShah) March 13, 2025
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का सपना
ISRO का लक्ष्य है कि 2035 तक भारत अपना खुद का स्पेस स्टेशन स्थापित कर ले। इसके पहले मॉड्यूल को 2028 तक लॉन्च किया जाएगा। यह स्पेस स्टेशन भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।
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