आज के वक्त इंटरनेट के बिना एक विकसित दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है। क्योंकि इंटरनेट के कारण ही आज एक साथ दुनियाभर के लोग काम कर पा रहे हैं। लेकिन इंटरनेट का जितना सकारात्मक इस्तेमाल हो रहा है, उससे ज्यादा उसका नकारात्मक इस्तेमाल हो रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण साइबर क्राइम है। आज के वक्त साइबर क्रिमिनल हर रोज इंटरनेट के जरिए आम यूजर्स को निशाना बना रहे हैं और उनके खाते में सेंध लगा रहे हैं। आजमगढ़ पुलिस को साइबर क्राइम के खिलाफ बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस ने 190 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले गैंग का पर्दफाश किया है।
190 करोड़ की ठगी
आजमगढ़ पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले गैंग का पर्दफाश किया है। पुलिस ने साइबर क्राइम के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 190 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले गैंग के 11 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी साइबर ठग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन जूआ का गैंग चलाते थे। गिरफ्तारी के बाद जांच में पुलिस ने कुल 169 बैंक खातों से करीब 2 करोड़ रुपये फ्रीज किया है। वहीं करीब 35 लाख रुपये का सामान बरामद किया है। वहीं बरामद सामानों में से 3 लाख 40 हजार रुपये नकद मिले हैं। इसके अलावा पुलिस अन्य ट्रांजेक्शन का भी पता लगाने में जुटी है।
पुलिस ने बरामद की ये चीज
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से 51 मोबाइल, 6 लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 19 सिम कार्ड, 7 चेक बुक, 3 आधार कार्ड, एक जियो फाइबर राउटर मिला हैं। इन सभी चीजों के जरिए ही गिरफ्तार आरोपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राम सिंह, संदीप यादव, विशाल दीप, अजय कुमार पाल, आकाश यादव, पंकज कुमार, प्रदीप क्षात्रिया, विकास यादव, आनंदी कुमार यादव, मिर्जा उमर बेग उर्फ उमर मिर्जा और अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा विनय यादव और सौरभ फरार चल रहे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है।
सोशल मीडिया से करते थे ठगी
एसपी हेमराज मीणा ने पुलिस लाइन सभागार में बताया कि अवैध रूप से अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन गेम रेड्डी अन्ना, लोटस, महादेव के माध्यम से लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। वहीं ये सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, मेटा और टेलीग्राम पर विज्ञापन के माध्यम से पैसों को दोगुना या तीन गुना जीतने का प्रलोभन देकर ठगी करते थे। इन गेम्स में पीड़ितों की लॉगइन आईडी बनाकर साइबर ठगी कर सारा पैसा फर्जी खातों और मोबाइल के जरिये ट्रांसफर कर लेते थे। वहीं पीड़ित की आईडी ब्लॉक कर देते थे। इस संगठित गैंग में भारत और अन्य देश जैसे श्रीलंका, यूएई के मेंबर अलग-अलग व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़े हुए थे और ठगी के पैसे का आदान-प्रदान करते थे।