गुलाम नबी आजाद ने आर्टिकल 370 पर उठाई आवाज, कहा- ‘कोई भी बाहरी जमीन और नौकरी न पा सके इसके लिए…’
jammu and kashmir elections 2024: जम्मू-कश्मीर में चल रहे विधानसभा चुनावों के संदर्भ में, पूर्व कांग्रेसी नेता और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने आर्टिकल 370 को लेकर अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 (के प्रावधानों) की बहाली विधानसभा के माध्यम से संभव नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह एक ऐसा कानून लाने का प्रयास करेंगे, जो सुनिश्चित करे कि बाहरी लोग इस क्षेत्र में न तो जमीन खरीद सकें और न ही नौकरी प्राप्त कर सकें।
नेताओं के वादों पर उठाए सवाल
आजाद ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन जम्मू में आयोजित विभिन्न रैलियों में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “लोगों को नेताओं के झूठे वादों से गुमराह नहीं होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि हम विकास और प्रगति के लिए सही उम्मीदवारों का चयन करें।” उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने आर्टिकल 370 की वापसी के बारे में जो वादे किए हैं, वे असत्य हैं और वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं।
आर्टिकल 370 की बहाली पर व्यक्त की चिंताएँ
गुलाम नबी आजाद ने विधानसभा चुनावों के दौरान स्पष्ट किया कि वे अनुच्छेद 370 की वापसी के पक्ष में हैं, लेकिन भाजपा से किसी भी उम्मीद को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया कि वह इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सही तरीके से बात करने में विफल रही है। उनका मानना है कि केवल विधानसभा के जरिए अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं है, लेकिन वह यह सुनिश्चित करने के लिए कानून पेश कर सकते हैं कि बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकें और नौकरी नहीं पा सकें। उन्होंने कहा, “आर्टिकल 370 का सार यही था कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा की जाए।”
सच बोलने की प्रतिबद्धता
आजाद ने अपने भाषण में यह भी कहा कि वह कभी भी झूठी आशाएँ नहीं देंगे और न ही अवास्तविक वादे करेंगे। उन्होंने कहा, “कुछ लोग झूठ के अभ्यस्त हो गए हैं और उन झूठों के आधार पर मतदान कर रहे हैं। मैं हमेशा सच बोलता हूँ, जिसे कुछ ही लोग समझ पाते हैं।” उन्होंने यह स्वीकार किया कि राजनीतिक नेताओं द्वारा दिए गए झूठे वादों के कारण लोगों में व्यापक मोहभंग पैदा हो चुका है, जिसके चलते केवल अराजकता और विभाजन ही उत्पन्न हुआ है।
विकास की आवश्यकता
आजाद ने इस बात पर जोर दिया कि कई राजनीतिक दलों ने विभिन्न क्षेत्रों के विकास में विफलता का बहाना बनाकर लोगों के बीच विभाजन को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, “इससे संघर्ष और अराजकता बढ़ी है, जबकि सत्ता में बैठे लोग अपने विशेषाधिकारों का आनंद लेते रहे हैं।” उन्होंने जनसामान्य से अपील की कि वे एकजुट होकर सही दिशा में मतदान करें ताकि जम्मू-कश्मीर का विकास हो सके।
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