दिवाली के बाद भारतीय शेयर बाजार में जो उत्साह और रौनक थी, अब अचानक ठंडी पड़ गई है। 2 दिन की छुट्टी के बाद 4 नवंबर को कारोबार का हफ्ता शुरू होते ही गिरावट का माहौल बन गया। शुरुआत में हल्की गिरावट देखी गई, लेकिन जैसे ही बाजार खुला, महज 15 मिनट के अंदर ही सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट आई। इस गिरावट के चलते निवेशकों ने केवल 15 मिनट में 6 लाख करोड़ रुपये गंवाए।
सेंसेक्स और निफ्टी की पिटाई
भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में व्यापक बिकवाली हो रही है। सभी प्रमुख स्टॉक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सेंसेक्स में 1000 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई है, वहीं निफ्टी भी 330 अंक टूट चुका है। इस हालात ने निवेशकों के मन में सवाल उठाया है कि आखिर दिवाली के बाद ऐसा क्या हुआ कि बाजार की यह हालत हो गई।
गिरावट के पीछे के कारण
शेयर बाजार की इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक माने जा रहे हैं। इस हफ्ते अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, और इसका परिणाम न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी गहरा असर डाल सकता है। इसी कारण निवेशकों में असमंजस और डर का माहौल है।
BSE का मार्केट कैप घटा
इस समय बीएसई सेंसेक्स के लिए हालात बेहद खराब हैं। यह 1040 अंकों से ज्यादा गिरकर 78,683 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी में भी 330 अंकों की गिरावट आई है, और यह 23,976 पर पहुंच गया है। बाजार की इस गिरावट के चलते बीएसई पर सभी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 6.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 441.3 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
कौन-कौन सी कंपनियों पर पड़ी मार?
बाजार में गिरावट के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सन फार्मा जैसी प्रमुख कंपनियों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। इन कंपनियों के चलते बाजार में 420 अंकों की गिरावट आई है। इसके अलावा, एलएंडटी, एक्सिस बैंक, टीसीएस और टाटा मोटर्स ने भी सूचकांक को नीचे गिराने में योगदान दिया है।
निवेशकों की चिंता बढ़ी
अभी के लिए निवेशकों के मन में चिंता बढ़ गई है। अमेरिकी चुनाव और फेडरल रिजर्व की बैठक जैसे प्रमुख घटनाक्रमों के चलते बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक चुनाव के परिणाम स्पष्ट नहीं होते, तब तक भारतीय बाजार में गिरावट की संभावना बनी रहेगी।
आगे का क्या?
अब सवाल यह है कि क्या भारतीय बाजार इन हालातों से उबर पाएगा? क्या अमेरिकी चुनाव के परिणामों के बाद स्थिति में सुधार होगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। तब तक निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार की गतिविधियों पर नजर रखने की सलाह दी जा रही है।