Jigu Sorthi, Life Sentence, Surat Police, Leicester Court, UK to India, Murder Case, Legal Transfer

पहली बार, यूके में आजीवन सजा काट रहे अपराधी को भारत लाकर दी जाएगी सजा, जानें पूरा मामला

यह पहली बार है जब ब्रिटेन में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक अपराधी को भारत लाकर उसकी सजा जारी रखने का फैसला लिया गया है। यह मामला 23 वर्षीय जिगु सोरठी का है, जिसे यूके की लेस्टर कोर्ट ने अपनी मंगेतर भाविनी की बेरहमी से हत्या करने के लिए 28 साल की सजा सुनाई थी। जिगु ने मार्च 2020 में भाविनी को चाकू से गोदकर मार डाला था। इस मामले ने तब बड़ी सनसनी मचाई थी और अदालत ने इसे बेहद जघन्य और बर्बर हत्या करार दिया था। अब, चार साल बाद, दोनों देशों के बीच हुए संधि करार के तहत जिगु सोरठी को भारत लाकर उसकी सजा को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है।

क्या था मामला?

मार्च 2020 में जिगु सोरठी ने अपनी मंगेतर भाविनी की हत्या कर दी थी। 21 वर्षीय भाविनी और जिगु की शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन जिगु ने अपनी मानसिक स्थिति के कारण उसे बेरहमी से मार डाला। यूके की लेस्टर कोर्ट ने इस हत्या को बेहद दर्दनाक और निर्मम करार देते हुए जिगु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा था कि यह हत्या किसी बर्बरता से कम नहीं थी। भाविनी का परिवार अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य की उम्मीद लगाए था, लेकिन जिगु ने उनकी उम्मीदों को चूर-चूर कर दिया।

संधि करार के बाद जिगु आया भारत 

यूके और भारत सरकार के बीच हुए संधि करार के बाद जिगु को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हुई। जिगु के परिवार ने यूके और भारत सरकार से उसे भारत भेजने की अपील की थी, जिसके बाद दोनों देशों ने इसे मंजूरी दी। ब्रिटिश एस्कॉर्ट के अधिकारियों के साथ जिगु को दिल्ली लाया गया, जहां सूरत पुलिस के अधिकारियों ने उसे हिरासत में लिया। सूरत पुलिस के एसीपी एम के राणा और उनकी टीम ने  जिगु को पकड़ लिया और फिर उसे सूरत भेज दिया। इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो भी तैयार किया गया, जिसे डॉक्युमेंटेशन के रूप में रखा गया।

लाजपोर जेल में सजा पूरी करेगा जिगु 

दिल्ली से सूरत पहुंचने के बाद जिगु को लाजपोर जेल भेज दिया गया, जहां अब उसकी सजा जारी रहेगी। यह घटना भारतीय और यूके सरकार के बीच के सहयोग की मिसाल है और एक नई प्रक्रिया की शुरुआत भी है, जहां अपराधियों को एक देश से दूसरे देश में ट्रांसफर किया जा सकता है। यह कदम भारत और यूके के बीच आपसी समझ और संधियों के तहत लिया गया है, जो कि भविष्य में ऐसे और मामलों को सुलझाने में मददगार साबित होगा। इस मामले ने भारतीय न्याय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ताकत को भी उजागर किया है, जो अपराधियों को किसी भी देश में उनके अपराध की सजा दिलाने में सक्षम है।

इनपुट- अमित सिंह, सूरत