महाकुंभ भगदड़ में लापता हुए खूंटी गुरु, तेरहवीं की तैयारी के बीच पहुंचे घर

महाकुंभ भगदड़ में लापता हुए खूंटी गुरु, तेरहवीं की तैयारीयों के बीच पहुंचे घर

महाकुंभ 2025 के मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर भगदड़ में लापता हुए खूंटी गुरु को मोहल्ले के लोगों ने मृत मान लिया था। उनकी तेरहवीं की तैयारियां जोरों पर थीं, भोज के लिए व्यवस्थाएँ हो रही थीं, लेकिन तभी एक चमत्कार हुआ। तेरहवीं के दिन ही खूंटी गुरु ई-रिक्शा से उतरकर घर लौट आए। यह दृश्य देखकर लोग अचंभित रह गए और फिर जो हुआ, उसने सभी को भावुक कर दिया।

महाकुंभ भगदड़ में अचानक लापता हो गए थे खूंटी गुरु

28 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर खूंटी गुरु संगम स्नान के लिए महाकुंभ गए थे। लेकिन इसी दौरान वहां अत्यधिक भीड़ और भगदड़ के कारण वे लापता हो गए। कई दिनों तक उनकी कोई खबर नहीं मिली। जब किसी ने उन्हें देखा नहीं, तो मोहल्ले के लोगों ने माना कि वे भगदड़ का शिकार हो चुके हैं। उनके कोई परिवारजन नहीं थे, इसलिए मोहल्ले के लोगों ने उनकी तेरहवीं करने का निर्णय लिया।

तेरहवीं की तैयारी के बीच हुई चमत्कारी वापसी

11 फरवरी को उनकी तेरहवीं की पूरी तैयारी हो चुकी थी। 13 ब्राह्मणों के भोजन का इंतजाम किया गया था। बिज्जू महाराज इस आयोजन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। मोहल्ले के लोग इस अंतिम संस्कार की रस्में निभाने में जुटे थे। लेकिन शाम होते ही एक चमत्कार हो गया। अचानक एक ई-रिक्शा रुका और उसमें से खूंटी गुरु उतरते दिखे। लोगों की आंखें फटी रह गईं। कोई यकीन नहीं कर पा रहा था कि जिसे वे मृत मान चुके थे, वह अपने पैरों पर चलते हुए वापस आ गया है। कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया, फिर खुशी का माहौल बन गया।

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लोक-परलोक का उठा रहे थे लाभ 

जब लोगों ने खूंटी गुरु से पूछा कि वे इतने दिनों तक कहां थे, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया: “144 साल बाद ऐसा योग आया था, जिसमें गंगा स्नान, भजन और भोजन सब कुछ था। लोक-परलोक का लाभ उठाने का इससे बेहतर अवसर और कहां मिलता?” खूंटी गुरु ने बताया कि भगदड़ के बाद वे किसी तरह एक साधु के साथ एक आश्रम में चले गए। वहां वे भजन-कीर्तन में लीन हो गए और भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते रहे। उन्होंने किसी से संपर्क नहीं किया और आध्यात्मिक जीवन का आनंद लेते रहे।

फिर से गुलजार हुई जीरो रोड की अड्डेबाजी

खूंटी गुरु की वापसी के साथ ही प्रयागराज की जीरो रोड की चौपालें फिर से सज गईं। यह इलाका सिर्फ बसों का अड्डा ही नहीं, बल्कि बुद्धिजीवियों की गपशप और बहस का भी केंद्र है। अब जब खूंटी गुरु लौट आए हैं, तो मोहल्ले में उनकी चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं।