दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से गर्मी बढ़ गई है। इस बार ये हलचल कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के बयान से आई है। संदीप दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल कभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। उनके इस बयान ने एक बार फिर से दिल्ली विधानसभा चुनाव की चर्चाओं को तेज कर दिया है और राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने का नहीं है अधिकार
संदीप दीक्षित ने साफ तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने का कोई अधिकार नहीं है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए किसी भी सरकारी फाइल पर साइन नहीं कर सकते, न ही मुख्यमंत्री दफ्तर जा सकते हैं, न ही अधिकारियों से मिलकर कोई आदेश दे सकते हैं। यानी, कोर्ट ने यह तय कर दिया था कि केजरीवाल को सीएम बनने का कोई अधिकार नहीं है।
#WATCH | Delhi: Congress leader Sandeep Dikshit says, “Arvind Kejriwal cannot become the Chief Minister of Delhi… The Supreme Court has clearly said that they will allow him to come out of jail, but he cannot sign any file as the Chief Minister of Delhi… This means that the… pic.twitter.com/in9hcOdoyb
— ANI (@ANI) December 22, 2024
बेल की शर्तों के कारण केजरीवाल की मुख्यमंत्री बनने की राह में अड़चन
संदीप दीक्षित ने यह भी बताया कि अरविंद केजरीवाल ने भले ही शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद संभाला हुआ है, लेकिन असल में यह उनके लिए एक मजबूरी बन गई है। उनका कहना था कि अगर अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन जाते हैं और किसी सरकारी फाइल पर साइन करते हैं या अधिकारियों से मुलाकात करते हैं, तो उनकी बेल की शर्तें टूट जाएंगी और इसके बाद उन्हें फिर से जेल जाना पड़ सकता है। इसलिए केजरीवाल के लिए मुख्यमंत्री बनना असंभव है, क्योंकि वह बेल की शर्तों को तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते।
नई दिल्ली सीट पर कड़ा मुकाबला: केजरीवाल vs संदीप दीक्षित
दिल्ली की नई दिल्ली विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने इस बार संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। यह वही सीट है जहां अरविंद केजरीवाल ने 2013 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया था। तब से वह लगातार इस सीट से विधायक बने हुए हैं। इस बार कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि संदीप दीक्षित अपनी मां शीला दीक्षित की हार का बदला लेना चाहते हैं।
क्या कांग्रेस इस बार नई दिल्ली सीट को वापस जीत पाएगी?
नई दिल्ली सीट पर इस बार संदीप दीक्षित और अरविंद केजरीवाल के बीच सीधा मुकाबला है। अरविंद केजरीवाल के पास मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का एक मजबूत रिकॉर्ड है, जबकि कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी खोई हुई सत्ता को वापस पाने का एक मौका है। कांग्रेस को उम्मीद है कि संदीप दीक्षित अपनी मां की हार का बदला लेकर इस सीट पर कब्जा करेंगे। हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखें अभी तक घोषित नहीं की गई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये चुनाव फरवरी 2025 के आसपास हो सकते हैं।
क्या अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने में कोई कानूनी अड़चन है?
संदीप दीक्षित के बयान ने इस बार अरविंद केजरीवाल की मुख्यमंत्री बनने की राह में कानूनी अड़चनों को फिर से उजागर कर दिया है। भले ही अरविंद केजरीवाल दिल्ली में एक मजबूत मुख्यमंत्री के रूप में अपनी छवि बना चुके हों, लेकिन क्या उनकी कानूनी स्थिति उन्हें मुख्यमंत्री बनने की अनुमति देती है? क्या दिल्ली की जनता इस बार उनकी कानूनी स्थिति को नजरअंदाज करके उन्हें फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखेगी? या फिर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेंगे?
क्या संदीप दीक्षित ला सकते हैं कांग्रेस की वापसी?
संदीप दीक्षित का यह बयान दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में दिल्ली में कई विकास कार्य किए हैं और उनकी पार्टी AAP की पकड़ मजबूत दिखती है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी खोई हुई पहचान को वापस पाने का मौका है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी छवि को फिर से मजबूत करने का और दिल्ली में सत्ता की वापसी का एक अवसर हो सकता है।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदें संदीप दीक्षित से जुड़ी हुई हैं। अगर वह नई दिल्ली सीट पर जीत हासिल करते हैं, तो यह न केवल कांग्रेस की वापसी का संकेत होगा, बल्कि दिल्ली में केजरीवाल की सरकार को भी कड़ी चुनौती मिलेगी।
क्या होगा दिल्ली चुनाव में?
दिल्ली विधानसभा चुनाव इस बार खास होंगे, क्योंकि यहां अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। दोनों पार्टी अपने-अपने मुद्दों पर जनता के बीच जाएंगे। जहां एक ओर केजरीवाल ने दिल्ली के विकास के नाम पर अपनी सरकार को मजबूत किया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए संदीप दीक्षित जैसे कद्दावर नेताओं को मैदान में उतार रही है। दिल्ली के मतदाता इस बार किसे चुनेंगे, यह चुनावी मुकाबला इस सवाल का जवाब देगा। 2025 के विधानसभा चुनाव में यह तय होगा कि दिल्ली की सत्ता किसके हाथ में होगी।
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