KAMAL NATH: इंदिरा गांधी ने कमल नाथ को क्यों कहा था ‘तीसरा बेटा’! जानिए अब क्यों चर्चा में आई ये बात…
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। KAMAL NATH: राहुल गांधी के एमपी पहुंचने से पहले बीजेपी इस योजना पर अमल कर रही है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। कमलनाथ (KAMAL NATH) अपने बेटे नकुलनाथ के साथ दिल्ली में हैं। वह आज बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। संभव है कि उनके बेटे नकुलनाथ बीजेपी में शामिल हो जाएं। चर्चा है कि करीब 60 साल तक कांग्रेस में रहे कमल नाथ बीजेपी में शामिल हो गए हैं। आख़िरकार अपनी राजनीति के आख़िरी दौर में गांधी परिवार से नाता क्यों तोड़ रहे हैं कमलनाथ? यह फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चित सवाल है।
इन्दिरा गांधी का तीसरा बेटा कमलनाथ
एमपी के कद्दावर नेता कमल नाथ (KAMAL NATH) करीब 60 साल से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। वह गांधी परिवार के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं। इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा कहती थीं। खुद कमलनाथ जीवनभर इंदिरा को मां कहते रहे। कमल नाथ संजय गांधी और राजीव गांधी के खास सिपहसालार थे। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद भी वह पहले सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी के सलाहकार बने रहे। खबर है कि छिंदवाड़ा किला बचाने के लिए कमलनाथ कांग्रेस से नाता तोड़ने जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने बेटे नकुलनाथ का भविष्य सुधारने के लिए बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है। वे अपने बेटे के भविष्य के लिए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
छिंदवाड़ा किला बचाने के लिए बीजेपी से गठबंधन
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले कमलनाथ (KAMAL NATH) ने पहली बार 1980 में छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा था। 1997 के अलावा वे छिंदवाड़ा से लगातार 9 बार जीत चुके हैं। जब वे खुद चुनाव नहीं लड़े तो उनका परिवार छिंदवाड़ा से जीत गया। 1996 में उनकी पत्नी अलकानाथ सांसद चुनी गईं। 2018 में जब कमलनाथ मध्य प्रदेश के सीएम बने तो उन्होंने छिंदवाड़ा सीट अपने बेटे नकुलनाथ को दे दी। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले छिंदवाड़ा किला उनकी कमजोर नस बन गया है, जिसे वे किसी भी हाल में खोना नहीं चाहते हैं।
संजय गांधी और कमल नाथ दोनों बचपन के दोस्त थे
संकट के दौरान संजय गांधी ने युवा नेताओं की एक कोर टीम बनाई। उस टीम में जगदीश टाइटलर, कमल नाथ (KAMAL NATH), आरके धवन और रुखसाना सुल्ताना जैसे नेता शामिल थे। संजय गांधी और कमल नाथ दोनों बचपन के दोस्त थे। दोनों दून स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। बाद में, कमल नाथ ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी।कॉम स्नातक की पढ़ाई पूरी की। संजय गांधी से दोस्ती के चलते उन्होंने 1968 में यूथ कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। आपातकाल के बाद मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी।
इस घटना से कमल नाथ को गांधी परिवार की किरकिरी हुई
नई सरकार ने संजय गांधी (KAMAL NATH) और सरकार द्वारा गबन की जांच के लिए शाह आयोग की स्थापना की। फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ की रील और प्रिंट जलाने के आरोप में संजय गांधी को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। इस घटना का जिक्र राशिद किदवई की किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में भी किया गया है। पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब ‘संजय गांधी-अनटोल्ड स्टोरी’ में लिखा है कि इंदिरा गांधी जेल में बंद संजय गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित थीं। तभी एक मामले की सुनवाई के दौरान कमलनाथ जज से झगड़ पड़े। नाराज जज ने उन्हें सात दिन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया। इस घटना ने कमलनाथ को गांधी परिवार का करीबी बना दिया।
एमपी का किला बनेगा बीजेपी का गढ़!
कहा जाता है कि कमलनाथ (KAMAL NATH) इंदिरा गांधी को हमेशा मां कहकर बुलाते थे। संजय गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मृत्यु के बाद भी वह गांधी परिवार के भरोसेमंद करीबियों में से रहे। कमलनाथ कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। राव सरकार में नरसिम्हा पहली बार पर्यावरण मंत्री और कपड़ा मंत्री बने। वह मनमोहन सिंह की पहली सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री बने। यूपीए-2 में सड़क परिवहन, शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्रालय भी संभाला। वह 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। एमपी में कांग्रेस हमेशा से ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इर्द-गिर्द रही है। कमलनाथ को एमपी में कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता है। उनके बीजेपी में शामिल होने से एमपी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा। सिंधिया पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, अब कमल नाथ के शामिल होने से एमपी का गढ़ बीजेपी के लिए और मजबूत हो जाएगा।
कानपुर के कमलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़े
1979 में आपसी कलह के कारण मोरारजी देसाई की सरकार गिर गयी। 28 जुलाई 1979 को कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने। पांच महीने बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और जनवरी 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए। इस चुनाव में संजय गांधी ने अपने सभी करीबी लोगों को मैदान में उतारा था। युवाओं को लोकसभा टिकट दिये गये। कानपुर के कमलनाथ (KAMAL NATH) छिंदवाड़ा से चुनाव लड़े। 13 दिसंबर 1979 को इंदिरा गांधी उनके लिए प्रचार करने छिंदवाड़ा पहुंचीं। इस बैठक में इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी और संजय गांधी के बाद कमल नाथ को अपना तीसरा बेटा बताया और उन्हें जिताने की अपील की।
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