पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने भारत और बांग्लादेश के बीच कोई अंतर न होने की बात कही। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में भी अल्पसंख्यकों के साथ वही हो रहा है, तो फिर दोनों देशों में फर्क क्या रह गया है?
महबूबा ने कहा, “हम और बांग्लादेश में कोई फर्क नहीं”
महबूबा मुफ्ती ने यह बयान संभल हिंसा और अजमेर की दरगाह से जुड़े विवादों को लेकर दिया। उन्होंने कहा, “अभी देखिए बांग्लादेश में क्या हो रहा है, वहां हमारे हिंदू भाई के साथ नाइंसाफी हो रही है, अत्याचार हो रहे हैं। और अगर हम भारत में अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा ही कर रहे हैं, मस्जिदों को गिराकर शिवलिंग खोज रहे हैं, तो फिर फर्क क्या रह जाता है?।”
महबूबा ने आगे कहा, “अगर बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग वहां के हालात पर सवाल उठाते हैं, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। ठीक वैसे ही भारत में उमर खालिद को जेल में डाला गया है।” उनका कहना था कि जब दोनों देशों में स्थिति एक जैसी हो, तो फिर भारत और बांग्लादेश में फर्क क्या है?
महबूबा ने भारतीय समाज में बढ़ते असहमति और साम्प्रदायिक तनाव पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हमारे नेताओं ने भारत को हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका घर बनाया था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। मुझे डर है कि यह हमें उसी रास्ते पर ले जाएगा, जिस पर हम 1947 में थे।”
महबूबा ने यह भी कहा कि देश के युवाओं को बुनियादी जरूरतें जैसे नौकरी, शिक्षा और चिकित्सा मिलनी चाहिए, लेकिन उनकी जगह अब मस्जिदों को गिराने और शिवलिंग खोजने की कोशिश की जा रही है।
संभल हिंसा पर अफसोस और आरोप
महबूबा मुफ्ती ने संभल हिंसा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “संभल में जो हुआ, वह बहुत ही बुरा था। कुछ लोग अपनी दुकानें चला रहे थे, कुछ रेड़ी पर काम कर रहे थे, और उन्हें गोली मार दी गई।” उनका कहना था कि इस पर बात करना भी मुश्किल है, क्योंकि अगर आप इस मुद्दे पर बात करेंगे तो आपको ही जेल में डाल दिया जाएगा।
बीजेपी का पलटवार
महबूबा मुफ्ती के इस बयान पर बीजेपी नेताओं ने तीव्र प्रतिक्रिया दी। बीजेपी नेता रविंदर रैना ने कहा, “महबूबा मुफ्ती का बांग्लादेश के साथ भारत की तुलना करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और विवादास्पद है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि भारत में हर धर्म का समुदाय सुरक्षित है। महबूबा का बयान राष्ट्रद्रोह के समान है और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।”
अजमेर दरगाह पर टिप्पणी
महबूबा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “अजमेर शरीफ दरगाह 800 साल पुरानी है और वहां हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी समुदाय के लोग आते हैं। लेकिन अब वहां भी मंदिर ढूंढने की कोशिश की जा रही है। यह हमारी गंगा-जमनी तहजीब का प्रतीक है, और अब इसे भी निशाना बनाया जा रहा है।”
चुनावी प्रक्रिया पर सवाल
महबूबा ने चुनावी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “वोटिंग के दौरान जो प्रतिशत आता है, वह नतीजों के समय से बहुत अलग होता है। अगर 6 बजे वोटिंग बंद हो रही है और 58% वोट पड़े हैं, तो तीन घंटे बाद यह 68% कैसे हो जाता है? ये सवाल उठते हैं और लोग इस पर शक करते हैं।”
महबूबा मुफ्ती का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने भारतीय समाज में बढ़ते असहमति और साम्प्रदायिक तनाव पर गहरी चिंता जताई है। इस बयान के बाद बीजेपी ने इसे देशद्रोह करार दिया है, और अब यह बयान राजनीतिक बहस का हिस्सा बन चुका है।