Mahashivratri Rudrabhishek: महाशिवरात्रि बुधवार को, ज्योतिषाचार्य से जानें कैसे करें रुद्राभिषेक

Mahashivratri Rudrabhishek: महाशिवरात्रि बुधवार को, ज्योतिषाचार्य से जानें कैसे करें रुद्राभिषेक

Mahashivratri Rudrabhishek: इस वर्ष महाशिवरात्रि बुधवार, 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व हिन्दू महीने फाल्गुन की 14वीं रात को पड़ता है। इस दिन लोग कठोर उपवास रखते हैं, शिव मंत्रों का जाप करते हैं, रात भर जागरण करते हैं और समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति के लिए भगवान शिव (Mahashivratri Rudrabhishek) का आशीर्वाद मांगते हैं।

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष फाल्गुन कृष्ण महाशिवरात्रि (Mahashivratri Shubh Yog) के दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 09:17 तक रहेगी। इसके पश्चात् चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ होगी। इस दिन श्रवण नक्षत्र दिन के 04:10 तक रहेगा, इसके पश्चात् धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा।

इस वर्ष की महाशिवरात्रि है अत्यन्त शुभकारी

ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि ईशान संहिता के अनुसार, समस्त ज्योतिर्लिंगों का प्रादूर्भाव फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्धरात्रि के समय हुआ था। इसलिए इस पुनीत पर्व को महाशिवरात्रि (Mahashivratri Rudrabhishek) के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष अर्धरात्रि में चतुर्दशी तिथि मिल रही है, इसलिए इस वर्ष की महाशिवरात्रि अत्यन्त शुभ है। वैसे तो शिव भक्त प्रत्येक कृष्ण चतुर्दशी का व्रत करते है परन्तु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी की महाशिवरात्रि का व्रत जन्म जन्मान्तर के पापों का नाश करने वाला होता है।

इस दिन रात्रि जागरण करते हुये रात्रि में चारो प्रहर (Mahashivratri Chaar Prahar Puja) में चार प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक करने का विधान है। स्कन्ध पुराण के अनुसार, इस दिन सूर्यास्त के वाद भगवान शिव पार्वती व अपने गणों के सहित भूलोक में सभी मन्दिरों में प्रतिष्ठित रहते है। प्रथम प्रहर में षोडशोपचार पूजन कर गाय के दूध से, द्वितीय प्रहर में गाय के दूध की दही से, तृतीय प्रहर में गाय के घी से और चतुर्थ प्रहर में पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है।

कैसे करें महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक?

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक (Mahashivratri Rudrabhishek) का विशेष महत्व है। रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिंग पर गाय के दूध से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गाय के दूध में चीनी व मेवे के घोल से, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से, अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गाय के घी से तथा भूमि, भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

Mahashivratri Rudrabhishek: महाशिवरात्रि बुधवार को, ज्योतिषाचार्य से जानें कैसे करें रुद्राभिषेक

महाशिवरात्रि पर नौ ग्रहों की पीड़ा कैसे करें दूर?

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivratri Par Rudrabhishek Kaise Karen) के दिन नव ग्रहों के पीड़ा के निवारण के लिए कुछ द्रव्यों से रुद्राभिषेक करना चाहिए। यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से संबंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगा जल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगा जल में मिलाकर, मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगा जल में मिलाकर, बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गाय के दूध से, शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गाय के दूध के छाछ से, शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगा जल में मिलाकर, राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगा जल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का नाश होता है।

पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि व्रती को शिव मन्दिर में विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक कर दूसरे दिन सूर्योदय के पश्चात काले तिल, त्रिमधु युक्त पायस, व नवग्रह समिधा से हवन कर एक सन्यासी को भोजन कराकर स्वयं पारण करना चाहिए। शिवलिंग पर चढाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए सेवन के उपयुक्त नहीं होता है। अलग से मिष्ठान फल आदि का भोग लगाकर, उसे इष्ट मित्रों में वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

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