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Pandupol Mandir Alwar Rajasthan : पांडुपोल मंदिर…यहां बजरंग बली से हुआ महाबली भीम का सामना, फिर पांडवों ने की मंदिर की स्थापना

MahaBharatKalin Pandupol Mandir Alwar Rajasthan

MahaBharatKalin Pandupol Mandir Alwar Rajasthan : अलवर। महाभारत में पांडवों को अज्ञातवास मिलने की कहानी तो आपने जरुर सुनी होगी। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जहां अज्ञातवास के दौरान महाबली भीम का बजरंग बली से सामना हुआ था, इस दौरान हनुमानजी ने वानर का रुप रखकर भीम का घमंड दूर किया। जिसके बाद भीम ने सभी पांडव भाइयों के साथ मिलकर पांडुपोल मंदिर की स्थापना की।

महाभारतकालीन है पांडुपोल मंदिर !

महाभारतकाल में पांडवों द्वारा बनाया गया यह मंदिर पांडुपोल के नाम से विख्यात है, जो अलवर जिले में सरिस्का अभयारण्य के घने जंगलों के बीच बना हुआ है। टाइगर रिजर्व एरिया में बना होने की वजह से इस मंदिर के दर्शन सप्ताह में सिर्फ मंगलवार और शनिवार को ही किए जा सकते हैं। लेकिन, इस मंदिर का प्राचीन इतिहास होने की वजह से यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस बार भी हनुमान जन्मोत्सव पर यहां राजस्थान के साथ दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भक्त आएंगे।

पांडवों ने यहां भी बिताया था अज्ञातवास

पांडुपोल हनुमान मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह महाभारतकालीन है, जिसे खुद पांडवों ने बनाया था। कथा के अनुसार महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास मिलने पर यहां के जंगलों में रहे थे। इस दौरान द्रौपदी के स्नान के वक्त घाटी के ऊपर से बह रही जलधारा से एक पुष्प आकर गिरा, यह पुष्प द्रोपदी को इतना पसंद आया कि उन्होंने भीम को जलधारा के ऊपर से वो पुष्प लाने को कहा।

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हनुमानजी ने दूर किया भीम का घमंड

भीम को अपनी शक्ति पर घमंड था, ऐसे में वो जलधारा की तरफ बढ़ने लगे। लेकिन, तभी हनुमानजी बुजुर्ग वानर का रुप रखकर भीम के रास्ते में आकर बैठ गए। उनकी पूंछ से रास्ता बंद हो गया, तो भीम ने बुजुर्ग वानर से पूंछ हटाने को कहा, हनुमानजी ने कहा आप शक्तिशाली हैं आप ही हटा दीजिए। लेकिन भीम लाख कोशिशों के बाद भी पूंछ रास्ते से नहीं हटा सके और उनका अपनी शक्ति पर जो घमंड था, वो दूर हो गया। इसके बाद हनुमानजी ने भीम को दर्शन दिए।

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पांडवों ने की थी मंदिर की स्थापना

पांडुपोल मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में है। मान्यता है हनुमानजी से साक्षात्कार होने के बाद इस मूर्ति और मंदिर की स्थापना पांडवों ने ही यहां की थी। इसके बाद भीम ने यहां गदा से पहाड़ तोड़कर पहाड़ के आर-पास रास्ता भी बनाया था। पहाड़ में बना यह दरवाजा पांडुपोल कहलाता है और यहीं पर हनुमानजी ने भीम को दर्शन दिए थे। इसलिए हर साल भादौ में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन यहां मेला लगता है।

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