Lok Sabha Election 2024: मुरादाबाद। यूपी की मुरादाबाद सीट बीजेपी और एसपी दोनों के लिए नाक का सवाल बन गई है। इतना ही नहीं ये सीट समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा के कद्दावर नेता जेल में बंद आज़म खान के लिए भी रसूख का प्रश्न बन गया है। यहां से सपा ने अपने सिटिंग एमपी डॉ. एस टी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने सर्वेश सिंह को कैंडिडेट के रूप में मैदान में उतारा है।
बीजेपी ने सर्वेश सिंह पर फिर से जताया भरोसा
भारतीय जनता पार्टी ने मुरादाबाद लोकसभा सीट पर चौथी बार सर्वेश सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। इससे पहले भी सर्वेश सिंह 2009, 2014 और 2019 में भाजपा के प्रत्याशी रहे हैं। सपा ने सिटिंग सांसद एस.टी. हसन का टिकट काटकर पूर्व विधायक रुचि वीरा को मैदान में उतार दिया है। जान लें कि समाजवादी पार्टी ने पहले सांसद एसटी हसन को उम्मीदवार बनाया था। कद्दावार नेता आज़म खान के दबाव में एसटी हसन का टिकट काटकर अखिलेश यादव ने रुचि वीरा को सपा का उम्मीदवार बना दिया है। बहुजन समाज पार्टी से मोहम्मद इरफान सैफी को मैदान में उतारा है। एआईएमआईएम ने बकी रशीद को प्रत्याशी घोषित किया है।
सपा के डॉ. एसटी हसन को 97,878 मतों से मिली थी जीत
यूपी की सियासत में मुरादाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र कई मायनों में ख़ास है। साल 2019 के आम चुनाव में सपा के कद्दावर नेता डॉ. एस टी हसन ( Dr. S.T. Hasan) ने 97,878 मतों के अंतर से जीत दर्ज़ की थी। उन्हें 6,49,416 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार को हराया था। सर्वेश को 5,51,538 मत मिले थे। यहाँ 65.39% मतदान हुआ था।
सपा कैंडिडेट रुचि वीरा, बीजेपी के सर्वेश सिंह, बीएसपी के इरफान सैफी चुनावी रण में
अबकी बार मुरादाबाद सीट से सपा कैंडिडेट रुचि वीरा के साथ बीजेपी के सर्वेश सिंह चुनावी रण में हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने मो. इरफ़ान सैफी को प्रत्याशी बनाया है। वैसे बीजेपी और सपा कैंडिडेट में काँटे की टक्कर बताई जा रही है।
साल 2019 में बीजेपी के सर्वेश सिंह ने हराया एस टी हसन को
साल 2014 में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कुल 1771985 मतदाताओं ने वोट डाले थे। चुनाव में BJP पार्टी के प्रत्याशी कुंवर सर्वेश कुमार ने कुल 485224 वोट हासिल कर सपा उम्मीदवार डॉ. एस टी हसन को हराया था। सर्वेश सिंह को 27.38 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर रहे सपा उम्मीदवार डॉ. एस. टी. हसन को 397720 वोट मिले थे। सर्वेश सिंह को 87504 वोटों से जीत मिली थी।
2009 में कांग्रेसी उम्मीदवार मोहम्मद अजहरुद्दीन बने थे सांसद
वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 301283 वोट पाकर जीत हासिल की थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन को 21.7 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं दूसरी तरफ दूसरे स्थान पर BJP उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार रहे थे। सर्वेश को 252176 मतदाताओं का साथ मिल था।
मुस्लिम बहुल सीट पर 11 बार जीते मुसलमान प्रत्याशी
मुस्लिम बहुल मुरादाबाद संसदीय सीट पर अब तक 11 बार मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली। इसके साथ ही 6 बार अन्य उम्मीदवारों के खाते में जीत गई है। आजादी के बाद पहली बार 1952 में इस सीट पर भी कांग्रेस को जीत मिली। 1962 में निर्दलीय सैयद मुजफ्फर हुसैन को जीत नसीब हुई।
कांग्रेस और सपा ने ये सीट चार-चार बार जीती हैं। जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार 2-2 बार यहां से जीत चुके हैं। वहीं जनसंघ, जनता पार्टी सेक्युलर, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस भी 1-1 बार यहां जीत का झंडा गाड़ चुके हैं। साल 2014 के चुनाव में देश में मोदी लहर का फायदा बीजेपी को मिला और मुरादाबाद सीट पर पहली बार कमल खिला। लेकिन 2019 में भाजपा ये सीट सपा से हार गई।
मुरादाबाद में है 47 फीसदी मुसलमान आबादी
2011 की जनगणना के मुताबिक, मुरादाबाद जिले की कुल आबादी 4,772,006 थी। इसमें पुरुषों की संख्या 2,503,186 थी। वहीं महिलाओं की संख्या 2,268,820 थी। हिंदुओं की आबादी 52.14 फीसदी थी। मुस्लिम बिरादरी की संख्या 47.12 फीसदी थी। इनके अलावा अनुसूचित जाति के जाटव मतदाताओं की संख्या करीब 1.80 लाख थी। बाल्मीकि मतदाताओं की संख्या 43000 थी। इनके अलावा यादव बिरादरी के मतदाता अहम भूमिका रखते हैं। यहां 1.50 लाख ठाकुर मतदाता, 1.49 लाख सैनी मतदाता के अलावा करीब 74 हजार वैश्य, 71 हजार कश्यप और 5 हजार जाट मतदाता हैं। इसके साथ ही प्रजापति, पाल, ब्राह्मण, पंजाबी और विश्नोई समाज के मतदाताओं की भी अच्छी भूमिका रही है।
मुरादाबाद लोकसभा में आती हैं कुल 6 विधानसभा सीटें
मुरादाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा आती हैं। इन सीटों में मुरादाबाद नगर, मुरादाबाद ग्रामीण, ठाकुरद्वारा, कांठ, कुंदरकी और बिलारी शामिल है। इनमें से 5 सीटों पर सपा और एक सीट पर बीजेपी का कब्जा है। मुरादाबाद शहर विधानसभा (रितेश कुमार गुप्ता, भाजपा), मुरादाबाद ग्रामीण (मो. नासिर, सपा), बिलारी (मो. फहीम इरफान, सपा), कांठ (कमाल अख्तर, सपा), कुंदरकी (जियाउर्रहमान, सपा), ठाकुरद्वारा (नवाब जान, सपा)।
मुरादाबाद का सियासी गुणाभाग और ज़मीनी हक़ीकत
Lok Sabha Election 2024 में चुनाव प्रचार चरम पर है। मुस्लिम बहुल मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र को बीजेपी फिर से हासिल करना चाहती है। इसी कड़ी में बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम का पहला सम्मेलन मुरादाबाद में ही आयोजित कराया था। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अनुसूचित जाति) के सहारे इस सीट को दोबारा जीतना चाहते हैं। हालाँकि नामांकन के अंतिम दिन एसटी हसन का नामांकन रद करवा कर सपा ने रुचि वीरा को सिंबल दे दिया है। इससे उनकी पार्टी में गुटबाज़ी चल रही है। रुचि वीरा, आज़म खान की पसंद और उनकी ख़ास मानी जाती हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के अंदर उपजा विरोध सपा को भारी पड़ सकता है। एक तरह सपा के सामने जहाँ सीट बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के गृह जिले की सीट पर जीत दर्ज करना चाहेगी।
Lok Sabha Election 2024 के चुनाव को लेकर जानकारों का कहना है कि एआईएमआईएम के प्रत्याशी बकी रशीद के नामांकन के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को अपना खेल बिगड़ता नज़र आ रहा है। बसपा ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है, लिहाज़ा मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता दिखाई दे रहा है। जिसका सीधा फायदा भाजपा के कुंवर सर्वेश को होता नज़र आ रहा है।
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