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LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT: हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा तीसरी बार आमने सामने, इस बार पार्टी स्विच से बदलेगा चुनाव परिणाम?

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LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT: लोकसभा चुनाव में कई बुकाबले तो इतने दिलचस्प होंगे किसी ने सोचा भी नहीं होगा। वही मैदान, वही विरोधी, पर सोचिए कि अबकी बार पार्टी आमने सामने हो गयी हैं। बात राजस्थान की नागौर सीट (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) की हो रही है जहां दो प्रतिद्वंदी आमने सामने पहले भी थे और अब भी हैं। परंतु पहले जो भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहा था वो अब INDIA गठबंधन के खेमे से चुनाव लड़ रहा है और जो पहले काँग्रेस की स्थायी उम्मीदवारी थी वो अब भाजपा के हिस्से से चुनावी मैदान में उम्मीदवार है।

राजस्थान की नागौर सीट

राजस्थान की 25 लोकसभा सीट में से एक महत्वपूर्ण नागौर सीट पर अब तक 19 बार संसदीय चुनाव हो चुके हैं। इसमें भी उपचुनाव शामिल हैं। 8 विधासभा सीटों पर बनी ये संसदीय सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि काँग्रेस हमेशा से यहाँ से अपना दम-खम (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) दिखाती आई है। पहली बार इस सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार जीता, पहला लोकसभा चुनाव वही था जो 1952 में आज़ादी के बाद हुआ था। इसके बाद भाजपा की जीत पहली बार 1997 में हुई। भाजपा के पहले संसद भानु प्रकाश मिर्धा थे।

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पिछले कई चुनाव से बदल रही है कुर्सी

नागौर सीट पर पिछले कई चुनाव से सत्ता बदल रही है। साथ ही बदल रही है कुर्सियाँ। पिछले चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन में आई राष्ट्रीय लोकदल पार्टी यानि हनुमान बेनीवाल की बोतल के निशान वाली पार्टी रालोपा ने चुनाव जीता। काँग्रेस की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को हराकर। इस बार हनुमान बेनीवाल ने अपना खेमा बदल लिया है और काँग्रेस के साथ वाली INDIA गठबंधन की तरफ रुख कर लिया है। वहीं काँग्रेस का हाथ छोड़ (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) कर हमेशा से काँग्रेस के साथ रहने वाला मिर्धा परिवार इस बार भाजपा के पक्ष में आया और ज्योति मिर्धा को टिकट मिला। इस बार आमने सामने की टक्कर में फिर से मिर्धा और बेनीवाल हैं परंतु पार्टी स्विच हो गयी है।

नागौर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का जीतना नहीं है आसान

नागौर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें हैं। वहाँ भाजपा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हालनकि भाजपा ने राजस्थान में चुनाव जीता और अपनी सरकार स्थापित कर ली। परंतु नागौर सीट पर अभी भी काँग्रेस का अधिकार ज्यादा नज़र आता है। इसके पीछे की (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) वजह ये है कि 8 में से 4 सीटों पर काँग्रेस ने जीत हासिल की। बाकी बची चार सीटों पर भी भाजपा सिर्फ 2 ही सीटों पर काबिज है। एक पर आरएलपी और एक पर निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया। 8 में से अभी भाजपा के पास सिर्फ 2 सीटें हैं। ऐसे में परिस्थितियाँ इतनी भी अनुकूल नहीं नज़र आती है।

2019 में क्या हुआ था इस सीट पर

साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में हार – जीत के साथ साथ साख का भी प्रश्न था।  साख एक तरफ मिर्धा परिवार की और दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल की। 2019 में हनुमान बेनीवाल ने अपनी साख बचा ली। ज्योति मिर्धा काँग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में थी पर हार का सामना करना पड़ा। 2019 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल को 6,60,051 वोट मिले जबकि ज्योति मिर्धा को 4,78,791 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। उस समय काँग्रेस की ज्योति मिर्धा पर एनडीए के हनुमान बेनीवाल ने 1 लाख 81 हज़ार 260 वोटों से जीत दर्ज की।

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2014 में मोदी लहर में नागौर में भाजपा की हुई थी जीत

2014 में पूरे देश में भाजपा और नरेंद्र मोदी की लहर थी। उस समय भाजपा ने सी आर चौधरी को अपनी तरफ की कमान दी थी। इस पर वो खरे भी उतरे और सांसद बने। उस चुनाव में भाजपा के चौधरी को कुल 4 लाख 14 हज़ार 791 वोट मिले थे। जबकि (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) काँग्रेस की तरफ से ज्योति मिर्धा ही मैदान में थी और उन्हें उस समय भी हार का ही सामना करना पड़ा। ज्योति मिर्धा को उस समय 3 लाख 39 हज़ार 573 वोट पर ही सिमटना पड़ा।

2019 के आंकड़े क्या कहते हैं?

2019 में अगर कुल वोटर की गिनती देखी जाय तो 19 लाख 33 हज़ार 169 थे। जिनमें से पुरुष मतदाता की गिनती 9 लाख 24 हज़ार 258 थी। वही महिला मतदाता 10 लाख 8 हज़ार 903 थे। चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 62.236 रहा। इस समाया कुल उम्मीदवार मैदान में 13 थे। जिनमें से 2 महिला उम्मीदवार भी मैदान में चुनाव के लिए उतरी हुई थी।

लोकसभा 2024 में कब होंगे चुनाव

लोकसभा चुनाव की टाइमलाइन देखी जाए तो चुनाव आयोग में नागौर के लिए पहला (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) चरण ही तय किया है। जिसमें मतदान की तारीख 19 अप्रैल की तय की गयी है। जबकि परिणाम एक साथ ही 4 जून को आना ताया है। इसके साथ ही यहाँ के लोग शहर में कम और गावों में ज्यादा निवास करते हैं। ये भी एक वजह रही है कि चुनाव में मतदान का प्रतिशत बहुत ज्यादा नहीं रहता है। लगभग 70 प्रतिशत के आसपास या इससे कम ही रहा है।

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ज्योति मिर्धा की पकड़ स्थानीय लोगों में अधिक

हालांकि ज्योति मिर्धा के लिए ये पैतृक सीट भी कही जा सकती है। परंतु फिर भी पिछले 2 चुनाव के नतीजे ज्योति मिर्धा के पक्ष में नहीं रहे। जबकि इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि मिर्धा भाजपा कि टिकट पर कमाल कर सकती है। ये पहली बार है जब मिर्धा परिवार (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) कि तरफ से भाजपा को टिकट मिली है। परंतु इस पर भी भाजपा का मुख्य जात चेहरा होने का दावा है। पेशे से डॉक्टर ज्योति मिर्धा और उनके पूरे परिवार को काँग्रेस के ही लोग माना जाता रहा है। परंतु अब समीकरण बदल गए हैं। ज्योति मिर्धा के दादा, नाथु राम मिर्धा स्थानीय जाट नेता और साथ ही काँग्रेस के बड़े नेता रहे हैं और नागौर में बड़ा रुतबा भी रखते हैं। अब भाजपा में ज्योति मिर्धा आने के बाद परिवार के कई सदस्यों का रुख भाजपा की तरफ नर्म दिखाई दे रहा है।

हनुमान बेनीवाल बने नए जाट नेता?

हनुमान बेनीवाल कई तरह से राजस्थान की नयी राजनीति में महत्वपूर्ण हैं। अपनी बात सदन में मुखर होने रखें के लिए मशहूर शुरुआती तौर से ही जाट नेता की छवि के साथ चुनावी मैदान में आए थे। हालांकि इसके बाद उन्होने कई बार इस छवि को बदलने का भी प्रयास कर सभी को एक साथ लाने की बात कही परंतु ऐसा होता नज़र नहीं आता। वैसे भाजपा और काँग्रेस दोनों के खिलाफ अपने कई बयानों को लेकर विवाद में भी आ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा की पूर्व राजस्थान की मुख्यमंत्री की आपसी साँठ गांठ की बात को राजस्थान और राष्ट्र की राजनीति में उछालने वाले हनुमान बेनीवाल ही माने जाते हैं।

काँग्रेस के लोग देंगे बेनीवाल का साथ?

पिछले चुनावों में काँग्रेस के विरोध में चुनावी मैदान में उतरने वाले बेनीवाल अब काँग्रेस के ही INDIA गठबंधन की तरफ से टिकट लेकर नागौर सीट पर खड़े हैं। ऐसी स्थिति में काँग्रेस का स्थानीय खेमा बहुत खुश नज़र नहीं आ रहा है। अब दिक्कत ये भी (LOKSABHA ELECTION2024 NAGAUR SEAT) मानी जा रही है कि काँग्रेस अपनी लगभग तय सीट पर आरएलपी के अध्यक्ष की तरफ अपने पक्के वोटों को मोड पाने में खुश होगी भी या नहीं। और हो सकता है इसी का फायदा ज्योति मिर्धा को मिल जाए।

यह भी देखें: LOKSABHA ELECTION2024 GUNA SEAT: ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सीट के साथ साथ परिवार की साख जीतनी भी जरूरी

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