Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है। इस बार राजस्थान में भी चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां अपना दमखम लगाने को तैयार है। फिलहाल दोनों पार्टियों ने 25 लोकसभा सीटों में से 24-24 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। जल्द ही बाकी एक-एक सीटों पर भी उम्मीदवार (Lok Sabha Election 2024) की घोषणा होने हो जाएगी। इस बार राजस्थान की कई सीटों पर मुकाबला रोचक रहने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव 2024 की हॉट सीटों में दो सीटें ऐसी है जहां प्रदेश के मुखियाओं की साख दांव पर लगी है। जी हां, एक तो जालोर-सिरोही और दूसरी झालावाड़-बारां लोकसभा सीट है।
राजस्थान के दो पूर्व सीएम की दांव पर लगी साख!
बता दें राजस्थान की दो सीट लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बता दें प्रदेश की जालोर-सिरोही सीट से कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को अपना उम्मीदवार बनाया है। वैभव गहलोत को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं दूसरी सीट झालावाड़-बारां की है जहां से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया हैं। इस सीट से दुष्यंत सिंह लगातार जीत दर्ज कर रहे है। इन दोनों सीटों पर राजस्थान के दो पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
पूर्व सीएम गहलोत कर रहे है सभा:
बता दें अपने बेटे को चुनाव जीताने के लिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत काफी एक्टिव नज़र आ रहे है। पिछले चुनाव में उन्होंने अपने बेटे को जोधपुर से उतारा था। जहां वैभव गहलोत को गजेंद्र सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। इस सीट से बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा है। अब देखना होगा कि क्या पूर्व सीएम अशोक गहलोत अपना जादू बरक़रार रख पाते है या नहीं..?
झालावाड़-बारां में पूर्व सीएम राजे की सभा:
बता दें राजस्थान की एक और सीट झालावाड़-बारां, जहां से पूर्व सीएम के बेटे चुनाव लड़ रहे है। इस क्षेत्र में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का काफी दबदबा है। पिछले कई चुनाव से इस सीट पर राजे परिवार का कब्जा है। राजे खुद यहां से पांच बार और दुष्यंत तीन बार सांसद रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट से गहलोत सरकार में पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन को टिकट दिया है। ऐसे में अब देखना है कि क्या इस सीट से एक बार फिर दुष्यंत सिंह जीतकर संसद पहुंचे है या कांग्रेस कई साल बाद जीत का खाता खोलती है..?
यह भी पढ़े: ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सीट के साथ साथ परिवार की साख जीतनी भी जरूरी