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Kandahar Hijack: जानिए खौफ के 8 दिनों की पूरी कहानी!

Kandahar Hijack: ‘कंधार हाईजैक’ इतिहास के पन्नों में दर्ज 24 दिसंबर 1999 की ये घटना एक बार फिर सुर्खियों में है। इस घटना पर आधारित एक वेब सीरीज ‘IC 814: द कंधार हाईजैक’ ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ़्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। अनुभव सिन्हा की इस वेब सीरीज से जुड़ी कई ऐसी बाते सामने आईं हैं जिन पर बवाल मचा हुआ है।

सोशल मीडिया पर इस फिल्म को बायकॉट करने की मांग उठ रही है। यूजर्स #IC814, #BoycottNetflix, #BoycottBollywood जैसे हैशटैग चलाकर इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है। आइए जानते हैं कंधार प्लेन हाईजैक की पूरी कहानी…

24 दिसंबर 1999 का वो दिन जब नेपाल की त्रिभुव इंटरनेशनल एयरपोर्ट से काठमांडू से दिल्ली जा रही उड़ान को हाईजैक कर लिया गया। आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार के पांच आतंकियों ने विमान को अगवा किया था। विमान में 180 लोग सवार थे, जिनमें पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स शामिल थे। प्लेन में ज्यादातर भारतीय यात्री ही थी, जो दिल्ली जा रहे थे। विमान जैसे ही भारतीय वायुसीमा में प्रवेश करता प्लाइट में पहले से मौजूद 5 हाईजैकर्स ने 4.53 बजे के करीब उसे अपने कब्जे में ले लिया।

फ्लाइट इंजीनियर ने अपनी किताब में क्या बताया?

उस समय के फ्लाइट इंजीनियर अनिल ने अपनी किताब ‘814 हाईजैक्ड: द इनसाइड स्टोरी’ में इस घटना से जुड़ी कई बाते बताई हैं। उन्होंने बताया, ‘शाम 4.39 बजे तक फ्लाइट भारतीय हवाई क्षेत्र में पहुंच गई और कॉकपिट में मौजूद लोग चाय और कॉफी पी रहे थे। तभी एक शख्‍स कॉकपिट में घुस आया। उनके चेहरे ढके हुए थे और उनके हाथों में ग्रेनेड और रिवॉल्वर थे। हाईजैकर्स ने चिल्‍लाते हुए प्लेन में बैठे यात्रियों से कहा कि कोई होशियारी नहीं करेगा और ना ही कोई हिलेगा। किसी ने भी कोई हरकत की तो अच्‍छा नहीं होगा। इस दौरान हाईजैकर्स ने विमान के पायलट और यात्रियों पर बंदूकें तान दी।’

27 यात्रियों को दुबई से रिहा किया गया

हाईजैकर्स विमान को दिल्ली से पाकिस्तान की ओर ले गए। उस समय विमान में इतना फ्यूल नहीं था कि उसे डायरेक्ट अफगानिस्तान ले जाया जा सके। दिल्ली से पाकिस्तान जाते वक्त हाईजैकर्स ने विमान को पहले अमृतसर हवाई अड्डे पर रोका और फिर लाहौर एयरपोर्ट के लिए निकल गए।

यहां रात में आने के बाद सुबह विमान लाहौर से दुबई रवना हुआ। रात पौने दो बजे के क़रीब दुबई पहुंचा। विमान में ईंधन कम था। इस दौरान ईंधन के बदले कुछ यात्रियों की रिहाई पर समझौता हुआ। जिसके बाद 27 यात्रियों को दुबई से रिहा किए गए।

रिहा किए गए यात्रियों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। इसके बाद विमान को कंधार ले जाया गया। बता दें कि प्लने हाईजैक करने के कुछ ही घंटों के अंदर अपहरणकर्ताओं ने रुपिन कात्याल नाम के एक 25 साल के युवक को चाकू घोप कर मार दिया था। वहीं, पेट के कैंसर से पीड़ित एक महिला को कंधार में इलाज के लिए विमान से बाहर जाने की इजाज़त दी गई थी। महिला को सिर्फ 90 मिनट के लिए ही बाहर जाने दिया गया था।

हाईजैकर्स की क्या थी मांगे?

प्लेन को हाईजैक करने के कुछ घंटों बाद ही अपहरणकर्ताओं ने अपनी मांगे भारत सरकार के सामने रख दी थी। शुरूआत में हाईजैकर्स ने भारतीय जेलों में बंद 36 आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी। साथ ही उन्होंने 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती भी मांगी थी।

अपहरणकर्ता एक कश्मीरी आंतकी के शव को सौंपे जाने की मांग कर रहे थे। तालिबान के बार-बार समझाने के बाद हाईजैकर्स ने पैसे और शव की मांग छोड़ दी। लेकिन भारतीय जेलों में बंद अपने साथियों को छोड़े जाने की मांग लगातार करते रहे।

8 दिन तक कंधार हवाई अड्डे पर रूका रहा विमान

बता दें कि हाईजैक विमान 8.33 बजे अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर उतरा था और 31 दिसंबर तक वहीं रुका था। यहां से ही भारत सरकार और हाईजैकर्स के बीच बातचीत होती थी। आठ दिनों तक सरकार और हाईजैकर्स के बीच मांगों को कम करने को लेकर बातचीत चलती रही।

यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए आठवें दिन उस समय की अटल बिहारी सरकार को हाईजैकर्स की कुछ मांगों को मानना पड़ा। जिसके बाद कुछ आतंकियों को रिहा किया गया। तत्‍कालीन विदेश मंत्री जसवन्त सिंह खुद रिहा किए गए तीन आतंकियों मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को कंधार लेकर गए।

अपहरणकर्ताओं और सरकार के बीच हुए समझौते के बाद 31 दिसंबर 1999 की रात कंधार एयरपोर्ट से फ्लाइट 814 से रिहा किए गए 155 बंधकों को भारत लाया गया। लेकिन रिहा हुए नागरिक 8 दिन तक इस खौफ के साथ जीते रहें। इस विमान में कुछ विदेशी यात्री भी थे। कंधार हाईजैक की वाजपेयी सरकार की सबसे बड़ी दुखती रग है। लेकिन उस समय सरकार के सामने हाईजैकर्स की कुछ मांगे मानने के आए और कोई चारा नहीं था।

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