KEJRIWAL LIFE and ED: दिल्ली। अन्ना हज़ारे ने एक आंदोलन शुरू किया, पूरे देश भर में लोकपाल बिल के लिए आवाज़ उठी और इस आंदोलन का मुख्य मुद्दा था लोकपाल बिल और भ्रष्टाचार… इसमें एक मुख्य चेहरा भी उभर कर पूरे देश के सामने आया जिसके साथ युवाओं ने मिलकर इस आंदोलन (KEJRIWAL LIFE and ED) को देश भर में व्याप्त कर दिया। परंतु उसी भ्रष्टाचार को खत्म करने वाला व्यक्ति अब भ्रष्टाचार के ही इल्ज़ाम में गिरफ्त में आ गया है…
आईआईटी खड़गपुर से बीटेक
हरियाणा के सिवानी में जन्मे अरविंद केजरीवाल के लिए सत्ता में या राजनीति में आना पहले तय नहीं था। परंतु अन्ना हज़ारे के आंदोलन के बाद ये निर्णय अरविंद केजरीवाल ने लिया। अरविंद केजरीवाल 51 वर्षीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साल 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली है। उनका निर्वाचन क्षेत्र चांदनी चौक है। उनकी पत्नी एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं।
अरविंद केजरीवाल का पुराना बयान हो रहा वायरल
अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हज़ारे के साथ के आंदोलन में एक बयान (KEJRIWAL LIFE and ED) मंच से दिया था। “जिसमें उन्होने कहा कि इस कुर्सी में कुछ दिक्कत है। जो इस कुर्सी के ऊपर बैठता है, वही गड़बड़ हो जाता है। ऐसा तो नहीं, आंदोलन से जब विकल्प निकलेगा और वो जब कुर्सी पर जाकर बैठेंगे तो कहीं वो भी इनके जैसे ही नहीं होजाए… अब ये विडियो इसलिए भी वायरल हो रहा है क्योंकि अब खुद वो इसी बात का शिकार हो गए हैं।
बच्चों की कसम खाने पर हुए थे ट्रोल
लोकपाल बिल के बाद जब सत्ता में आने का केजरीवाल ने ठाना तो उन्होने ये सार्वजनिक बयान (KEJRIWAL LIFE and ED) दिया कि वो काँग्रेस से समर्थन नहीं लेंगे। या उनके साथ गठबंधन नहीं करेंगे। इस बात के लिए उन्होने अपने बच्चों कि कसम खाने कि बात भी कही। परंतु ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद उन्होने सरकारी घर लेने और सुरक्षा नहीं लेने कि बात भी कही उस पर भी वो खरे उतरते दिखाई नहीं दिये। इन बातों और वादों के लिए वो कई बार चर्चा में आए और उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा।
मेरे पास सुबूत है, मैं माफी चाहता हूँ
ये दो लाइन अरविंद केजरीवाल के जीवन से जुड़ी हुई है। ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कई बार सत्ता (KEJRIWAL LIFE and ED) में आने से पहले भी और कई बार सत्ता में आने के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने कई विपक्षी नेताओं और दलों पर गंभीर आरोप लगाए। जिसमें मुख्यतः भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप होते थे। परंतु जब इनके खिलाफ मान हानी का मुकदमा कोर्ट में चला तो कई बार लिखित में माफी मांगने को भी मजबूर होना पड़ा। अभी केजरीवाल INDIA गठबंध में भी मुख्य किरदार की तरफ अपनी बात रखते नज़र आते हैं।
कई बार हुए थप्पड़ का शिकार
अगर कहा जाए कि सबसे ज्यादा थप्पड़ खाने वाले मुख्यमंत्री कौन है, तो स्वाभाविक ही अरविंद केजरीवाल का नाम सामने आ जाएगा। ऐसा हुआ भी। अरविंद केजरीवाल को कई बार सार्वजनिक रूप से थप्पड़ पड़े हैं। उन पर स्याही और जूते से भी कई बार नाराजगी रखने वाले लोगों ने प्रहार किया है। राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा में थप्पड़ खा चुके अरविंद केजरीवाल कई बार दिल्ली में और देश के अन्य राज्यों में भी सड़कों पर विरोध का सामना कर चुके हैं। राजस्थान के बीकानेर में एक रिक्शा चालक ने अरविंद केजरीवाल के रोड शो के दौरान उनकी गाड़ी पर चढ़ कर पहले उन्हें माला पहनाई, फिर जोरदार चांटा जड़ दिया। इसको विडियो पर कई बार सोशल मीडिया पर वायरल किया गया।
केजरीवाल का निजी जीवन कैसा रहा?
गोविंद राम केजरीवाल और गीता देवी के घर पर 16 अगस्त 1968 को अरविंद केजरीवाल का जन्म हुआ। परंतु उनका राजनीतिक जन्म अन्ना अजारे के आंदोलन से हुआ। इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल ने नौकरी के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका हमेशा निभाई। अपनी पत्नी सुनीता के साथ उन्होने 1995 में शादी की। अब उनके एक लड़की और एक लड़का है। पुलकित और हर्षिता। 1995 में यूपीएससी का पेपर निकाल कर सरकारी सेवा में आए। बस इसके बाद उन्होने जीवन में अलग निर्णय लिए। अन्ना हज़ारे के साथ मिल कर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का बीड़ा उठाया।
पहली बार बने मुख्यमंत्री
अन्ना हज़ारे के शिष्य कहे और माने जाने वाले अरविंद केजरीवाल ने खुद को ही राजनीति में (KEJRIWAL LIFE and ED) आने का विकल्प बना कर दिल्ली से चुनाव लड़ा। हालांकि आंदोलन के समय उन्होने कहा कि वो राजनीति का हिस्सा नहीं होंगे। इंडिया अगेन्स्ट करप्शन का गठन करने के बाद वो 24 नवंबर 2012 को अपनी पार्टी का गठन कर जनता के बीच आए। आम आदमी पार्टी की शुरुआत इतनी दमदार रही कि उनसे जुडने के लिए कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ आम इंसान भी जुड़े। परंतु AAP की नीतियों से नाखुश लोग ने फिर से केजरीवाल से किनारा कर लिया। 2013 में पहली बार काँग्रेस की शीला दीक्षित को हारा कर दिल्ली कि सत्ता हासिल की।
दूसरी और तीसरी बार भी जनता ने चुना AAP को
दूसरी बार विधानसभा चुनाव हुए दिल्ली में और अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर जनता ने विश्वास दिखाते हुए रेकॉर्ड जीत में मदद की। इसी के चलते 67 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई और लगातार दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर अरविंद केजरीवाल आसीन हुए। इसके बाद ये सिलसिला अभी तक जारी है। तीसरी बार विधानसभा दिल्ली के चुनाव में कुछ सीटों के नुकसान के साथ अरविंद केजरीवाल तीसरी बार सत्ता में 70 में से 62 सीटों पर जीत कर मुख्यमंत्री के पद को चुना। 2020 में चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल का रुख और ओहदा और बड़ा हो गया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला कैसे फसा?
केजरीवाल ने इंडिया अगेन्स्ट करप्शन का गठन किया और आज उन्हीं को शराब घोटाले में (KEJRIWAL LIFE and ED) गिरफ्तार कर रिमांड पर भेजा गया है। ऐसा कैसे हुआ? दिल्ली शराब नीति में कई तरफ के लूप हाल थे। जिनको लेकर कई बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और राजनीति दोनों हुई। इसके बाद बड़े पैसे का लेनदेन होने पर कार्यवाही की। एक एक कर के केजरीवाल के कई नेता और मंत्री जेल तक जा पहुंचे। अब ईडी ने उनके बयानों और अपनी तहक़ीक़ात के हवाले से कोर्ट से केजरीवाल को गिरफ्तार करने की मांग की जो हाइकोर्ट ने मान्य कर दी। ये पहली बार देखा गया है कि दिल्ली के किसी मुख्यमंत्री को जेल जाना पड़ा।
ईडी का शिकंजा अरविंद तक
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि अरविंद केजरीवाल इस मामले के सबसे बड़े सरगना हैं, वहीं ईडी ने उन्हें साजिशकर्ता बताया है। दिल्ली में कथित शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत राष्ट्र समिति के नेता के. कविता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. कविता ने कथित तौर पर नई शराब नीति तैयार करते समय केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और संजय सिंह के साथ मिलकर साजिश रची थी।
केजरीवाल की नई नीति से दिल्ली में क्या बदला?
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति क्या थी? दरअसल, ये वो पॉलिसी थी जिसके लागू होते ही दिल्ली में शराब और बीयर पर ऑफर की झड़ी लग गई। नई एक्साइज पॉलिसी के चलते दिल्ली की कई शराब दुकानों पर एक बोतल खरीदने पर दूसरी बोतल मुफ्त (KEJRIWAL LIFE and ED) मिल रही थी। इस ऑफर के कारण दिल्ली में शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग गईं। शराब की दुकानों पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि कई जगहों पर पुलिस बुलानी पड़ी। लेकिन फिर भी एक बोतल खरीदने पर दूसरी बोतल मुफ्त मिलती थी।
शराब की दुकानों का निजीकरन और मुनाफे का भी
दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत वर्ष 2021-22 में राजधानी दिल्ली में शराब की बिक्री पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप दी है। इसके लिए उन्होंने शराब की बिक्री से पहले ही शराब रिटेलर कंपनियों से कथित लाइसेंस फीस के तौर पर करीब 300 करोड़ रुपये ले लिए। इसके साथ ही विक्रेताओं को एमआरपी से कम दाम पर शराब बेचने की इजाजत दे दी गई। यहीं से शुरू हुआ शराब में रियायत का खेल। हर ठेकेदार अधिक शराब बेचने के लिए छूट देने लगा और लोग भी इसे बड़ी मात्रा में खरीदने लगे। क्योंकि दिल्लीवासी अपने घर में 18 लीटर बीयर या वाइन रख सकते हैं। केजरीवाल सरकार का तर्क था कि इससे 3500 करोड़ रुपये का मुनाफा होगा। नई शराब नीति के तहत दिल्ली में 32 जोन बनाए गए थे और हर जोन में अधिकतम 27 दुकानें खोली जानी थीं, इस तरह कुल 849 दुकानें खोली जानी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों का निजीकरण कर दिया गया है। जबकि पहले दिल्ली में 60 फीसदी शराब की दुकानें सरकारी और 40 फीसदी निजी थीं।
17 नवंबर 2021 को बादल गयी दिल्ली की नीति और केजरीवाल की नियति
दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी 17 नवंबर 2021 को लागू की गई थी। जिसके बाद शराब की बिक्री के नियमों में बदलाव किया गया। दिल्ली में नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों को ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उपहार और छूट देने की अनुमति (KEJRIWAL LIFE and ED) दी गई। जबकि पिछली आबकारी नीति के तहत शराब की कीमत सरकार द्वारा तय की जाती थी, जिसके कारण दुकानदार इसमें बदलाव नहीं कर सकते थे और एक बोतल मुफ्त और दूसरी मुफ्त जैसी कोई योजना नहीं थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर उस वक्त एक्साइज अधिकारियों ने कहा था कि दिल्ली में शराब पर सिर्फ 25 फीसदी की छूट है, जबकि मुफ्त में शराब मिलती है, यानी 50 फीसदी तक की छूट मिलती है।
केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास क्या सुबूत? विजय नायर कौन?
ईडी ने आरोप लगाया है कि ‘साउथ ग्रुप’ नामक शराब लॉबी ने एक गिरफ्तार व्यवसायी के माध्यम से आम आदमी पार्टी को कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। साउथ ग्रुप ने ये पैसा विजय नायर (आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी) को एडवांस में दे दिया। आरोप है कि विजय नायर अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी हैं। शराब कारोबारी समीर महेंद्रू के बयान का हवाला देते हुए ईडी ने कहा कि आबकारी नीति केजरीवाल के दिमाग की उपज है। आरोप है कि विजय नायर ने फेसटाइम के जरिए केजरीवाल और महेंद्रू की बात कराई। एजेंसी के मुताबिक, केजरीवाल ने वीडियो कॉल के जरिए महेंद्रू से कहा कि नायर उनका आदमी है और वह उस पर भरोसा कर सकते हैं।
समन के बाद भी केजरीवाल नहीं आए, फिर हुए गिरफ्तार
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी के अधिकारी मामले में समन जारी करने के लिए केजरीवाल (KEJRIWAL LIFE and ED) के आवास पर गये थे। उन्होंने कहा कि ईडी की टीम ने मुख्यमंत्री आवास के कर्मचारियों को भी बताया कि उसके पास सर्च वारंट है। ईडी ने आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख केजरीवाल को कई बार तलब किया लेकिन वह पेश नहीं हुए। आपको बता दें कि ईडी पहले ही सीएम केजरीवाल को 9 समन जारी कर चुकी है। सीएम केजरीवाल को गुरुवार को 10वां समन जारी किया गया है।
AAP और दिल्ली के मुखिया के घर ईडी ने दी दस्तक, फिर गिरफ्तारी
ईडी की टीम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची, ईडी की टीम के केजरीवाल के घर पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज भी वहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की पूरी तैयारी है। 2 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। लगातार 9 समन भेजने के बाद गुरुवार शाम 10 बजे ईडी की टीम केजरीवाल के घर पहुंची। ईडी के संयुक्त निदेशक कपिल राज भी केजरीवाल के घर पर मौजूद रहे। केजरीवाल का बयान पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किया गया।
गुरु अन्ना हज़ारे शराब की राजनीतिकरण करने पर केजरीवाल से नाराज़
अन्ना हजारे ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को उनके कर्मों का फल बताया है। अन्ना हजारे ने यह भी याद किया कि केजरीवाल कभी उनके साथ शराब के खिलाफ आवाज उठाते थे। अन्ना ने इस बात पर अफसोस जताया कि जिन्होंने कभी उनके साथ शराब के खिलाफ काम (KEJRIWAL LIFE and ED) किया था, उन्होंने शराब का राजनीतिकरण करना शुरू कर दिया। हजारे ने कहा, ”मुझे बहुत दुख है कि अरविंद केजरीवाल जैसा कोई व्यक्ति, जो मेरे साथ काम करता था। लेकिन क्या करें, सत्ता के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं होता। आख़िरकार, उसके कृत्य के कारण उसकी गिरफ़्तारी हुई।
जेल से सरकार चलाएँगे केजरीवाल?
कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 6 दिन की रिमांड पर ईडी को के हवाले कर दिया। 28 तक केजरीवाल (KEJRIWAL LIFE and ED) ईडी रिमांड में रह कर सहयोग करेंगे तो शायद जमानती कार्यवाही कि जा सकती है। पर इस बात पर पुराना रेकॉर्ड देखा जाए या इतिहास खंगाला जाए तो जमानत होना आसान नहीं होगा। ये बात खुद AAP के नेता मनीष सीसोदिया से बेहतर कौन ही जानता होगा। इसलिए अब सवाल ये भी उठता है कि सत्ता में काबिज रहने के लिए दोस्तों को किनारे करने की छवि वाले अरविंद केजरीवाल अब सत्ता को किसी और के हाथ सौंप देंगे या जेल से ही सरकार चलाएँगे। वैसे ऐसा होना संभव नहीं है। हालांकि ये पहला मामला होगा जब देश के किसी मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलाने की नौबत आई और अगर ऐसा केजरीवाल ने क्या तो भी ये अभूतपूर्व स्थिति ही मानी जाएगी।