महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले, एकनाथ शिंदे की सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देने की घोषणा की है। यह निर्णय सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया और इसे चुनावी दृष्टिकोण से बड़ा माना जा रहा है। इस घोषणा का उद्देश्य गायों की रक्षा और पालन-पोषण को बढ़ावा देना है।
सरकार का कहना है कि भारतीय संस्कृति में गाय का विशेष स्थान है, विशेषकर वैदिक काल से। देशी गाय का दूध मानव आहार में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार, तथा जैविक कृषि प्रणालियों में भी उपयोगी है। इस परिप्रेक्ष्य में, गायों को ‘राज्यमाता गोमाता’ का दर्जा देने का फैसला लिया गया है।
#WATCH | Mumbai: Maharashtra Deputy CM Devendra Fadnavis says, “Indigenous cows are a boon for our farmers. So, we have decided to grant this (‘Rajya Mata’) status to them. We have also decided to extend help for the rearing of indigenous cows at Goshalas.” pic.twitter.com/ido9Z1RNmP
— ANI (@ANI) September 30, 2024
आर्थिक मदद के साथ गोशालाओं को मजबूती
महाराष्ट्र सरकार ने गायों के पालन-पोषण को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना भी शुरू की है। इस योजना के तहत, गोशालाओं को 50 रुपये प्रतिदिन की सब्सिडी दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार, यह कदम गोशालाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, क्योंकि वे कम आय के कारण अपने काम को जारी नहीं रख पा रही थीं। इस योजना को महाराष्ट्र गोसेवा आयोग द्वारा ऑनलाइन लागू किया जाएगा और प्रत्येक जिले में जिला गोशाला सत्यापन समिति का गठन किया जाएगा।
गायों की घटती संख्या पर चिंता
2019 में हुए पशुगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में देशी गायों की संख्या 46,13,632 तक गिर गई है, जो 19वीं जनगणना की तुलना में 20.69 प्रतिशत कम है। यह गिरावट चिंताजनक है और सरकार का यह निर्णय गायों के संरक्षण की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गाय की पूजा
सनातन धर्म में गाय को विशेष स्थान दिया गया है। गाय को माता माना जाता है और इसे पूजा का पात्र समझा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गाय में देवी-देवताओं का निवास होता है। हाल के वर्षों में, कई हिंदू संगठनों ने गाय को राज्यमाता का दर्जा देने की मांग की थी। इस मांग का सम्मान करते हुए, सरकार ने अब इस निर्णय को लागू किया है।
जानकारों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला न केवल चुनावी राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि यह देशी गायों के संरक्षण और उनके महत्व को भी उजागर करेगा। इससे किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि गायों की उपयोगिता उनके लिए वरदान साबित हो सकती है। यह कदम उम्मीद जगाता है कि गायों की संख्या में वृद्धि हो सकेगी और उनके प्रति समाज का सम्मान और बढ़ेगा।