Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Elections 2024: जानिए पीएम मोदी की संसदीय सीट वाराणसी का सियासी इतिहास

Lok Sabha Elections 2024: वाराणसी लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं. जिसमें 7 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी को जीत मिली है…इस बार भी देश के पीएम और बीजेपी के दिग्गज़ नरेंद्र मोदी यहीं से चुनावी मैदान में हैं। अबकी बार यहां पर सातवें चरण को 1 जून को चुनाव है। यहाँ इंडिया ब्लॉक के कांग्रेसी उम्मीदवार अजय राय चुनाव मैदान में हैं।

Varanasi Lok Sabha: 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में चर्चा में रही वाराणसी सीट आज देश की सियासत का केन्द्र बन गई है ……. 1957 के लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आई वाराणसी सीट कई मायनों में खास है ….. कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट लंबे समय ये भाजपा के पास है। आज यह सीट देश की सियासी गणित क्या है?

वाराणसी संसार के प्राचीनतम नगरों में से एक है। हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में इसकी गिनती होती है। पुराणों में काशी नाम से वर्णित वाराणसी की संस्कृति का श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर और गंगा नदी से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है।

वाराणसी का सियासी इतिहास

साल 1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। 1951-52 में जब पहले आम चुनाव हुए थे तब वाराणसी जिले में बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं। 1957 में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई। यहां हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस की तरफ से उतरे रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार शिवमंगल राम को 71,926 वोट से शिकस्त दी थी। 1962 के चुनाव में भी कांग्रेस के रघुनाथ सिंह फिर से जीतने में सफल रहे। उन्होंने इस बार जनसंघ उम्मीदवार रघुवीर को 45,907 वोटों से हराया।

1967 का लोकसभा चुनाव

Lok Sabha Elections 2024 में चुनावी प्रचार चरम पर है। 1967 लोकसभा में वाराणसी सीट पर गैर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली। उस चुनाव में यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की। भाकपा उम्मीदवार एसएन सिंह ने कांग्रेस के आर. सिंह को 18,167 मतों से हरा दिया।

1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली फतेह

हालांकि, 1971 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर जीत दर्ज की। पार्टी की तरफ से उतरे जाने-माने शिक्षाविद राजा राम शास्त्री ने यहां पार्टी को जीत दिलाई। शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के कमला प्रसाद सिंह को 52,941 वोट से हराया।

आपातकाल के बाद कांग्रेस ने गंवाई सीट

1971 के चुनाव के बाद और अगले चुनाव से पहले देश ने आपातकाल का दौर देखा। आपातकाल खत्म हुआ तो 1977 में फिर से चुनाव हुए। जनता लहर में कांग्रेस बुरी तरह हारी। वाराणसी सीट भी पार्टी ने गंवा दी। यहां कांग्रेस के राजा राम को भारतीय लोक दल के चंद्रशेखर ने 1,71,854 वोट से करारी हार झेलनी पड़ी।

1980 और 1984 में कांग्रेस की जीत

कांग्रेस की तरफ से उतरे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने पार्टी को जीत दिलाई। उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के प्रत्याशी राज नारायण के खिलाफ 24,735 मतों से जीत दर्ज की। 1984 में भी कांग्रेस इस सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही। इस चुनाव में पार्टी के श्याम लाल यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी ऊदल के मुकाबले 94,430 वोटों से जीते।

1989 में जनता दल की जीत

Lok Sabha Elections 2024 में राजनीतिक दल ज़ोरशोर से लगे हुए हैं। वहीं साल 1989 में लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई। इस बार जनता दल के अनिल शास्त्री ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था।

साल 1991 और 1996 में भाजपा को मिली जीत

1991 में पहली बार वाराणसी सीट पर भाजपा को जीत मिली। भाजपा के श्रीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर को 40,439 मतों से शिकस्त दी। तब से यह सीट भाजपा का गढ़ रही है। 1991 के बाद 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की। जायसवाल ने माकपा के राजकिशोर को 1,00,692 वोटों से हराया।

1998 से 1999 तक भाजपा की हैट्रिक

भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार दूसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। जायसवाल के खिलाफ माकपा से उतरे दीनानाथ सिंह यादव को 1,51,946 वोटों से करारी हार मिली। 1999 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई। उन्होंने इस बार कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा को 52,859 मतों से हराया।

कांग्रेस की 2004 में हुई वापसी

2004 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की। पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर हारने वाले राजेश कुमार मिश्रा ने अबकी बार यहां जीत दर्ज की और भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल को जीत के सिलसिले को भी थाम दिया। राजेश मिश्रा यह चुनाव 57,440 मतों से जीते।

2009 में मुरली मनोहर जोशी ने मुख्तार अंसारी को हराया

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट एक बार फिर से देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई। उस चुनाव में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी यहां से मैदान में थे। उनके मुकाबले बसपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी को उतार दिया था। जब नतीजे आए तो करीबी मुकाबले में जोशी जीत दर्ज करने में सफल रहे। भाजपा इस चुनाव में 17,211 वोटों से जीत गई।

2014 में वाराणसी से जीते नरेंद्र मोदी

न मुझे किसे ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया… 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी लोकसभा सीट पर नामांकन करने करने पहुंचे भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ये बातें कही थीं। यहां से जीतकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। चुनावों से पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया। वहीं, जब चुनाव लड़ने की बारी आई तो नरेंद्र मोदी ने वडोदरा के साथ-साथ वाराणसी सीट से भी नामांकन किया। उधर मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल तो कांग्रेस से अजय राय मैदान में थे। इसी जीत के साथ नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री भी बने।

2019 में दूसरी बार नरेंद्र मोदी जीते

अब बात करते हैं पिछले लोकसभा चुनाव की। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उतरे। उनके सामने कांग्रेस ने अजय राय और सपा ने शालिनी यादव को उतारा। नतीजे एक बार फिर भाजपा के पक्ष में रहे और यहां प्रधानमंत्री ने सपा की शालिनी यादव को 4,79,505 मतों से बड़े अंतर से शिकस्त दी। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट, सपा उम्मीदवार शालिनी को 1,95,159 और कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 वोट मिले।

इस तरह वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और 30 मई 2019 को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

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