LOKSABHA ELECTION2024 GARHWAL SEAT: गढ़वाल, उत्तराखण्ड। लोकसभा चुनाव को लेकर कई सीटों पर समीकरण सामने आ रहे हैं। जिसमें बीजेपी और कांग्रेस को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। खासकर जब बात उत्तराखंड की आती है तो यहां कई संसदीय सीटें ऐसी हैं जिन पर दशकों से बीजेपी का कब्जा है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की गढ़वाल संसदीय सीट की। जहां तक इस सीट की बात है तो यहां लगभग हर घर से एक सिपाही है। ठाकुर बहुल इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं।
काँग्रेस की एक हत्याकांड को भुनाने की कोशिश
विस्तार से बताया जाए तो इस बैठक में कांग्रेस मुख्य रूप से अंकिता भंडारी हत्याकांड को मुद्दा बना रही है। कांग्रेस का कहना है कि अंकिता हत्याकांड में पुलिस वीवीआईपी को बेनकाब नहीं कर रही है। क्योंकि ये वीवीआईपी बीजेपी से जुड़ा एक बड़ा नाम हो सकता है। यहां पलायन भी एक मुद्दा है। पौडी वह सीट है जहां सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। यहां भुतहा गांवों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। संभागीय मुख्यालय पुरी में पानी की कमी भी एक बड़ी समस्या है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी विकास के मुद्दे पर प्रचार कर रही है।
यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच जंग
बीजेपी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में अभूतपूर्व विकास हुआ है। 2013 की आपदा के बाद जहां केदारना तबाह हो गई थी, उसका पुनर्निर्माण किया गया है, वहीं बद्रीनाथ धाम का भी कायापलट हो गया है। चारधाम सड़क परियोजना के तहत चारधाम तक जाने वाली सड़कों का सुधार किया गया है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पहुंचाने की योजना पर भी काम चल रहा है। बीजेपी का कहना है कि यह रेल परियोजना पूरे गढ़वाल और उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
बीजेपी ने अनिल बलूनी को मैदान में उतारा
गढ़वाल से टिकट मिलने के बाद सबकी निगाहें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी पर हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट से अपने सबसे काबिल नेता और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि इस सीट पर 1952 से 1977 तक कांग्रेस का कब्जा था। इसमें 14 विधानसभा सीटें हैं जो उत्तराखंड के पांच जिलों, चमोली, पौरी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग और तिहरी गढ़वाल में फैली हुई हैं।
कांग्रेस ने इस सीट से गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा था
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के तीरथ सिंह रावत ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने भी इस सीट पर अपने पिछले उम्मीदवार मनीष खंडूरी का टिकट काटकर गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। इस सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प है। अगर विशेष रूप से पौडी की बात करें तो इस धरती ने पांच मुख्यमंत्री दिये हैं। देश के बड़े पदों पर भी पौड़ी का प्रभाव है. देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत हों या अजीत डोबले, ये सभी पौड़ी से हैं। वर्तमान सीडीएस अनिल चौहान भी पौडी के ही रहने वाले हैं। इससे पहले 2014 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी ने इस सीट से हरक सिंह को हराया था।
बीजेपी गठबंधन वाली मानी जाने वाली गढ़वाल सीट का इतिहास
भक्त दर्शन सिंह 1952 से 1971 तक
प्रताप सिंह नेगी 1971 से 1977 तक
जगन्नाथ शर्मा 1977 से 1980 तक
हेमवंती नंदन बहुगुणा 1980 से 1984
चन्द्र मोहन नेगी 1984 से 1991 तक
भुवन चंद्र खंडूरी 1991 से 1996 तक
सतपाल महाराज 1996 से 1998 तक
भुवन चंद्र खंडूरी 1998 से 2007
पूरा समीकरण
इस सीट की डिटेल की बात करें तो करीब 14 लाख वोटर हैं। गौरतलब है कि इस बार यहां का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यहां से बीजेपी के तीरथ सिंह रावत 5 लाख 6 हजार 980 वोट पाकर जीते थे। कांग्रेस के मनीष खंडूरी 2 लाख 04 हजार 311 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र की 14 में से 13 सीटें जीतीं। कांग्रेस को केवल बद्रीनाथ सीट पर जीत मिली।
ये भी पढ़ें: CONGRESS STAR CAMPAIGNER: काँग्रेस के स्टार प्रचारकों में राजस्थान को इतनी तवज्जो क्यों? सारे नाम जानें…