वृश्चिकोत्सवम उत्सव

क्या हाथियों की गैरमौजूदगी से टूट जाएगी धार्मिक परंपरा? वृश्चिकोत्सवम पर छिड़ा विवाद

तिरुपुनिथुरा के श्री पूर्णत्रयीशा मंदिर में होने वाले वार्षिक वृश्चिकोत्सवम उत्सव को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कोचीन देवस्वम बोर्ड (CDB) ने केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके हाथियों की परेड पर लगाए गए प्रतिबंधों में छूट मांगी है।

उत्सव का महत्व और विवाद का कारण

श्री पूर्णत्रयीशा मंदिर का वृश्चिकोत्सवम केरल के सबसे प्रसिद्ध मंदिर उत्सवों में से एक है। यह उत्सव 29 नवंबर से 6 दिसंबर तक चलने वाला है। इस दौरान होने वाली हाथियों की भव्य परेड इस उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण है। लेकिन इस बार केरल हाई कोर्ट ने हाथियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें हाथियों के बीच कम से कम 3 मीटर की दूरी रखने का आदेश शामिल है।

CDB की ओर से पेश हुए वकील के.पी. सुधीर ने कोर्ट में दलील दी कि हाथियों की परेड इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से 15 हाथियों को एक साथ परेड में शामिल किया जाता है, और यह धार्मिक महत्व रखता है।

कोर्ट का रुख और धार्मिक प्रथाओं पर सवाल

केरल हाई कोर्ट ने CDB की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अहम सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि क्या हाथियों को परेड में शामिल न करने से धार्मिक प्रथाएं खत्म हो जाएंगी? कोर्ट ने अपने अंतरिम दिशा-निर्देशों में कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया है। इसका मतलब है कि उत्सव आयोजकों को हाथियों के बीच 3 मीटर की दूरी बनाए रखनी होगी। यह निर्णय हाथियों की सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

उत्सव की तैयारियां और आकर्षण

विवाद के बावजूद, वृश्चिकोत्सवम की तैयारियां जोरों पर हैं। उत्सव 29 नवंबर को ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा। इसमें कई आकर्षक कार्यक्रम होंगे:

– 2 दिसंबर को त्रिक्केट्टा पुरप्पाडु समारोह, जिसमें सोने के कलश में भेंट भरी जाएगी।

– 4 और 5 दिसंबर को देवता की भव्य शोभायात्रा।

– 6 दिसंबर को आरत्तु समारोह के साथ उत्सव का समापन।

उत्सव में 33 प्रसिद्ध हाथी भाग लेंगे, जिनमें एरट्टुपेट्टा अय्यप्पन, पम्बडी राजन, और थिरुवम्बडी चंद्रशेखरन जैसे लोकप्रिय हाथी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रसिद्ध कर्नाटक संगीतकार और तबला वादक भी अपनी प्रस्तुतियां देंगे, जो उत्सव को और भी रंगीन बनाएंगे।