Kanpur Ganga Mela 2024: भारत में होली का त्यौहार बड़े ही उमंग और हर्षोल्लास (Kanpur Ganga Mela 2024)के साथ मनाया जाता है। होली के दिन घर के सभी छोटे बड़े लोग मिलकर गुलाल के रंग के रंगे नजर आते है। हमारे देश में अलग अलग राज्यो में खास अंदाज में होली खेलने का प्रचलन है। जैसे मथुरा की लठ्ठमार होली, बरसाना की लड्डू,आंध्र प्रदेश में मदेरू, छड़ीमार होली इत्यादि शामिल है। लेकिन इन सब के अलावा उत्तर प्रदेश के कानपुर की होली भी काफी प्रसिद्ध है। दरअसल हर जगह पर होली एक या दो दिन की मनाई जाती है लेकिन कानपुर में होली सात दिन तक खेली जाती है और 7वें दिन गंगा मेला का आयोजन किया जाता है। ऐसे में आइए जानते है कानपुर में 7 दिन की होली क्यों खेली जाती है और क्या है गंगा मेला :-
क्रांतिकारियों से जुड़ी है गंगा मेला की कहानी:-
गंगा मेला की कहानी आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों से जुड़ी है। कानपुर में 7 दिनों की होली आज से नहीं बल्कि 82 साल पहले साल 1942 में शुरू हुई थी। तभी से कानपुर में 7 दिनों की होली खेली जाती है। होली की शुरूआत कानपुर में रंग पंचमी के दिन से मानी जाती है। जिसमें अलग अलग गांव से लोग एकत्रित होकर गंगा के तट पर एक दूसरे को रंग लगाते है। कहा जाता है कि गंगा मेला की कहानी 1942 में शुरू हुई थी। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने लोगों के होली खेलने पर बैन लगा दिया और व्यापारियों पर लगान बढ़ा दिया। जिसके खिलाफ जमींदारों ने मोर्चा छेड़ दिया। अंग्रेज कलेक्टर ने उन सभी जमींदारों को जेल में डाल दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने आजादी के लिए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
ऐसे हुई गंगा मेला की शुरूआत:-
अंग्रेजों द्वारा जमींदारों को गिरफ्तार करने के बाद ग्रामीणों द्वारा पूरे शहर में प्रदर्शन शुरू कर दिया और पूरे शहर में होली खेली गई। ग्रामीणों ने घोषणा कि जब तक जमींदारों को छोड़ा नहीं जाएगा तब तक लगातार होली खेली जाएगी। ग्रामीणों के प्रदर्शन से परेशान होकर अंत में अंग्रेजों ने हारकर अपना फैसला बदल दिया और जमींदारों को छोड़ने के साथ ही लगान भी माफ कर दिया। इस खुशी से ग्रामीणों ने रंग और गुलाल से होली खेली। जिस दिन ब्रिटिश सरकार द्वारा जमींदारों को छोड़ गया उस दिन अनुराधा नक्षत्र था। जिसकी वजह से हर साल अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेला मनाया जाता है। बता दें कि इस साल गंगा मेला की 83 वर्षगांठ मनाई जाएगी।
कैसे मनाया जाता है गंगा मेला:-
गंगा मेला के दिन हटिया स्थित पार्क में सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया जाता है। इस पार्क में अंग्रेजों के समय से झंडा लगा हुआ है। झंडा फहराने के बाद रंगो का ठेला निकाला जाता है जो 7 किलोमीटर घूमकर वापस पार्क पर ही आकर खत्म होता है। शाम को पार्क में बाल मेला का आयोजन किया जाता है। जिसमें बच्चे, बड़े हंसी खुशी से शामिल होते है।
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