क्या जम्मू-कश्मीर को मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा? प्रस्ताव को LG मनोज सिन्हा की मंजूरी
जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना जरूरी
उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना जरूरी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर के लोगों के संवैधानिक अधिकारों को पुनः प्राप्त करने और उनकी पहचान की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसके साथ ही, यह कदम राज्य की राजनीतिक स्थिरता को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक पहल है।
4 नवंबर को नई जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र श्रीनगर में आयोजित किया जाएगा। इस विधानसभा सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और इसके बाद उपराज्यपाल को संबोधित किया जाएगा।
हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (PC) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि प्रस्ताव में केवल राज्य का दर्जा देने का जिक्र किया गया है, जबकि अनुच्छेद 370 का कोई उल्लेख नहीं है। इन दलों का मानना है कि यह प्रस्ताव आत्मसमर्पण की तरह है और इसे नेशनल कॉन्फ्रेंस की नीतियों के खिलाफ बताया गया है।
चुनावी वादे को पूरा करना चाहते हैं उमर अब्दुल्ला
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव के बाद प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने की योजना बनाई है। यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की बात उठाई जाएगी।
यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन द्वारा किए गए वादों का हिस्सा है। इस चुनाव में लोगों से वादा किया गया था कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। अब जब कांग्रेस-एनसी गठबंधन को बहुमत मिला है, तो उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने हैं। उनका चुनावी अभियान जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान और लोगों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के वादे पर केंद्रित था।