Mahakumbh Snan: महाकुंभ स्नान, भव्य कुंभ मेले के दौरान नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर पवित्र डुबकी लगाने का एक पवित्र अनुष्ठान है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला कुंभ, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि महाकुंभ में गंगा और संगम के पवित्र जल में स्नान (Mahakumbh Snan) करने से पाप धुल जाते हैं, आत्मा शुद्ध हो जाती है और मोक्ष मिलता है।
महाकुंभ में वैसे तो रोज लोग स्नान (Mahakumbh Snan) करते हैं लेकिन कुछ खास दिनों में गंगा और संगम में डुबकी लगाने का अलग ही महत्व होता है। इन दिनों किये हुए स्नान का आध्यात्मिक महत्व बढ़ जाता है। इस साल महाकुंभ में इस साल लगभग 40 करोड़ लोग कुंभ मेले में आस्था की डुबकी लगाएंगे।
महाकुंभ में कैसे करें स्नान?
महाकुंभ में स्नान का बहुत महत्व होता है। इसलिए आप भी यदि महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं, खास कर अमृत स्नान के दिनों पर तो कुछ बातों का ख्याल रखना बहुत जरुरी होता है। अमृत स्नान के दिन कभी भी नागा साधुओं या संतों से पहले स्नान नहीं करना चाहिए। हमेशा स्नान संतों और साधुओं के बाद ही करें। गंगा या संगम में स्नान करते समय कभी साबुन या शैम्पू का इस्तेमाल ना करें। ना ही पवित्र नदियों में अपने गंदे कपडे धोएं।
कितनी बार लगानी चाहिए डुबकी?
महाकुंभ में अगर आप गंगा स्नान करने जा रहे हैं, तो इस पवित्र नदी में कम से कम 3 डुबकी तो अवश्य लगाएं। महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में, गंगा या संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाना एक गहन शुद्धिकरण अनुष्ठान माना जाता है। हालांकि, डुबकी की संख्या पर कोई सख्त नियम नहीं है, परंपरा अक्सर प्रतीकात्मक और शुभ के रूप में तीन डुबकी लगाने का सुझाव देती है।
पहला डुबकी: शरीर की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, शारीरिक अशुद्धियों को साफ करता है।
दूसरी डुबकी: मन को शुद्ध करती है, नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करती है।
तीसरी डुबकी: मोक्ष और दिव्य आशीर्वाद की तलाश में आत्मा को शुद्ध करती है।
भक्त व्यक्तिगत आस्था, प्रार्थना या मन्नत के आधार पर अतिरिक्त डुबकी लगाना चुन सकते हैं। इसलिए महाकुंभ में गंगा स्नान करते हुए आप 5, 7 या 12 बार भी डुबकी लगा सकते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य संबंधी बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है, खासकर ठंड के मौसम में। डुबकी (Importance of Snan in Mahakumbh) की संख्या की तुलना में एक सचेत, भक्तिपूर्ण दृष्टिकोण अधिक महत्वपूर्ण है। प्रत्येक विसर्जन समर्पण और परमात्मा के प्रति जुड़ाव का एक कार्य है, जो अनुभव को आध्यात्मिक नवीनीकरण और अनुग्रह के एक शक्तिशाली क्षण में बदल देता है।
डुबकी लगाते समय किस मन्त्र का करें जाप?
महाकुंभ में गंगा या संगम में पवित्र स्नान के दौरान विशिष्ट मंत्रों का जाप आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है। आमतौर पर पढ़ा जाने वाला मंत्र है:
“ओम नमो भगवते वासुदेवाय”
यह शुद्धि और मुक्ति (मोक्ष) की तलाश में भगवान विष्णु का आह्वान करता है।
एक और शक्तिशाली मंत्र है:
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती,
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम कुरु”
यह प्रार्थना पवित्र नदियों से भक्त को आशीर्वाद देने और शुद्ध करने का आह्वान करती है।
पवित्र जल की दिव्य ऊर्जा के प्रति समर्पण करते हुए, भक्ति और ध्यान के साथ इन मंत्रों का जाप करें। वे आत्मा को शुद्ध करते हैं, पापों को साफ़ करते हैं, और आध्यात्मिक आशीर्वाद के साथ संबंध को गहरा करते हैं।
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