Kolkata rape-murder case: कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या CBI को पूरा CCTV फुटेज सौंपा गया है। इस पर कपिल सिब्बल ने बताया कि CCTV फुटेज CBI को सौंप दिया गया है, और SG तुषार मेहता ने भी इस बात की पुष्टि की।
हालांकि, SG ने कहा कि मामले की पूरी जांच के लिए रिकंस्ट्रक्शन की जरूरत पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता केस की सुनवाई फिलहाल रुकी हुई है, और जज रिपोर्ट की समीक्षा कर रहे हैं। कोर्ट के पूछने पर SG तुषार मेहता ने बताया कि कॉलेज के प्रिंसिपल के घर से अस्पताल के बीच की यात्रा का समय 15-20 मिनट है।
CCTV फुटेज का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच पूछा कि क्या पूरा CCTV फुटेज सीबीआई को सौंपा गया है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने CCTV फुटेज की कॉपी सिर्फ कोर्ट में जमा की है और सीबीआई को अभी तक नहीं दी है। हालांकि, SG तुषार मेहता ने पुष्टि की कि सीबीआई को CCTV फुटेज मिल चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने अननेचुरल डेथ के मामले में स्पष्टीकरण मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने अननेचुरल डेथ के मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा। कपिल सिब्बल ने बताया कि डेथ सर्टिफिकेट 1:47 PM पर जारी हुआ और अप्राकृतिक मौत का केस 2:55 PM पर दर्ज किया गया। इसके बाद, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट 4:10 PM पर पहुंचे और इंक्वेस्ट रिपोर्ट 4:40 PM तक तैयार की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एक आरोपी जो पहले से किसी मामले में हिरासत में है, वह दूसरे मामले में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल कर सकता है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि एक आरोपी को अग्रिम जमानत का अधिकार है, जब तक उसे उस अपराध में गिरफ्तार नहीं किया जाता है।
कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। लोग न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतरे हैं, मशालें ले कर मार्च किया और तिरंगा लहराया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि कोलकाता पुलिस आयुक्त को हटाने की मांग पर ध्यान दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई को जांच जारी रखने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले निर्देश में सीबीआई को जांच जारी रखने के अलावा 14 अगस्त की रात अस्पताल परिसर में हुई तोड़फोड़ के मामले की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसके साथ ही, कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स को डॉक्टरों की सुरक्षा और कामकाजी परिस्थितियों पर प्रभावी सिफारिशें तैयार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इस मामले को ‘भयावह’ करार दिया और कहा कि यह देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है।