Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति, सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है। यह भारत में महान सांस्कृतिक महत्व का फसल उत्सव है। यह सर्दियों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन (Makar Sankranti 2025) लोग पतंगबाजी, अलाव और पारंपरिक दावतों के साथ जश्न मनाते हैं। तिल और गुड़ से बने खाद्य पदार्थ, जैसे तिल के लड्डू, गर्मजोशी और एकता के प्रतीक के रूप में साझा किए जाते हैं।
इस उत्सव (Makar Sankranti 2025) को पूरे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे तमिलनाडु में पोंगल और पंजाब में लोहड़ी। यह पर्व सूर्य देवता और कृषि प्रचुरता का सम्मान करता है। मकर संक्रांति कृतज्ञता, खुशी और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देती है।
कब है 2025 में मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। यह पर्व देशभर में अलग- अलग अंदाज में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। साल 2025 में मकर संक्रांति की तिथि (Makar Sankranti 2025) को लेकर असमंजस की स्थिति है। यह पर्व अगले साल 14 जनवरी को मनाया जाएगा या 15 जनवरी को आइए डालते हैं एक नजर। 2025 में मकर संक्रान्ति मंगलवार, जनवरी 14 को मनाया जाएगा।
मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 10:33 से 18:07
अवधि – 07 घण्टे 34 मिनट्स
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – 10:33 से 12:26
अवधि – 01 घण्टा 53 मिनट्स
मकर संक्रान्ति का क्षण – 10:33
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है, जो सर्दियों के अंत और लंबे, गर्म दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। यह फसल, कृतज्ञता और नवीनीकरण की अवधि का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य देव को समर्पित, यह पर्व आध्यात्मिक ज्ञान और अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। यह त्योहार तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां बांटने जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से एकता और उदारता को उजागर करता है। यह शुद्धिकरण और भक्ति का भी समय है, लोग पापों को धोने और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए गंगा जैसी नदियों में पवित्र डुबकी लगाते हैं।
मकर संक्रांति के अनुष्ठान
नदियों में पवित्र स्नान- लोग गंगा, यमुना या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। उनका मानना है कि इससे पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक शुद्धि होती है।
सूर्य देव की पूजा: जीवन और समृद्धि के लिए आभार व्यक्त करने के लिए सूर्य देव को जल, फूल और प्रार्थना अर्पित की जाती है।
तिल और गुड़ का वितरण: लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां बनाते और साझा करते हैं, जो सद्भावना और सद्भावना का प्रतीक है।
पतंग उड़ाना: इस दिन पतंग उड़ाना स्वतंत्रता और खुशी का प्रतीक है, आसमान जीवंत रंगों से भरा होता है जो उत्सव का प्रतीक है।
दान: जरूरतमंदों को भिक्षा, कपड़े और भोजन देना त्योहार का एक अभिन्न अंग है, जो करुणा और उदारता को बढ़ावा देता है।
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