ISRO SpaDeX mission : इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए अपने PSLV-C60 SpaDeX मिशन को लॉन्च कर दिया है। इस मिशन में इसरो ने दो उपग्रहों का इस्तेमाल किया है, जिन्हें “चेजर” (chaser) और “टारगेट” (Target) नाम दिया गया है। इन दोनों उपग्रहों का वजन 220 किलो है। स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इसरो पहले भी कई चमत्कार कर चुका है, और आज का यह कदम एक और नया इतिहास रचने की ओर बढ़ा है।
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLV-C60 with SpaDeX and innovative payloads from Sriharikota, Andhra Pradesh. First stage performance normal
SpaDeX mission is a cost-effective technology demonstrator mission for the demonstration of in-space docking… pic.twitter.com/ctPNQh4IUO
— ANI (@ANI) December 30, 2024
अब तक सिर्फ तीन देशों के पास ये तकनीक
यह मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक मौका साबित हो सकता है। अगर यह सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसने स्पेस में डॉकिंग की तकनीक हासिल की हो। फिलहाल, यह तकनीक सिर्फ तीन देशों – रूस, अमेरिका और चीन – के पास है। स्पैडेक्स टेक्नोलॉजी भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
चंद्रयान-4 मिशन इस मिशन की सफलता पर निर्भर
भारत का चंद्रयान-4 मिशन, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाने की योजना है, पूरी तरह से इस मिशन की सफलता पर निर्भर करेगा। चंद्रयान-4 को 2028 में लॉन्च किए जाने की संभावना है।
क्या है SpaDeX मिशन?
#WATCH | PSLV-C60 successfully launches SpaDeX and 24 payloads.
Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLV-C60 with SpaDeX and innovative payloads from Sriharikota, Andhra Pradesh.
(Source: ISRO) pic.twitter.com/xq1fTogHGk
— ANI (@ANI) December 30, 2024
SpaDeX, जिसका मतलब है स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट, एक खास मिशन है। इसमें पीएसएलवी-सी 60 रॉकेट से दो छोटे अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वहां, इन यानों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग कहते हैं। वहीं, जब अंतरिक्ष में ही इन दोनों यानों को अलग किया जाता है, तो इसे अनडॉकिंग कहा जाता है।
इसरो अपने नए मिशन के जरिए एक खास तकनीक का प्रदर्शन करेगा। इस मिशन में लॉन्च किए गए उपकरणों को जोड़ने (डॉकिंग) और फिर अलग करने (अनडॉकिंग) का परीक्षण किया जाएगा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है कि एक उपकरण (चेजर) अपने लक्ष्य (टार्गेट) का पीछा करे और उसे पकड़ सके। यह प्रक्रिया भविष्य में बड़े अंतरिक्ष मिशनों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है। भारत का लक्ष्य है कि 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन तैयार किया जाए, और आज का यह मिशन उस लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम है।
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ तकनीक तब इस्तेमाल होती है जब एक मिशन के लिए कई रॉकेट लॉन्च करना जरूरी होता है। इसरो के अनुसार, स्पाडेक्स मिशन के तहत दो छोटे उपग्रह, जिनका वजन लगभग 220 किलो है, पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक गोलाकार कक्षा में भेजे जाएंगे। ये उपग्रह 55 डिग्री झुकाव के साथ लॉन्च होंगे और उनकी कक्षा का समय लगभग 66 दिन का होगा।
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