महाकुंभ 2025: रुद्राक्ष पहनने से मिलता है ऊर्जा, यह अमृत के समान है – रुद्राक्षधारी बाबा

महाकुंभ 2025 में लाखों साधु-संतों की भीड़, श्रद्धालुओं का सैलाब और आध्यात्मिक वातावरण के बीच गुजरात फर्स्ट की टीम लगातार ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही है। इस दौरान टीम ने महाकुंभ में बहुत सारे बाबाओं और संतों से बात मुलाकात की है। इस कॅम में टीम ने महाकुंभ में पहुंचे सवा लाख रुद्राक्षधारी बाबा से खास बातचीत की है। उन्होंने रुद्राक्ष की महिमा और महाकुंभ के महत्व के बारे में टीम को विस्तार से बताया है।

रुद्राक्ष को माना जाता है अमृत के समान

रुद्राक्षधारी बाबा ने रुद्राक्ष की ऊर्जा और उसकी खासियत के बारे में बताया है। उनके मुताबिक रुद्राक्ष को पंच तत्त्व का प्रतीक माना जाता है और यह अमृत के समान होता है। उनका कहना है कि रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है और इसके पानी से कई तरह की बीमारियों का इलाज भी हो सकता है। वे बताते हैं, “रुद्राक्ष से मानसिक शांति और शरीर की ताजगी बनी रहती है।”

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एकता जरूरी

वहीं भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर भी उन्होंने अपना मत रखा है। रुद्राक्षधारी बाबा का कहना था भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की दिशा में सबसे पहले हमें एकजुट होना पड़ेगा। उनका मानना है कि जब तक लोग एक-दूसरे से प्रेम और सम्मान के साथ नहीं रहेंगे, तब तक कोई भी बड़े बदलाव संभव नहीं होंगे। इसलिए सबको एक जुट रहना चाहिए।

महाकुंभ में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का महत्व

महाकुंभ में स्नान का समय बहुत अहम है, और रुद्राक्षधारी बाबा का कहना है कि सभी को ब्रह्म मुहूर्त में महाकुंभ में स्नान करना चाहिए। उन्होंने कहा, “जो लोग धर्म के अनुसार सेवा करते हैं, उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।” उन्होंने कहा कि सबको कुंभ स्नान करना ही चाहिए।

साधु-संतों के आशीर्वाद से बनती है पुण्य की प्राप्ति

महाकुंभ में पहुंचे लाखों साधु-संतों के आशीर्वाद से लोग अपने जीवन को धन्य महसूस कर रहे हैं। यहां की पवित्रता और आस्था से लोगों के दिलों में नया विश्वास जाग रहा है। साधु-संतों की तपस्या और उनका आशीर्वाद, दोनों ही श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से Hind First की खास रिपोर्ट