केंद्र सरकार ने 1 मार्च 2001 को घाटे का कारण बताकर कर्नाटक की कोलार सोने की खदान को बंद कर दिया था। जब खदान बंद हुई, तब वहाँ काम करने वाले मजदूरों का वेतन और पेंशन मिलाकर करीब 58 करोड़ रुपये बकाया था। इस फैसले के खिलाफ कई श्रमिक संगठनों ने आंदोलन किया और न्याय की मांग करते हुए अदालत का रुख किया।
इसके बाद 7 जुलाई 2006 को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने खदान को फिर से खोलने की मंजूरी दी। 2010 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी सोने की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए सरकार को कोलार सोने की खदान दोबारा शुरू करने का आदेश दिया। लेकिन केंद्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया, जिससे खदान फिर से नहीं खुल सकी।
सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ खदान खोलने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कुछ शर्तों के साथ सोने की खदान को दोबारा खोलने की अनुमति दी थी और इसके लिए वैश्विक निविदा मंगाने का आदेश दिया था। इसके बाद, केंद्र सरकार ने खदान की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन यह भी कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सोने का खनन फिर से शुरू करना आसान नहीं होगा।
हाल ही में एक शोध में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि केजीएफ में पहले हुए खनन के दौरान निकाली गई मिट्टी में अभी भी सोना मौजूद है, जिसे दोबारा निकाला जा सकता है।
केजीएफ शहर के आसपास 13 साइनाइड पहाड़ियां
केजीएफ शहर के आसपास 13 साइनाइड पहाड़ियां हैं, जहां करीब 5 मिलियन टन मिट्टी होने का अनुमान है। शोध बताते हैं कि एक टन मिट्टी में औसतन एक ग्राम सोना होता है। इसका मतलब है कि अगर पूरी मिट्टी की खुदाई की जाए, तो करीब 25 टन सोना मिल सकता है। इसी उम्मीद में इन पहाड़ियों में दोबारा सोने की जांच के लिए टेंडर जारी किया गया था। खुदाई का काम भी शुरू हो गया था, लेकिन अब टेंडर की प्रक्रिया रोक दी गई है।
52 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना अभी बाकी
केंद्र सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव और 2016 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, यहां के खनिकों को अभी भी 52 करोड़ रुपये का मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा, अगर मिट्टी के टीलों की खुदाई दोबारा शुरू हुई, तो केजीएफ सिटी के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि साइनाइड से दूषित मिट्टी शहर में धूल और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ा सकती है, जिससे यहां रहने वालों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
KGF में हैं सोने के भंडार
कुछ खनन यूनियन नेताओं का मानना है कि आज की आधुनिक तकनीक से सोने का खनन फिर से शुरू किया जाए तो यह फायदेमंद साबित हो सकता है। केजीएफ में अब भी बड़ी मात्रा में सोने के भंडार मौजूद हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां करीब 27 स्वर्ण भंडारों की पहचान की गई थी, लेकिन इनमें से केवल 2-3 जगहों पर ही खनन हुआ। बाकी 24 स्थानों पर आज भी कोई खनन कार्य नहीं हो रहा है।