Amrit Snan: महाकुंभ में शाही स्नान अब अमृत स्नान के नाम से जाने जाएंगे। बीते दिनों अपने प्रयागराज दौरे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की। बता दें की बहुत समय पहले से संत शाही स्नान के नए नामकरण (Amrit Snan) की मांग कर रहे थे।
पेशवाई हुआ नगर प्रवेश
महाकुंभ में पेशवाई (peshwai in mahakumbh) के नाम को भी बदल कर अब ‘नगर प्रवेश’ कर दिया गया है। इसकी मांग भी बहुत समय से संत कर रहे थे। पेशवाई फारसी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ है सम्माननीय व्यक्ति का स्वागत। महाकुंभ में पेशवाई साधु-संतों के जुलूस को दर्शाता है। इसमें संत रथ, हाथी और घोड़ों पर सवार होकर मेला नगरी में प्रवेश करते हैं।
कब से शुरू होगा महाकुंभ 2025?
महाकुंभ मेला 2025 (Mahakumbh 2025 Date), 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के साथ समाप्त होगा। हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक के रूप में प्रसिद्ध, महाकुंभ हर 12 साल में एक बार होता है। यह भव्य कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर मनाया जाएगा।
ये हैं अमृत स्नान की सभी छह तिथियां
पौष पूर्णिमा स्नान: 13 जनवरी 2025
मकर संक्रांति स्नान: 14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या स्नान: 29 जनवरी 2025
बसंत पंचमी स्नान: 3 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा स्नान: 12 फरवरी 2025
महा शिवरात्रि स्नान: 26 फरवरी, 2025
महाकुंभ का महत्व
हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ (Mahakumbh Significance) सबसे बड़े और पवित्र हिंदू तीर्थयात्राओं में से एक है। यह आध्यात्मिक जागृति और शुद्धि का प्रतीक है। महाकुम्भ चार पवित्र जगहों- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक- पर बारी-बारी से आयोजित होता है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोगों का मानना है कि इससे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष मिलता है। महाकुंभ एकता, भक्ति और आत्मज्ञान की खोज का प्रतीक है, जो संतों, तपस्वियों और आध्यात्मिक साधकों सहित लाखों लोगों को आकर्षित करता है। इसका गहरा महत्व आस्था, परंपरा और दैवीय आशीर्वाद और आत्म-शुद्धि की खोज को बढ़ावा देने में निहित है।
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