K-4 missile test

समुद्र से दागी गई K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल, जानिए क्यों है यह प्रशिक्षण इतना ख़ास ?

K-4 missile test: भारत ने अपनी परमाणु क्षमता में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। गुरुवार को भारतीय नौसेना ने अपनी नवीनतम परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया और इसने भारत की रक्षा क्षमता को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।

K-4 मिसाइल: भारत की नई ताकत

K-4 एक अत्याधुनिक सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल 3500 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बना सकती है, जो इसे भारत के पड़ोसी देशों के लिए एक गंभीर खतरा बनाती है। K-4 मिसाइल की खास बात यह है कि इसे पानी के अंदर से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसे दुश्मन के लिए पता लगाना और रोकना बहुत मुश्किल बना देता है।

इस मिसाइल का वजन लगभग 17 टन है और यह 39 फीट लंबी है। इसका व्यास 4.3 मीटर है और यह 2500 किलोग्राम वजन तक का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। K-4 मिसाइल दो चरणों में काम करती है और सॉलिड रॉकेट मोटर से संचालित होती है, जो इसे अधिक विश्वसनीय और तेज बनाती है।

K-4 missile test

INS अरिघाट: भारत की नई परमाणु पनडुब्बी

INS अरिघाट भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है, जिसे अगस्त 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह पनडुब्बी अरिहंत श्रेणी की है और इसमें चार वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम हैं, जिनसे K-4 मिसाइलें दागी जा सकती हैं। INS अरिघाट की क्षमता भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत से काफी बेहतर है, जो इसे और भी खतरनाक बनाती है।

इस पनडुब्बी का निर्माण भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें उन्नत डिजाइन और निर्माण तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें विशेष सामग्री और जटिल इंजीनियरिंग शामिल है। यह पनडुब्बी भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

K-4 missile test

इससे मिलेगी ‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’  

भारत की परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूज’ पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। लेकिन अगर भारत पर कोई परमाणु हमला होता है, तो वह जवाबी कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगा। K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण इस नीति को और मजबूत करता है, क्योंकि यह भारत को एक मजबूत ‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ प्रदान करता है।