फूड ब्लॉगर चटौरी रजनी की इंस्पायरिंग स्टोरी: लोगों ने कहा ‘किन्नर’ फिर भी नहीं मानी हार, ‘लंच बॉक्स’ ने बदल दी लाइफ

Chatori Rajani: आपने ‘चहां चाह वहां राह’ कहावत तो सुनी ही होगी, जो काफी हद तक सही है। दरअसल, अगर कोई कुछ करने की ठान ले, तो मुश्किल परिस्थिति भी उसे आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। एक ऐसी ही मिसाल पेश की है चटौरी रजनी ने, जिन्होंने हाउस वाइफ होते हुए अपने कुकिंग के टैलेंट के दम पर अपनी एक खास पहचान बनाई। दरअसल, रजनी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी संभालने के चक्कर में अपनी इच्छाएं और ख्वाहिशों को पूरा नहीं कर पाती हैं।

चटौरी रजनी ने कुकिंग से बनाई अपनी खास पहचान

बता दें कि चटौरी रजनी मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिन्होंने चेन्नई से अपनी पढ़ाई पूरी की। ‘जोश टॉक’ को दिए एक इंटरव्यू में रजनी ने बताया कि उनका परिवार नहीं चाहता था कि वह नौकरी करें, इसलिए घर पर रहकर उन्होंने कुकिंग कोर्स करना शुरू कर दिया। साल 2007 में उनकी शादी हुई और 2008 में उन्होंने अपने बेटे तरण को जन्म दिया। अपने बेटे के जन्म के 3 महीने बाद उन्होंने फिर से अपनी कुकिंग क्लास शुरू कर दी थी।

जब चटौरी रजनी को लोगों ने कहा ‘किन्नर’

रजनी ने आगे बताया कि उनके पति बैंक में जॉब करते हैं। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान उनके पति की जॉब चली गई थी। उसके बाद उन्होंने अपने पैशन को ही प्रोफेशन बना लिया था। रजनी ने कहा, ”अपने पति की नौकरी जाने के बाद मैंने मनोकामना मांगी थी कि अगर मेरे पति को अच्छी जॉब मिल जाएगी, तो मैं बाल चढ़ाउंगी।” इसी के चलते उन्होंने बाल मुंडवा लिए थे। हालांकि, उनके कटे बालों को देखकर लोग उन्हें ‘किन्नर’ बोलने लगे थे।

बता दें कि भले ही रजनी को लोग किन्नर बोलने लगे थे, लेकिन रजनी ने लोगों की बातों पर ध्यान न देते हुए अपने काम पर फोकस किया और ‘लंच बॉक्स रेसिपी’ नाम से अपने यू-ट्यूब ब्लॉग की शुरुआत की। शुरू में वह छोटी-छोटी आसान सी रेसिपी शेयर करती थीं, लेकिन धीर-धीरे उन्होंने फूड कंटेंट क्रिएटर के तौर पर अपनी पकड़ बना ली। अब, वह ट्रेवल-लाइफस्टाइल ब्लॉग भी बनाती हैं।

जब रजनी ने झेला बेटे की मौत का दर्द

रजनी की लाइफ में सब अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जो भगवान किसी के साथ न करें। दरअसल, 17 फरवरी को एक सड़क हादसे में रजनी के 16 वर्षीय बेटे तरण का निधन हो गया। हालांकि, इस दर्द में भी रजनी ने खुद को संभाला, क्योंकि तरण अपनी मां को कभी दुखी नहीं देखना चाहता था। अब, हाल ही में उन्होंने अपने बेटे की याद में उनके दोस्तों के लिए एक गेट-टुगेदर रखा था, जिसके जरिए तरण को श्रद्धांजलि दी गई।

 

 

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वैसे, इसमें कोई शक नहीं कि चटौरी रजनी ने अपनी मेहनत और लग्न के दम पर यह साबित किया है कि अगर कोई कुछ करना चाहे, तो कैसी भी परिस्थिति उसकी राह में अड़चन नहीं बन सकती।

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