Mahakumbh 2025

नागा बाबा महंत सौरभ गिरी से जानें महाकुंभ का महत्व, कैसे बनते हैं असली साधु?

Mahakumbh 2025: 144 साल बाद पड़े इस महाकुंभ की आभा देखने लायक है, यहां करोड़ों की संख्या में आमजन और साधु संत आ रहे है। इन्ही अनेको महात्माओं में से हमे एक नागा बाबा भी मिले। ये बाबा महंत सौरभ गिरी हैं, जो सोनीपत, हरियाणा से आए हैं। उनका जीवन और उनकी तपस्या महाकुंभ के महत्व को समझने में मदद करती है।

कैसे बनते है नागा साधु?

महंत सौरभ गिरी ने बताया कि नागा बाबा बनने के लिए बहुत कठिन तपस्या और धार्मिक कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले गंगा मां को खुद का पिंडदान देना होता है, फिर गुरु से दीक्षा लेनी होती है। इसके बाद धर्म ध्वजा के नीचे खड़े होकर उन्हें आधिकारिक रूप से नागा बाबा के रूप में स्वीकार किया जाता है। नागा बाबाओं का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और समाज को मुश्किलों से बचाना होता है। वे अपनी शक्ति से किसी भी संकट को समाप्त करने की क्षमता रखते हैं।

महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक धरोहर

महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह मेला समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, बाबा जी बताते है, समुद्र मंथन के दौरान जब विभिन्न प्रकार की चीजे अवतरित हुई उसी में शराब भी निकली जिससे असुरों को दे दिया गया और जब अमृत आया तो असुरों और देवताओं में खींचातानी मच गई।

भगवान् विष्णु ने फिर सभी के बीच में इसको बराबर बाटने का फैसला लिया लेकिन इसी बीच राहु ने छल करके अमृत पी लिया और खुद को अमर मान लिया, लेकिन भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। इसी असुरों और देवताओं के झगड़े के बीच में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिरी, तबसे उन्ही जगहों पर कुंभ का आयोजन होता है। यह मेला हर 12 साल में एक बार होता है।

साधना और तपस्या में ही है नागाओं का जीवन 

नागा बाबाओं का जीवन पूरी तरह से साधना और तपस्या में बसा होता है। वे कठिन साधनाओं में लीन रहते हैं, भजन करते हैं और भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कठिन तप करते हैं।

उन्होंने बताया की इसी तप के कारण और महादेव की कृपा से उनके आधीन होने से उनको शक्ति मिलती है जिससे उनपर किसी भी मौसम का कोई प्रभाव नहीं होता है। वो हर मौसम में एक सामान ही रहते है।

बाबा ने बताया उद्धार का रास्ता 

महाराज जी ने बताया की अगर हमे अपना उद्धार करना है तो अपने माता-पिता की सेवा करो, साधु संतों की सेवा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करो, अपने से बड़ो का आदर सम्मान करें इसी से कल्याण होगा।

 

 

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