देश में एक बार फिर से मनुस्मृति को लेकर चर्चा तेज हो गई है। जहां अभी तक इस पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ था, वहीं अब जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान के बाद राजनीति तेज हो सकती है। दरअसल जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को मनुस्मृति को नहीं फाड़ना चाहिए था। बता दें कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य का बयान ऐसे समय पर आया है, जब देश में मनुस्मृति और अंबेडकर को लेकर राजनीति हो रही है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दिया बड़ा बयान
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक निजी मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि भीमराव अंबेडकर का मैं बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन उन्हें मनुस्मृति को नहीं फाड़ना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति भारत का पहला सविंधान है। मनुस्मृति में कुछ भी गलत नहीं लिखा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वो मेरे सामने होते तो मैं उन्हें मनुस्मृति का सही अर्थ बताता।
खुद को कहा हिंदू धर्म का आचार्य
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहन भागवत को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म का आचार्य मैं हूं.मैं हूं जगदगुरु, हिंदू धर्म पर अनुशासन मेरा होता है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत एक संगठन के प्रमुख हैं, उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा हिंदू धर्म से जुड़ा अनुशासन मेरा होता है।
आत्मरक्षा करना सबका अधिकार
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सर्वे को लेकर कहा कि हम सर्वे के आधार पर ही अपने मंदिरों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकार मांगना पाप नहीं है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि हमें नेता नहीं बनना है, हम अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां-जहां सर्वे से मंदिर के प्रमाण मिलेंगे, वहां हम संघर्ष करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हम हिंदुओं को नहीं उकसा रहे हैं,आत्मरक्षा करना सबका अधिकार है। उन्होंने कहा कि हिंदू कितना सहन करेगा? अब हमें आत्मरक्षा करनी पड़ेगी, हिंदुओं के साथ कितना अत्याचार हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को जागना पड़ेगा, क्योंकि ओम शांति-शांति का नारा पुराना हो गया है, अब ओम क्रांति-क्रांति होना चाहिए।
मनुस्मृति को लेकर देशभर में बवाल
बता दें कि मनुस्मृति को लेकर देशभर में बवाल चल रहा है। आज यानी 26 दिसंबर को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय चौराहे पर भगतसिंह छात्र मोर्चा के कार्यकर्ता मनुस्मृति प्रतीकात्मक प्रति जलाने के उद्देश्य से इकट्ठा हुए थे। हालांकि सूचना मिलने के तुरंत बाद प्राक्टोरियल बोर्ड भी पहुंची थी और छात्रों को मना करने लगी थी। लेकिन वहां दर्जनों की संख्या में मौजूद छात्रों ने अपना धरना शुरू कर दिया था। जानकारी के मुताबिक करीब 3 घंटे बाद छात्र वहां से गये थे।
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