महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे, और इस बार का चुनाव राज्य के इतिहास में कई मायनों में खास माना जा रहा है। खासकर महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और उनके राजनीति में बढ़ते प्रभाव के कारण इस चुनाव को विशेष रूप से देखा जा रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के इतिहास में पहली बार 357 महिला उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में हैं। इससे पहले, 2014 में 277 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, और 2019 में ये संख्या घटकर 235 रह गई थी। अब, 2024 में इनकी संख्या 357 तक पहुंच गई है, जो एक नया रिकॉर्ड है
चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से यह सवाल उठता है कि क्या इस बार महिला विधायकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी? 2019 में कुल 3,237 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिनमें से 235 महिलाएं थीं। इनमें से केवल 24 महिला उम्मीदवार ही जीत पाईं, जो राज्य की कुल विधानसभा सीटों का 4.27 फीसदी हैं। अब देखना यह है कि इस बार महिला उम्मीदवारों का रिकॉर्ड क्या होता है, और क्या महिला विधायकों का आंकड़ा बढ़ेगा।
महिलाओं का वोटिंग पैटर्न
महाराष्ट्र में महिलाएं चुनावों में बराबरी से वोट करती हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों की संख्या लगभग 50 फीसदी थी, लेकिन महिला उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व उस हिसाब से बहुत कम था। इस बार, महिला उम्मीदवारों की संख्या में इजाफा हुआ है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका असर चुनाव परिणामों पर किस तरह पड़ेगा।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: अखिलेश बनाम ओवैसी, कौन जीतेगा मुस्लिम वोटों की जंग?
हालांकि, देशभर में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी की स्थिति उतनी सशक्त नहीं रही है, लेकिन फिर भी महिला उम्मीदवारों का बढ़ना एक सकारात्मक संकेत है। भारतीय संसद की बात करें तो, लोकसभा में केवल 15 फीसदी महिलाएं सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में यह संख्या 13 फीसदी है। लेकिन इन आंकड़ों के बावजूद, महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व काफी कम है।
राज्य में महिला मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की कमी
महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक किसी महिला को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनने का अवसर नहीं मिला है। राज्य की विधानसभा में 1962 से लेकर 2019 तक 1685 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 165 महिलाएं ही जीत पाईं। 1972 में महाराष्ट्र विधानसभा में कोई महिला प्रतिनिधि नहीं थी। ऐसे में इस बार अगर महिला विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, तो यह एक बड़ा बदलाव होगा।
साल | कुल उम्मीदवार | कुल महिला उम्मीदवार | महिलाएं जीतीं |
---|---|---|---|
1962 | 1161 | 36 | 13 |
1967 | 1242 | 19 | 09 |
1972 | 1197 | 56 | 00 |
1978 | 1817 | 61 | 08 |
1980 | 1174 | 47 | 19 |
1985 | 2230 | 83 | 16 |
1990 | 3772 | 144 | 06 |
1995 | 4714 | 247 | 11 |
1999 | 2006 | 86 | 12 |
2004 | 2678 | 137 | 12 |
2009 | 3559 | 211 | 11 |
2014 | 4119 | 277 | 20 |
2019 | 3237 | 235 | 24 |
विदर्भ में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़ी
विदर्भ क्षेत्र में भी महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 2019 के विधानसभा चुनावों में विदर्भ क्षेत्र से 95 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। हालांकि, इस क्षेत्र से केवल 4 महिलाएं ही विजयी हो पाईं। यह महिलाएं थीं – श्वेता महाले (चिखली), प्रतिभा धानोरकर (वरोरा), यशोमति ठाकुर (तिवसा) और सुलभा खोडके (अमरावती)। अब देखना यह है कि क्या इस बार विदर्भ क्षेत्र में महिला उम्मीदवारों की संख्या और जीत का आंकड़ा बढ़ेगा।
महाराष्ट्र का चुनावी इतिहास महिलाओं के मामले में काफी मिश्रित रहा है। 1972 में विधानसभा चुनाव में कोई महिला उम्मीदवार नहीं थी, जबकि 2019 में 24 महिलाओं को विधानसभा में जगह मिली थी। इस बार महिला उम्मीदवारों की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या महिला विधायकों का रिकॉर्ड टूटेगा, और क्या महिलाएं पहले से ज्यादा सीटें जीत पाएंगी।
विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे, और इसके बाद ही यह साफ होगा कि महाराष्ट्र के विधानसभा में महिलाओं की प्रतिनिधित्व में कितनी बढ़ोतरी हुई है।