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Lalu Yadav Arrest Warrant: आरजेडी चीफ लालू यादव के ख़िलाफ़ MP की अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

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Lalu Yadav Arrest Warrant: ग्वालियर। हथियारों की तस्करी के एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के ख़िलाफ़ अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। लोकसभा चुनाव के बीच मध्य प्रदेश के ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने लालू यादव के खिलाफ ये स्थायी अरेस्ट वारंट इश्यू जारी किया है।

बता दें कि आरजेडी चीफ लालू के ख़िलाफ़ हथियारों की तस्करी के एक मामले में मुक़दमा चल रहा है। इस मामले में लालू समेत 23 लोगों पर आरोप लगे हैं।

मामले में पहले ही फ़रार घोषित किए जा चुके थे लालू

गौर करें तो इस मामले में इसके पहले भी लालू यादव के खिलाफ स्थायी वारंट जारी हुआ था। उसके बाद उन्हें फरार घोषित कर दिया गया था। हालांकि तब इस बात की पुष्टि नहीं सकी थी कि आरोपित लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री हैं या कोई अन्य व्यक्ति। बाद में, एमपी-एमएलए कोर्ट में मामले के पहुंचने पर ये साफ हो गया कि आरोपित व्यक्ति और कोई नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के सीएम रहे आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ही हैं।

मामले के एमपी-एमएलए कोर्ट पहुँचने पर पता चला आरोपी हैं लालू यादव

जान लें कि लालू यादव के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में मामले पहुंचने पर ही ये साफ हो सका कि आरोपित व्यक्त बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ही हैं।

अब कोर्ट ने हथियारों की तस्करी के मामले में लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। कानून के मुताबिक पुलिस अब लालू यादव को 24 घंटे तक थाने में अपनी अभिरक्षा में भी रख सकती है।

अब जानते हैं मामला है क्या ?

बता दें कि उत्तर प्रदेश के महोबा स्थित ऑर्म्स स्टोर के संचालक राजकुमार शर्मा ने हथियारों की बिक्री को लेकर फर्जीवाड़ा किया था। इसी को लेकर एमपी के ग्वालियर निवासी और प्रकाश ऑर्म्स स्टोर के संचालक प्रवेश कुमार चतुर्वेदी ने साल 1997 में इंदरगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

शिकायत में प्रवेश कुमार चतुर्वेदी ने लिखाया था कि राजकुमार शर्मा ने ग्वालियर फर्म से हथियार और कारतूस खरीदे थे और उन्हें बिहार में बेचा था। पुलिस ने शिकायत पर केस दर्ज कर लिया था। कोर्ट में पेश चालान में 23 आरोपी बनाए गए थे, जिनमें आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव का भी नाम शामिल है।

हालांकि, अब तक इस मामले में पुलिस लालू प्रसाद यादव को पकड़ नहीं पाई है। उल्लेखनीय है कि यह फर्जीवाड़ा साल 1995 से लेकर 1997 तक चलता रहा। इस दौरान दो आरोपितों की मौत हो गई है।

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