Kota Seat Birla Vs Gunjal: ओम बिरला और प्रह्लाद गुंजल की लड़ाई में गुंजल की राजनीति पर आरोप भारी…
Kota Seat Birla Vs Gunjal: कोटा, राजस्थान। लोकसभा चुनाव 2024 में चुनावों के कई आयाम रोज बदल रहे हैं। कभी राजनीति स्थानीय मुद्दों पर होती है तो कभी तो कभी राष्ट्रीय मुद्दों पर। परंतु कोटा – बूंदी सीट (Kota Seat Birla Vs Gunjal) पर राजनीति व्यक्तिगत हो गयी है। यहाँ से भाजपा के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला है और काँग्रेस की टीकट पर चुनावी मैदान में प्रह्लाद मुंजल है। इस चुनावी लड़ाई में व्यक्तिगत आरोप ज्यादा हावी हो रहे हैं। जिसमें प्रह्लाद मुंजल फसते नज़र आ रहे हैं। इस कांटे की टक्कर वाली कोटा – बूंदी सीट पर राजनीति गरमाई हुई है।
आरोप – प्रत्यारोप से चुनावी जंग में हार – जीत
कोटा – बूंदी लोकसभा सीट पर बिरला और मुंजाल में मुद्दे छोड़ कर आरोप वाली जंग ज्यादा नज़र आ रही है। भाजपा इस बार ज्यादा बड़े मार्जिन से जीतने का दावा कर रही है और काँग्रेस बिरला पर आरोप लगा रही है कि सरकारी मशीनरी (Kota Seat Birla Vs Gunjal) का दुरुपयोग किया जा रहा है। भाजपा इसके जवाब में कह रही है कि इस तरह से झूठे आरोप लगाने से भाजपा को ही लाभ होगा। स्थानीय लोग सत्यता को जानते हैं। काँग्रेस प्रत्याशी लगातार प्रहार कर रही है। आरोप प्रत्यारोप की राजनीति में मुद्दे कहीं गायब हो रहे हैं।
45 साल में दो बार जीतीं कांग्रेस:
कांग्रेस के लिए कोटा बूंदी लोकसभा सीट जीतना बहुत बड़ी चुनौती है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की लोकप्रियता को देखते हुए एक बार फिर कांग्रेस इस सीट पर पिछड़ती नज़र आ रही है। ओम बिरला को चुनाव प्रबंधन और बूथ स्तर तक कुशल तालमेल के लिए जाना जाता है। ऐसे में बिरला इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाना चाहेंगे। अगर इस सीट के इतिहास पर नज़र डाले तो यहां से पिछले 45 सालों में 10 बार बार लोकसभा चुनाव हुए है। इसमें भाजपा को आठ बार जीत मिली है। जबकि सिर्फ दो बार उसे हार का सामना करना पड़ा है।
कोटा-बूंदी लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम:
ओम बिरला पहली बार लोकसभा में साल 2014 में पहुंचे थे। उससे पहले वो कोटा से तीन बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने कोटा के दिग्गज कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को भी पटखनी दी है। उनकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते भाजपा ने साल 2014 में उन्हें पहली बार लोकसभा का टिकट दिया। उन्होंने 2014 में कांग्रेस के इज्यराज सिंह को हराया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जातिगत राजनीति समीकरण के तहत रामनारायण मीणा को टिकट दिया था। लेकिन उन्हें भी बिरला ने करीब 2 लाख 80 हज़ार मतों से मात दी थी।