Mahashivratri Prahar Puja: महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा का होता है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त

Mahashivratri 2025: आज शाम से शुरू होगी महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा, जानें मुहूर्त और विधि

Mahashivratri Prahar Puja: आज देश भर में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। आज सुबह से देश भर में शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है। महाशिवरात्रि के दिन जहां भोर में शिव पूजा का बहुत महत्व होता है तो वहीँ रात को चार प्रहर की पूजा (Mahashivratri Prahar Puja) का अलग ही स्थान होता है। शिव भकत पूरी रात जाग कर चार प्रहर की पूजा कर भोलेनाथ का आशीर्वाद मांगते हैं।

क्या होती है चार प्रहर पूजा?

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा भगवान शिव के सम्मान में पूरी रात आयोजित की जाने वाली एक विशेष चार-चरणीय पूजा है। रात को चार प्रहर (Mahashivratri Prahar Puja) में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक तीन घंटे तक चलता है, जिसके दौरान भक्त दूध, शहद, दही, घी और पानी से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। प्रत्येक प्रहर में बिल्व पत्र, काले तिल, धतूरा और फल चढ़ाए जाते हैं। ओम नमः शिवाय का जाप और शिव स्तोत्र का पाठ अनुष्ठान के महत्व को बढ़ाता है।

माना जाता है कि पहला प्रहर स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए होता है। दूसरा प्रहर धन समृद्धि के लिए जबकि तीसरे प्रहर की पूजा संतान सुख की कमाना या फिर कोई भी मनोकामना पूर्ति के लिए होती है। चौथे प्रहर की पूजा मोक्ष और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए होती है।

चार प्रहर पूजा का शुभ मुहूर्त

हर साल, भगवान शिव के भक्त हिंदू महीने फाल्गुन में ढलते चंद्रमा की चौदहवीं रात को महाशिवरात्रि का शुभ त्योहार मनाते हैं। आइये जानते हैं कि इस दिन कब है चार प्रहर पूजा (Mahashivratri Prahar Puja Muhurat) का शुभ मुहूर्त।

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त: 26 फरवरी शाम 6:19 से रात 9:26 तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा मुहूर्त: 26 फरवरी रात 9:26 से 27 फरवरी रात 12:34 तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा मुहूर्त: 27 फरवरी रात 12:34 से भोर 3:41 तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा मुहूर्त: 27 फरवरी भोर 3:41 से सुबह 6:48 तक

महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा सामग्री

महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा के लिए, भक्तों को प्रत्येक प्रहर के लिए विशिष्ट पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है। आवश्यक वस्तुओं में शामिल हैं:

शिवलिंग अभिषेक के लिए दूध, जल, शहद, दही, घी, चीनी, काले तिल और नारियल पानी।
बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद फूल, चंदन का पेस्ट, और अक्षत।
कपूर, धूप, अगरबत्ती और घी का दीपक।
फल, मिठाई और पंचामृत (दूध, शहद, दही, घी और चीनी)।
“ओम नमः शिवाय” और शिव स्तोत्र के लिए रुद्राक्ष माला।

महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है क्योंकि इसमें पूरी रात चार चरणों (प्रहर) में भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रत्येक प्रहर शिव की ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो भक्तों को दिव्य आशीर्वाद, शुद्धि और पिछले पापों से मुक्ति पाने में मदद करता है। प्रत्येक प्रहर के दौरान दूध, शहद, घी और जल से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

“ओम नमः शिवाय” का जाप करने और बिल्व पत्र चढ़ाने से आध्यात्मिक विकास में वृद्धि होती है। यह पूजा ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ संरेखित होती है, जिससे भक्तों को शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। माना जाता है कि विश्वास के साथ अनुष्ठान का पालन करने से बाधाएं दूर होती हैं और दैवीय कृपा मिलती है।

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