Mahakumbh Parv Snan: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ महान आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रेम और परमात्मा के साथ संबंध का एक समागम है। सामान्य लोगों से लेकर महान संतों और अखाड़ों के साधु-संत तक, हर कोई खुद को शुद्ध करने और नई शुरुआत करने के लिए कुंभ (Mahakumbh Parv Snan) में आता है। यह आस्था, भक्ति और ऊर्जा का इतना सकारात्मक मिश्रण है कि यह कई लोगों के लिए अभिभूत करने वाला हो सकता है।
महाकुंभ में अमृत स्नान का है बहुत महत्व
सामान्य दिनों के अलावा महाकुंभ के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होता है अमृत स्नान, जिसे इस महाकुंभ से पहले शाही स्नान के नाम से जाना जाता था। इस महाकुंभ तीन अमृत स्नान (Mahakumbh Parv Snan) आयोजित हुए। पहला 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन। दूसरा और तीसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और तीसरा और अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन आयोजित हुआ। इन अमृत स्नानों के दिन सामान्य लोगों के अलावा देश के सभी 13 अखाड़े धूम-धाम और बड़े जुलुस के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं।
कुंभ में पर्व स्नानों का भी है बहुत महत्व
महाकुंभ में अमृत स्नान के अलावा पर्व स्नानों (Mahakumbh Parv Snan) का भी बहुत महत्व होता है। पर्व स्नान उन तिथियों को होता है जिस दिन कोई ना कोई त्योहार होता है। इस महाकुंभ का पहला पर्व स्नान पहले ही दिन पौष पूर्णिमा को 13 जनवरी के दिन आयोजित किया गया था। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुआ था और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समापन होगा।
12 फरवरी को होगा माघ पूर्णिमा का पर्व स्नान
महाकुंभ के समापन को अभी भी 18 दिन बचे हैं। अब तक इस महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा लोग त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। बचे हुए दो पर्व स्नानों पर भारी संख्या में लोगों के संगम में डुबकी लगाए जाने का अनुमान है। महाकुंभ में अगला पर्व स्नान 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन होगा। माघी पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे शक्तिशाली पूर्णिमाओं में से एक है, और इस वर्ष यह महाकुंभ के साथ मेल खाने के कारण, भक्त माघी पूर्णिमा के पर्व स्नान में भाग लेने के लिए तैयार हो रहे हैं।
माघी पूर्णिमा पर, भक्त आमतौर पर ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे, और ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पिछले पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक प्रगति होती है। कई भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं, पूरे दिन केवल सात्विक भोजन करते हैं और शाम की पूजा और चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही अपना उपवास तोड़ते हैं।
महाकुंभ के अंतिम दिन होगा महाशिवरात्रि का पर्व स्नान
शिव की महान रात्रि महाशिवरात्रि (Mahashivratri) इस वर्ष 26 फरवरी को है और इसी दिन महाकुंभ का समापन भी होगा। और इसलिए, महाकुंभ का आखिरी स्नान 26 फरवरी, महाशिवरात्रि को है। इस दिन भी तमाम संत और साधु-सन्यासी को पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का मौका मिलेगा। आखिरी स्नान में न केवल कुंभ, बल्कि भगवान शिव के मंदिरों में भी लोगों की भारी भीड़ उमड़ेगी। इस दिन लोग पूरी श्रद्धा के साथ संगम में डुबकी लगाएंगे।
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