Jamun Fruit: जामुन के सहारे भगवान राम ने काटे थे अपने वनवास के दिन, फल ही नहीं पत्तियां और बीज भी है बहुत फायदेमंद
Jamun Fruit: जंगल का मेवा कहा जाने वाला जामुन (Jamun) एक ऐसा फल है जिसे देवताओं का फल (Fruit of Gods) कहा जाता है। कुछ वर्षों पहले तक जामुन (Indian Blackberry) आसानी से सड़कों के किनारे बहुत सस्ते में मिल जाया करता था। लेकिन अब जामुन के औषधीय गुणों, विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए, के कारण इसकी मांग बहुत बढ़ गयी है। चुकि अब मांग ज्यादा है और इसके पेंड़ कम, इसलिए इस फल की कीमत भी अब आसमान छू रही है।
जामुन का है भगवान राम से सम्बन्ध (Jamun Connection with Bhagwan Ram)
पर्पल कलर के इस फल का भारतीय पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान है। कहा जाता है कि भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान जंगलों में कंद-मूल खाकर जीवित रहे थे। बताया जाता है कि भगवान राम के कंद-मूल में जामुन का विशेष स्थान था। चुकि भगवान राम ने वनवास के दौरान इस फल का सेवन किया था इसीलिए इस फल को देवताओं का फल (Fruit of Gods) कहा जाता है। आपको बता दें कि इस फल की विशेष महत्ता के कारण ही भगवान राम के मंदिरों में हमेशा कम से कम एक जामुन का पेड़ जरूर लगाया जाता है। कई जगहों पर ऐसा देखा गया है कि जामुन के फल और पत्तियां भगवान को अर्पित की जाती है।
जामुन में पोषण तत्व (Nutritional Value of Jamun)
जामुन पोषक तत्वों से भरा हुआ फल है। जामुन सूजन को कम करते हुए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन सी और स्वस्थ अंग कामकाज को बनाए रखने के लिए विटामिन ए (Vitamin A) का एक अच्छा स्रोत है। फल पाचन तंत्र को नियंत्रित करने के लिए फाइबर का भी स्रोत हैं और इसमें पोटेशियम, लौह, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और विटामिन बी 6 होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में, जामुन के पेड़ के फल और अन्य भागों का उपयोग एनीमिया के इलाज, रक्त शोधक के रूप में कार्य करने, पाचन समस्याओं और गले की खराश को शांत करने और श्वसन संक्रमण में सहायता करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त जामुन डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाण है। ना सिर्फ आयुर्वेद बल्कि एलोपैथ में भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए जामुन खाने की सलाह दी जाती है।
फल ही नहीं जामुन के पत्ते और बीज का भी है उपयोग (Leaves and seeds of Jamun are also useful)
जामुन का पेड़ (Jamun tree) न केवल अपने स्वादिष्ट फलों के लिए बल्कि इसके पत्तों और बीजों में पाए जाने वाले विभिन्न लाभकारी गुणों के लिए भी मूल्यवान है। आयुर्वेद में, जामुन के पेड़ के विभिन्न हिस्सों का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जबकि फल को उसके मीठे और तीखे स्वाद के लिए पसंद किया जाता है, पत्तियां और बीज अतिरिक्त चिकित्सीय गुण प्रदान करते हैं, जिससे जामुन का पेड़ पारंपरिक चिकित्सा और हर्बल उपचार में एक मूल्यवान संसाधन बन जाता है।
जामुन की पत्तियों के लाभ (Jamun Leaves Benefits) – जामुन की पत्तियां अपनी चिकित्सीय क्षमता के लिए जानी जाती हैं। पारंपरिक चिकित्सा में, पत्तियों का उपयोग उनके डायबिटीज विरोधी गुणों के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। पत्तियों में एल्कलॉइड और ग्लाइकोसाइड जैसे यौगिक होते हैं, जो उनके औषधीय महत्व में योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, जामुन की पत्तियों का अर्क पाचन संबंधी समस्याओं के प्रबंधन के लिए फायदेमंद माना जाता है और इसमें रोगाणुरोधी गुण होते हैं।
जामुन के बीज के फायदे (Jamun Seeds Benefits)- जामुन के फल के भीतर पाए जाने वाले बीज का उपयोग उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए भी किया जाता है। इनमें जंबोलिन जैसे यौगिक होते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि इनमें डायबिटीज विरोधी प्रभाव होते हैं। बीजों को अक्सर पाउडर बनाया जाता है और विभिन्न पारंपरिक उपचारों में उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि जामुन के बीज के अर्क में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, बीज एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़कर समग्र स्वास्थ्य में योगदान कर सकते हैं।
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