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Loksabha Election 2024 Pali : पाली में पूर्व मंत्री चौधरी और बाल आयोग की पूर्व चेयरमैन बेनीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर, तीसरी बार मैदान में हैं पीपी चौधरी

Loksabha Election 2024 Pali : पाली। पाली लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। भाजपा ने पीपी चौधरी को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है। चलिए समझते हैं पाली लोकसभा के सियासी समीकरण को और जानते है कि कौन से फैक्टर किस दल के साथ हैं।

 

 

औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान

 

 

पाली पालीवाल ब्राह्मणों के नाम से बना। पाली शहर को औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां रंगाई छपाई और सूती वस्त्र उद्योग प्रमुख है, जो लोगों के रोजगार के मुख्य केन्द्र है। कपड़ा व्यवसाय के लिए प्रसिद्द पाली में तैयार कपड़ा पूरे देश में जाता है। दिल्ली से पाली की दूरी 568 किलोमीटर है।

 

जनरल अजीतसिंह थे पहले सांसद

 

पाली लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। पाली लोकसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 1952 में हुआ था। निर्दलीय पार्टी के जनरल अजीत सिंह पाली के पहले सांसद थे। 2009 में परिसिमन से पूर्व जिले की आठ विधानसभा क्षेत्र इसमें थे लेकिन 2009 के परिसिमन के बाद जोधपुर जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया।

 

आठ विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है लोकसभा क्षेत्र

 

पाली लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र बिलाड़ा, भोपालगढ़, ओसिया, पाली, बाली, सुमेरपुर, सोजत व मारवाड़ जंक्शन शामिल हैं। इनमें छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और दो विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा के विधायकों में बिलाड़ा से अर्जुन गर्ग, ओसियां से भैराराम सियोल, बाली से पुष्पेंद्र सिंह राणावत, सुमेरपुर से जोराराम कुमावत, सोजत से शोभा चौहान और मारवाड़ जंक्शन से केशाराम चौधरी शामिल हैं। वहीं कांग्रेस के विधायकों में भोपालगढ़ से गीता बरवड़ और पाली से भीमराज भाटी शामिल हैं।

 

पाली लोकसभा क्षेत्र में 23 लाख से ज्यादा मतदाता

 

 

पाली संसदीय क्षेत्र में 23 लाख 43 हजार 245 मतदाता है। जिसमें सर्वाधिक वोटों के जातिगत आंकड़ों पर नजर डाले तो जाट 3.75 लाख, सीरवी 2.80 लाख, राजपूत 1.50 लाख, अनुसूचित जाति जनजाति करीब 4.50 लाख, मुस्लिम 1.50 लाख, ब्राह्मण एक लाख, जैन 60 हजार, माली 50 हजार, पटेल, चौधरी, जनवा 80 हजार, देवासी 70 हजार, रावत 50 हजार समेत अन्य जातियों के मतदाता संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में निवासरत है। इनमें 39 प्रतिशत वोटर शहरी और 61 फीसदी वोटर ग्रामीण हैं।

 

 

पर्यटकों की पसंदीदा जगह है पाली

 

पाली लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर सूती वस्त्र उद्योग के साथ चूड़ी उद्योग व मेहंदी उद्योग है जो प्रदेश में ही नहीं विश्व स्तर पर पहचान रखता है। गोडवाड़ क्षेत्र पर्यटन के हिसाब से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। रणकपुर जैन मंदिर के साथ जवाई लेपर्ड क्षेत्र व जवाई बांध में मगरमछ सहित अन्य जीवों को देखने के लिए पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। पर कांग्रेस भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के नेता के साथ फिल्मी सितारे व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी भी पर्यटन क्षेत्र का लुत्फ लेने आते रहते हैं।

 

पिछली बार 4,81, 597 वोटों के बड़े मार्जिन से जीते थे चौधरी

 

अगर बात 2019 लोकसभा क्षेत्र की करें तो भाजपा के पीपी चौधरी ने कांग्रेस के बद्रीराम जाखड़ पर 4,81,597 वोटों से भारी जीत दर्ज की थी। चौधरी को 9,00,149 वोट मिले जबकि कांग्रेस के बद्रीराम जाखड़ को 4,18,552 वोट मिले थे। 2019 में ये लगातार बीजेपी की दूसरी जीत थी।

 

मोदी के भरोसे चौधरी

 

पीपी चौधरी तीसरी बार मोदी के नाम पर नैया पार लगाने की जुगत में है। हालांकि भाजपा में पीपी चौधरी का विरोध भी है, लेकिन मोदी के नाम पर जितने की कोशिश में है तो वहीं कांग्रेस की संगीता बेनीवाल पार्टी में निर्विवाद चेहरे का फायदा मिलेगा। लेकिन क्षेत्र कमजोर पकड़ नुकसान का कारण भी बन सकता है।

 

 

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आठ बार कांग्रेस और सात बार भाजपा जीती

 

 

पाली के अब तक के चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो सबसे पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ। 18 में से 8 बार कांग्रेस जीती है जबकि 7 बार भाजपा जीती है। दो बार निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। वहीं एक बार जनता पार्टी जीती है। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस के मूलचंद डागा चुनाव जीते हैं। वर्तमान सांसद पीपी चौधरी भी लगातार दो बार जीत कर तीसरी बार मैदान में है ।

 

जानिए कब कौन रहा सांसद

 

1952 जनरल अजित सिंह (निर्दलीय)
1957 हरिश्चन्द्र माथुर (कांग्रेस)
1962 जसवंतराज मेहता (कांग्रेस)
1967 एस के तापुरिया (निर्दलीय)
1971 मूलचंद डागा (कांग्रेस)
1977 अमृत नाहटा (जनता पार्टी)
1980 मूलचंद डागा (कांग्रेस)
1984 मूलचंद डागा (कांग्रेस)
1988 शंकरलाल शर्मा (कांग्रेस)
1989 गुमानमल लोढ़ा (भाजपा)
1991 गुमानमल लोढ़ा (भाजपा)
1996 गुमानमल लोढ़ा (भाजपा)
1998 मिठालाल जैन (कांग्रेस)
1999 पुष्प जैन (भाजपा)
2004 पुष्प जैन (भाजपा)
2009 बद्रीराम जाखड़ (कांग्रेस)
2014 पीपी चौधरी (भाजपा)
2019 पीपी चौधरी (भाजपा)

 

 

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जनप्रतिनिधियों से जनता है नाराज

अगर विकास की बात करें तो यंहा की जनता दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधियों से नाराज नजर आ रहे है। क्योंकि पाली एक मात्र जिला है जहां पेयजल भी वाटर ट्रेन से सप्लाई होता है। यहां की प्रमुख समस्या के तौर पर यह मुद्दा हर चुनाव में प्रभावी होता है। लेकिन चुनावों के बाद इस मुद्दे को भुला दिया जाता। प्रदूषण का मुद्दा भी जस का तस बना हुआ है। उद्योगों के यहां से अन्य जगह जाने की प्लानिंग बन रही है। जिससे रोजगार पर भी प्रभाव पड़ रहा है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि क्षेत्र की जनता किसको जीतकर संसद भेजती है और क्या इस बार उनकी समस्याओं का हो पाएगा स्थायी समाधान।