J&K Election 2024: Why did BJP not field candidates on 28 seats of the valley? Political strategy or compulsion?

J&K Election 2024: BJP ने घाटी की 28 सीटों पर क्यों नहीं उतारे उम्मीदवार? सियासी रणनीति या मजबूरी?

J&K Election 2024:  जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने इस बार घाटी की 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। यह कदम पार्टी की रणनीति का हिस्सा या सियासी मजबूरी का परिणाम हो सकता है। साल 2002 के चुनाव में भी बीजेपी ने इसी तरह का निर्णय लिया था, उस वक्त केंद्र में  अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी। BJP आलाकमान ने फैसला लिया और 29 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे। इसकी वजह पूछने पर बीजेपी ने इसे अपने रणनीति का हिस्सा बताया था, लेकिन जब चुनाव के रिजल्ट आए तो पार्टी की रणनीति  फेल हो गई और भाजपा सिर्फ एक सीट पर सिमट गई।

अब इस साल भी बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। जिन 28 सीटों पर पार्टी की तरफ से उम्मीदवार नहीं उतारे गए हैं, वो सभी सीटें कश्मीर रीजन की है। भाजपा ने  इस बार क्या सोच कर ऐसा फैसला किया इसे लेकिन अभी तक पार्टी के किसी भी नेता इस पर कुछ बयान नहीं दिया है।

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बीजेपी ने कश्मीर की 28 सीटों पर क्यों नहीं उतारे उम्मीदवार? 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने घाटी की 28 महत्वपूर्ण सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। इनमें कुपवाड़ा, बारामूला, गांदरबल, श्रीनगर, बडगाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों की सीटें शामिल हैं।

J&K Election 2024

बीजेपी ने जिन सीटों पर नहीं उतारे उम्मीदवार

कुपवाड़ा जिले की 4 सीटें: त्रेहगाम, कुपवाड़ा, लोआब, और लांगले

बारामूला जिले की 7 सीटें: सोपोर, रफियाबाद, उड़ी, बारामूला, गुलमर्ग, करेड़ी, और पाटन

गांदरबल जिले की 2 सीटें: कंगन और गांदरबल

श्रीनगर जिले की 4 सीटें: हजरतबल, खन्यार, जैदबल, और मध्य शाल्टेंग

बडगाम जिले की 3 सीटें: बडगाम, बीरवाह, और चदूरा

पुलवामा जिले की 2 सीटें: त्राल और पुलवामा

शोपियां जिले की 1 सीट: जैनापोरा

कुलगाम जिले की 3 सीटें: डीएच पोरा, कुलगाम, और देवसर

अनंतनाग जिले की 2 सीटें: दूरु और पहलगाम

ये सभी सीटें कश्मीर क्षेत्र में आती हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें 47 कश्मीर क्षेत्र की हैं और 43 जम्मू क्षेत्र की। लोकसभा के लिहाज से, केंद्रशासित प्रदेश में कुल 5 सीटें हैं, जिनमें 3 कश्मीर क्षेत्र की हैं और 2 जम्मू क्षेत्र की हैं। हाल ही में बीजेपी ने कश्मीर क्षेत्र की 3 लोकसभा सीटों पर भी उम्मीदवार नहीं उतारे थे।

बीजेपी की रणनीति और मजबूरी

2008 में बीजेपी ने 23 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे, जबकि 2014 में यह संख्या घटकर 12 रह गई थी। इस बार पार्टी ने कश्मीर की 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया है, हालांकि पार्टी ने कश्मीर के बदलते हालात की बात की है।

बीजेपी की कश्मीर में दो प्रमुख रणनीतियाँ हैं

1- जम्मू क्षेत्र पर फोकस

बीजेपी का मुख्य फोकस इस बार जम्मू क्षेत्र पर है। पार्टी की योजना है कि जम्मू के सभी 43 सीटों को जीतकर, श्रीनगर में सरकार बनाने के लिए आवश्यक 46 सीटों का आंकड़ा आसानी से पार कर सके।

2- इंडिया गठबंधन को कमजोर करना

पार्टी का मानना है कि अगर इंडिया गठबंधन कश्मीर क्षेत्र की सभी सीटें नहीं जीतता है, तो सरकार बनाना आसान हो जाएगा। इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने कश्मीर की 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, ताकि पार्टी के समर्थक पर्दे के पीछे से उन उम्मीदवारों को वोट दें, जो इंडिया गठबंधन को हराने में सक्षम हों।

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पार्टी का मामना है कि अगर इंडिया गठबंधन कश्मीर की सभी सीटें नहीं जीतता है, तो सरकार बनाने का रास्ता आसान हो जाएगा। यही कारण है कि बीजेपी ने कश्मीर के उन क्षेत्रों पर उम्मीदवार नहीं उतारे जहां पार्टी का जनाधार बहुत कमजोर है। इसके बदले, पार्टी के समर्थक वहां से उन उम्मीदवारों को वोट देंगे जो इंडिया गठबंधन को हराने में सक्षम हैं।

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सियासी मजबूरी का भी हाथ

बीजेपी ने जिन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां पार्टी का पहले कोई मजबूत आधार नहीं रहा है। कई क्षेत्रों में पार्टी की जमानत भी जब्त हो चुकी है। कश्मीर की अधिकांश सीटों पर मुस्लिम समुदाय की आबादी बहुत ज्यादा है, जो बीजेपी की राजनीति के अनुकूल नहीं है। यही कारण है कि बीजेपी ने इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।

2014 के चुनावों में कुपवाड़ा की सीटों पर बीजेपी को महज 2 प्रतिशत वोट मिले थे, और यही हाल बारामूला, श्रीनगर और अनंतनाग की सीटों पर भी था। घाटी की अधिकांश सीटों पर मुस्लिम समुदाय की आबादी 90 प्रतिशत से अधिक है, जो बीजेपी की राजनीति से मेल नहीं खाती। इस वजह से, पार्टी ने इन सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने से परहेज किया है।

पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होंगे। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण का मतदान 26 सितंबर को और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। तीसरे चरण में सबसे ज्यादा 40 सीटों पर वोटिंग की जाएगी। सभी 90 सीटों पर वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी। राज्य विधानसभा में सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 सीटों की जरूरत है।