Pilot Baba Passed Away: पंच दशनम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन हो गया है। जानकारी के मुताबिक बाबा लंबे समय से बीमार थे। 86 वर्षिय पायलट बाबा ने इलाज के दौरान मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांसे ली। उनकी मौत से पूरे संत समाज में शोक है। पायलट बाबा के निधन के बाद जूना अखाड़े की सभी शाखाओं में तीन दिन का शोक घोषित किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने बताया कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे। वे साल 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए थे। तब से अब तक उनकी संन्यास यात्रा थी।
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वायुसेना में रह चुके हैं विंग कमांडर
86 वर्षिय पायलट बाबा को महायोगी कपिल सिंह के नाम से भी जाना जाता है। वे वायुसेना में पूर्व विंग कमांडर भी थे। संत बनने से पहले वह 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1965 में भारत-पाक युद्ध में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
कैसे बने पायलट से संत
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक उन्होंने ही दावा करते हुए बताया था कि जब वे मिग विमान उड़ा रहे थे, तब उनके साथ एक हादसा हुआ था। उनका विमान से नियंत्रण छूट गया। इसी दौरान उनके गुरु हरि गिरी महाराज उनके विमान में प्रकट हुए और उन्होंने ही उन्हें सुरक्षित लैंडिग कराने में मदद की। तब से बाबा सेना की लड़ाई से दूर शांति और अध्यात्म की तरफ चल पड़े । वे साल 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हो गए।
1998 में बने महामंडलेश्वर
पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। 1998 में उन्हें जून अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया गया। 2010 में उन्हें उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर पद पर भी अभिषिक्त किया गया।
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पायलेट बाबा की ये थी अंतिम इच्छा?
जानकारी के मुताबिक श्री महंत हरि गिरी महाराज ने बताया कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा थी कि उन्हें उत्तराखंड में समाधि दी जाए। उनकी आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, उन्हें समाधि देने पहुंचेंगे।