Kesudo Flower in Holi: होली आती है तो ऐसे समय में लोग केसुड़ा के फूलों के रंग से रंगोत्सव मनाते हैं। वनवासी समाज के पूर्वजों ने इस पौधे के औषधीय उपयोग को जानकर इसे धर्म से जोड़ दिया। ताकि समाज में सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहे। केसुड़ा के रंग-बिरंगे फूलों (Kesudo Flower in Holi) के बिना धुलेटी को अधूरा माना जाता है।
प्राचीन काल से ही होली प्राकृतिक रंगों के साथ मनाई जाती रही है और भीतरी इलाकों में वनवासी लोग होली के दिन केसुड़ा (Kesudo Flower in Holi) जमकर प्रयोग करते हैं। इस आंतरिक क्षेत्र के लोग कृत्रिम रंगों का उपयोग नहीं करते हैं। वैष्णव मंदिरों और व्रजभूमि में भी केसुड़ा के फूलों के रंग से ही रंगोत्सव मनाया जाता है।
केसुड़ा वसंत ऋतु से ही खिलता है
पतझड़ के मौसम में, खाखर के पेड़ों की पत्तियाँ झड़ जाती हैं और जैसे ही उन पर केसर के फूल आते हैं, यह खाखर का पेड़ – केसुडो (Kesudo Flower in Holi)से खिल जाता है और जंगल की शोभा बढ़ाता है। केसुड़ा के पेड़ भीतरी इलाकों में पाए जाते हैं और सर्दियों के बाद पतझड़ का मौसम आता है, तभी केसुड़ा का पेड़ खिलता है और केसुड़ा को केसर के फूलों से सजाया जाता है और केसुड़ा पूरे जंगल का ताज होता है और जंगल की सुंदरता को बढ़ाता है।
केसुड़ा से अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं
अपनी त्वचा के लिए उपयोग किया जाने वाला केसुड़ा (Kesudo Flower in Holi) मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत प्रभावी पाया जाता है। यदि केसुड़ा के फूल को पीसकर चीनी के साथ मिलाकर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो ऐसा कहा जाता है कि जड़ से मधुमेह रोग ख़त्म हो सकता है। यही नहीं केसुड़ा की जड़ की एक बूंद डालने से भी आंखों की बीमारी ठीक हो जाती है। औषधि विशेषज्ञों का मानना है कि थायराइड रोग में केसुड़ा या मुडी की जाली को घिसकर थायराइड वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है। केसुड़ा की जड़ को ताजा तोड़कर उसका रस निकालकर नागरवेल के पत्तों के साथ खाने से भी पाचन क्रिया में लाभ होता है।
केवल वसंत ऋतु में खिलने वाले केसुड़ा के फूल औषधीय रूप से उपयोगी होते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग धूल भरे केसुड़ा के फूलों से खेलते हैं और गर्मी के दिनों में केसुड़ा के फूल (Kesudo Flower in Holi) वन क्षेत्रों की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। लेकिन आयुर्वेदिक तरीके से भी केसुड़ा के फूल बहुत फायदेमंद होते हैं। केसुड़ा का फूल त्वचा रोगों के लिए बहुत ही कारगर औषधि माना जाता है। अगर छोटे बच्चों को केसुड़ा के फूल से नहलाया जाए तो इन बच्चों की त्वचा भी बहुत अच्छी रहती है। साथ ही उनका स्वास्थ्य भी काफी अच्छा रहता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
ग्रीष्म ऋतु में केसुड़ा फूल की शीतल छाया
पतझड़ के दौरान पेड़ों से फूल और पत्तियाँ झड़ जाती हैं। लेकिन केसुड़ा के पेड़ (Kesudo Flower in Holi) पर फूल खिलते हैं। केसुड़ा के फूल को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है और इस पाउडर का उपयोग नहाते समय या मुंह धोते समय किया जाता है। इसके प्रयोग से त्वचा भी मुलायम हो जाती है और किसी भी प्रकार का त्वचा रोग नहीं होता है.
यह भी पढ़ें: Penumbral Lunar Eclipse: होली पर लग रहा है विशेष चंद्र ग्रहण, जानें कैसा होगा इसका प्रभाव और कैसे मनाएं होली